कैसे होता है प्रोटेम स्पीकर का चयन? लोकसभा में क्या होती है इनकी भूमिका

Protem Speaker: 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 'राजग सरकार' का गठन भी हो गया। अब 24 जून से संसद का सत्र शुरू होने वाला है। लोकसभा की पहली बैठक की प्रोटेम स्पीकर अध्यक्षता करेंगे, लेकिन इनका चयन कैसे होगा, चलिए इसके बारे में समझते हैं।

Protem Speaker

प्रोटेम स्पीकर

Protem Speaker: 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव संपन्न हो चुका है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 'राजग सरकार' का गठन भी हो गया। अब सभी को 24 जून से शुरू होने वाले संसद सत्र का बेसब्री से इंतजार है। इस बार 24 जून से लेकर 3 जुलाई तक सत्र चलेगा। इस सत्र में सदन के नए अध्यक्ष का चुनाव भी होगा, जो सत्तारूढ़ दल के लिए भी अहम है, क्योंकि इस बार भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है और उन्होंने अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार का गठन किया है। ऐसे में सहयोगी दलों को कई अहम पदों की लालसा है।
सदन में जब तक नए अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो जाता है तब तक नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाने की जिम्मेदारी प्रोटेम स्पीकर के कंधों पर होगी तो चलिए विस्तार से समझते हैं कि आखिर कैसे होता है प्रोटेम स्पीकर का चयन।
नई लोकसभा में अध्यक्ष के चयन तक अहम कर्तव्यों का भार प्रोटेम स्पीकर के कंधों पर होता है। प्रोटम का मतलब 'अस्थायी' होता है। यानी नए अध्यक्ष के चयन तक प्रोटेम स्पीकर को अध्यक्ष के कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। इनका मुख्य कार्य नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाना है।

कैसे होता है प्रोटेम स्पीकर का चयन

नई सरकार के गठन के बाद भारत सरकार का विधायी विभाग लोकसभा के वरिष्ठतम सदस्यों की एक लिस्ट तैयार करता है और राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर के रूप में एक सदस्य का चुनाव करते/करती हैं ताकि प्रोटेम स्पीकर लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता कर सकें। दरअसल, नई लोकसभा की पहली बैठक के ठीक पहले अध्यक्ष का पद खाली हो जाता है।

कौन देता है प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति को मंजूरी?

यह लिस्ट संसदीय कार्य मंत्री या फिर प्रधानमंत्री को सौंपी जाती है, जो प्रोटेम स्पीकर और तीन अन्य सदस्य की पहचान करते हैं। जिनके समक्ष तमाम सांसद शपथ लेंगे। दरअसल, संसदीय कार्य मंत्री एक नोट के माध्यम से राष्ट्रपति से प्रोटेम स्पीकर और तीन अन्य सदस्यों की नियुक्ति की मंजूरी मांगते हैं।
आसान शब्दों में कहें तो वरिष्ठता के आधार पर प्रोटेम स्पीकर का चयन होता है। हालांकि, यहां पर उम्र की बात नहीं हो रही है। वरिष्ठता का मतलब एक सदस्य लोकसभा और राज्यसभा में कितने समय से है।

प्रोटेम स्पीकर के कर्तव्य

  • प्रोटेम स्पीकर लोकसभा की पहली बैठक की अध्यक्षता करता है।
  • प्रोटेम स्पीकर नवनिर्वाचित सदस्यों को शपथ दिलाएंगे।
  • प्रोटेम स्पीकर लोकसभा के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव कराएंगे।
  • नए अध्यक्ष के चयन के साथ ही प्रोटेम स्पीकर का कामकाज समाप्त हो जाता है।

प्रोटेम स्पीकर को कौन शपथ दिलाता है?

प्रोटेम स्पीकर को राष्ट्रपति शपथ दिलाते हैं। ऐसे में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू प्रोटेम स्पीकार को शपथ दिलाएंगी। हालांकि, लोकसभा के नए अध्यक्ष का चुनाव होने पर प्रोटेम स्पीकर उन्हें हैंडओवर देकर अपने कार्यों से मुक्त हो जाएंगे।
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अनुराग गुप्ता author

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