भारत के इन प्रधानमंत्रियों को नहीं मिला लाल किले से झंडा फहराने का मौका; जानें

Independence Day: देश में 78वें स्वतंत्रता दिवस की तैयारियां जोरो-शोरो पर चल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11वीं बार लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराएंगे, लेकिन क्या आपको देश के ऐसे प्रधानमंत्री के बारे में पता है, जिन्हें एक बार भी लाल किले की प्राचारी से झंडा फहराने का मौका नहीं मिला है।

Red Alert

लाल किला (प्रतीकात्मक तस्वीर)

मुख्य बातें
  • देश में 78वें स्वतंत्रता दिवस की चल रही तैयारियां।
  • PM मोदी लाल किले की प्राचीर से देश को करेंगे संबोधित।
  • सबसे ज्यादा बार संबोधित करने का रिकॉर्ड प्रथम PM के नाम दर्ज।

Independence Day: 15 अगस्त, 1947 एक ऐसा दिन जब भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली और तभी से हर साल इस दिन स्वतंत्रता का जश्न मनाया जाता है। प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराते हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आने वाली 15 तारीख को 11वीं बार लाल किले से झंडा फहराएंगे। इसी के साथ ही वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से ज्यादा बार झंडा फहराने वाले प्रधानमंत्री बन जाएंगे। हालांकि, सबसे ज्यादा बार झंडा फहराने का रिकॉर्ड देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नाम दर्ज है, लेकिन क्या आपको देश के ऐसे प्रधानमंत्री के बारे में पता है, जिन्हें एक बार भी लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराने का अवसर नहीं मिला।

कितने प्रधानमंत्रियों ने लाल किले से झंडा फहराया?

14 और 15 अगस्त की रात जब पूरी दुनिया सो रही थी तब भारत में एक नई सुबह का आगाज हुआ। इसी के साथ ही 200 साल तक अंग्रेजी हुकूमत की निशानी रहे झंडे (यूनियन जैक) को उतारा गया और प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने आजाद भारत का तिरंगा फहराया था। हालांकि, पहली बार लाल किले की प्राचीर पर 16 अगस्त को झंडा लहराया था और तब से लेकर आजतक 12 प्रधानमंत्रियों ने लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराया है।

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किसे नहीं मिला मौका?

आजाद भारत में दो प्रधानमंत्री ऐसे हुए हैं, जिन्हें एक बार भी लाल किले की प्राचीर से झंडा फहराने का अवसर नहीं मिला। इसकी असल वजह कुछ नहीं, बल्कि कम समय तक सत्ता में रहना था। हालांकि, इनमें एक कार्यवाहक प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा भी शामिल हैं।

गुलजारीलाल नंदा दो बार 13-13 दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने। पहली बार उनका कार्यकाल 27 मई से लेकर 9 जून 1964 तक तो दूसरी बार 11 जनवरी से लेकर 24 जनवरी 1966 तक रहा। यही वजह रही कि कार्यवाहक प्रधानमंत्री के कार्यकाल अगस्त के पहले ही समाप्त हो गया।

वहीं, दूसरा नाम चंद्रशेखर का रहा। चंद्रशेखर ने राजनीति के बेहद कठिन दौर में सरकार बनाई और महज छह माह में ही उन्हें प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। दरअसल, 90 के दशक में देश में राजनीतिक अस्थिरता था। इस दौरान चंद्रशेखर ने कांग्रेस के समर्थन से 10 नवबंर, 1990 में सरकार बनाई, लेकिन कांग्रेस से बढ़ते विवाद के बीच छह माह बाद 21 जून, 1991 में पद से इस्तीफा देना पड़ा। चंद्रशेखर के कार्यकाल के दौरान अगस्त माह का 15वां दिन कभी नहीं आया। इसी वजह से उनके नाम यह अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है।

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सबसे ज्यादा बार झंडा फहराने का रिकॉर्ड?

आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को 17 बार, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 16 बार लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करने का मौका मिला। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम भी अनोखा रिकॉर्ड दर्ज है। वह ऐसे गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने सबसे ज्यादा बार लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराया है। इस बार तो वह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का रिकॉर्ड भी तोड़ देंगे।

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अनुराग गुप्ता author

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