कौन हैं माशको पीरो? जिन पर मंडरा रहा आवास का संकट; पेरू में नदी किनारे दिखा दुर्लभ नजारा

Mashco Piro: दुनिया की सबसे अलग-थलग रहने वाली माशरो पीरो जनजाति की दुर्लभ तस्वीरें कैप्चर हुई हैं। दरअसल, माशको पीरो जनजाति के लोग भोजन की तलाश में अमेजन जंगलों से बाहर आकर एक नदी के किनारे देखे गए हैं। हाल के दिनों में 50 से ज्यादा बार इस जनजाति के लोगों को देखे जाने की रिपोर्ट्स हैं।

Mashco Piro

माशरो पीरो जनजाति (फोटो साभार: सर्वाइवल इंटरनेशनल )

मुख्य बातें
  • पेरू में अमेजन के जंगलों में रहती है यह जनजाति।
  • लगातार हो रही कटाई से असुरक्षित है माशको पीरो का घर।
  • खाने की तलाश में नदी किनारे दिखे माशको पीरो के सदस्य।
Mashco Piro: दुनिया की सबसे अलग-थलग रहने वाली जनजातियों में से एक माशको पीरो जनजाति का एक दुलर्भ नजारा कैप्चर हुआ है। बता दें कि माशको पीरो जनजाति पेरू में अमेजन के जंगलों में रहती है और हाल ही में इस जनजाति के लोगों को उनके इलाके से बाहर निकलते हुए देखा गया है।

सोशल मीडिया पर छाया VIDEO

सर्वाइवल इंटरनेशनल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक वीडियो पोस्ट किया। इस वीडियो में दर्जनों माशको पीरो जनजाति के लोग नदी किनारे आराम करते हुए दिखाई दिये। साथ ही सालों से अलग-थलग रह रही माशको पीरो जनजाति भोजन की तलाश में जंगलों से बाहर आई है।
सर्वाइवल इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक, माशको पीरो जनजाति का यह नजारा जून के अंत में दक्षिण-पूर्वी पेरू प्रांत माद्रे डी डिओस में एक नदी के किनारे कैप्चर किया गया था। सर्वाइवल इंटरनेशनल के निदेशक कैरोलीन पीयर्स ने बताया कि बड़ी संख्या में माशको पीरो जनजाति अलग-थलग रहती है।

'माशरो पीरो जनजाति को करें संरक्षित'
बकौल रिपोर्ट, माशको पीरो जनजाति के लोगों को हाल के दिनों में 50 से ज्यादा बार मोंटे साल्वाडो नामक गांव के पास देखा गया हैं। कैरोलीन पीयर्स ने पेड़ों की कटाई कर रही कंपनियों को जंगलों से बाहर निकालने की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि माशको पीरो जनजाति के इलाके को संरक्षित किया जाना चाहिए।

कौन हैं माशको पीरो जनजाति?

माशको पीरो जनजाति को दुनिया में चल रही चीजों से कोई लेना देना नहीं है। यह लोग दुनिया के कटे हुए हैं और न ही उन्हें इससे कोई फर्क पड़ता है। अमेजन के सुदूर जंगलों में रहने वाले माशको पीरो जनजाति नोमोल के नाम से भी जानी जाती है। यह लोग पीरो भाषा बोलते हैं और बाहिरी लोगों से बात नहीं करते हैं। उनकी जमीन पर मौजूद पेड़ों की लगातार कटाई हो रही है। जिसकी वजह से कई बार वह खाना तलाश करने के लिए जंगलों से बाहर निकलते हैं। साथ ही शिकार के जरिए भोजन का इंतेजाम करते हैं।
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अनुराग गुप्ता author

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