स्पीकर या इंजीनियर? आखिर किसके पास होता है माइक का कंट्रोल; राहुल गांधी ने लगाया बंद करने का आरोप
Member of Parliament's Mic: लोकसभा या राज्यसभा में आखिर सांसदों के माइक का कंट्रोल किसके पास होता है? ऐसा इसलिए पूछ रहे हैं, क्योंकि लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का माइक चर्चा के दौरान बीच में ही बंद हो गया, जिसके बाद उन्होंने माइक चालू करने के लिए कहा। तो चलिए समझते हैं इसके बारे में
विपक्ष के नेता राहुल गांधी
मुख्य बातें
- NEET पेपर लीक मामले पर संसद में भारी हंगामा।
- राहुल गांधी ने माइक बंद करने का लगाया आरोप।
- लोकसभा अध्यक्ष ने कहा- मेरे पास नहीं है कोई बटन।
Member of Parliament's Mic: मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-यूजी (NEET-UG) में कथित अनियमितता को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा मचा हुआ है। लोकसभा में नीट परीक्षा को लेकर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता राहुल गांधी का माइक बंद हो गया और ठीक ऐसा वाकया राज्यसभा में भी देखने को मिला। इसको लेकर विपक्षी दल लगातार हमलावर नजर आ रहे हैं।
राहुल गांधी ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से माइक ऑन करने के लिए भी कहा। इस पर उन्होंने जवाब दिया कि माइक मैं नहीं बंद करता हूं। ऐसे में सवाल उठता है कि सदन में सांसदों का माइक कौन कंट्रोल करता है? यानी सांसदों के माइक को कौन ऑन-ऑफ करता है? क्या राज्यसभा के सभापति या लोकसभा अध्यक्ष के पास माइक बंद करने का कंट्रोल होता है?
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माइक का कंट्रोल किसके पास होता है?
राहुल गांधी ने जब लोकसभा अध्यक्ष से माइक ऑन करने के लिए कहा तो उन्होंने जवाब दिया कि मैं माइक बंद नहीं करता हूं। यहां कोई बटन नहीं है। इससे यह तो साफ हो गया कि माइक कंट्रोल करने का सिस्टम लोकसभा अध्यक्ष या राज्यसभा के सभापति की कुर्सी के पास नहीं होता है।
कब ऑन-ऑफ होता है माइक?
लोकसभा या राज्यसभा में हर सांसद की टेबल पर माइक होता है, लेकिन इसका कंट्रोल सांसदों के पास नहीं होता है। जब संसद सत्र के दौरान एक सांसद अपनी बात रखता है तो उसका माइक ऑन कर दिया जाता है ताकि सदन के सभापति/अध्यक्ष और अन्य सांसद उनकी बात सुन सकें और बात संपन्न होने या बोलने का समय पूरा होने के बाद माइक ऑफ हो जाता है। यह व्यवस्था इसी प्रकार काम करती है, ताकि तमाम सांसदों की बात सुनी जा सकें, लेकिन माइक कंट्रोल कौन करता है।
माइक कंट्रोल करने का जिम्मा साउंड इंजीनियर का होता है, जो सदन के सभापति/अध्यक्ष की कुर्सी के पास में ही बैठे होते हैं, लेकिन क्या वह अपनी मर्जी से माइक ऑन या ऑफ कर देते हैं? जी, नहीं। संकेतों के जरिए माइक ऑफ करने का निर्देश दिया जाता है।
क्या सभी माइक का होता है कंट्रोल?
साउंड इंजीनियरों के पास हर सांसद का सिटिंग नंबर और उनके माइक का कंट्रोल होता है। मान लीजिए शून्यकाल चल रहा है। इस दौरान सांसदों को तीन मिनट तक अपनी बात रखने का समय मिलता है और जैसे ही यह अवधि समाप्त होती है साउंड इंजीनियर उनका माइक ऑफ कर देते हैं। हालांकि, हर बार ऐसा ही नहीं होता है। कई बार सदन के सभापति/अध्यक्ष को आप लोगों ने यह कहते हुए सुना होगा कि यह बात रिकॉर्ड पर नहीं जाएगी। ऐसे में साउंड इंजीनियर उस सांसद का माइक ऑफ कर देते हैं।
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अनुराग गुप्ता author
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