Pluto: प्लूटो ग्रह है या कुछ और? 2006 में ऐसा क्या हुआ, जो बदल गई ग्रहों की परिभाषा
Pluto: प्लूटो किसी पहेली से कम नहीं है। हमारे सौरमंडल में 8 ग्रह हैं, लेकिन कभी 9 हुआ करते थे और प्लूटो का नाम भी सौरमंडल के ग्रहों की सूची में आता था, लेकिन 2006 में अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने ग्रहों की नई परिभाषा तय करते हुए प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से अलग कर दिया तो चलिए इसके बारे में विस्तार से समझते हैं।
ग्रह या बौना ग्रह? क्या है प्लूटो
- IAU ने प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से किया था अलग।
- 2006 में ग्रहों की नई परिभाषा हुई थी तय।
- प्लूटो को लेकर वैज्ञानिक समुदाय में छिड़ी थी बहस।
Pluto: हमारे सौरमंडल में आखिर ग्रह कितने हैं? अक्सर लोगों को इस बात को लेकर कन्फ्यूजन होता है। हालांकि, 2006 में प्लूटो को लेकर छिड़ी बहस के बाद तय हो गया था कि हमारे सौरमंडल में 9 नहीं, बल्कि 8 ही ग्रह हैं। दरअसल, साल 2006 में अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने प्लूटो को ग्रह की श्रेणी से हटाकर बौना ग्रह घोषित कर दिया था। यह जान कई लोग चकित रह गए जिनमें कुछ वैज्ञानिक भी शामिल थे।
कई सालों बाद आज भी कुछ खगोलविद ग्रह की परिभाषा को संशोधित करना चाहते हैं ताकि उन मापदंडों को स्पष्ट किया जा सके, जो ग्रहों को अन्य खगोलीय पिंडों से अलग बनाता है, लेकिन प्लूटो को अब ग्रह क्यों नहीं माना जाता है? चलिए इसके बारे में विस्तार से समझते हैं और आपका सारा कन्फ्यूजन दूर करते हैं।
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ग्रह या क्षुद्रग्रह? आखिर कैसे होता था पहले तय
साल 2006 से पहले ग्रहों के लिए कोई सख्त मानदंड नहीं थे। मोटेतौर पर ग्रहों को एस्टेरॉयड या कहें क्षुद्रग्रहों से बड़े पिंडों के रूप में देखा जाता था, जो सूर्य की परिक्रमा करते थे। उदाहरण के लिए 1800 के दशक के मध्य में दर्जनभर से ज्यादा पिंडों, जिन्हें हम अब एस्टेरॉयड मानते हैं, को ग्रह माना जाता था।
कब ग्रह बना प्लूटो?
साल 1930 में क्लाइड टॉमबॉग ने यूरेनस की कक्षा में कुछ अनियमितताओं को समझने के लिए अज्ञात खगोलीय पिंडों की जब दूर-दूर तक तलाश की तो उन्हें यूरेनस से परे एक गोल, चट्टानी आसमानी वस्तु मिली जिसका नाम अंतत: एक लोकप्रिय रोमन देवता के नाम पर रखा गया जिसे हम 'प्लूटो' के नाम से जानते हैं। उस समय कई ज्ञात चंद्रमाओं से छोटे होने के बावजूद प्लूटो को ग्रह मानने के लिए पर्याप्त बड़ा माना गया। हालांकि, जल्द ही यह स्पष्ट हो गया कि प्लूटो इतना विशालकाय तो नहीं कि वह यूरेनस की कक्षा को प्रभावित करने के लिए जरूरी गुरुत्वाकर्षण लगा सके।
इसके अलावा 1990 के दशक में खगोलविदों ने पाया कि प्लूटो कई समान आकार की वस्तुओं से घिरा हुआ था, जो सौरमंडल के एक ऐसे क्षेत्र से संबंधित था जिसे बाद में कुइपर बेल्ट नाम मिला।
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प्लूटो को क्यों नहीं माना जाता ग्रह?
खैर अब समझते हैं कि आखिर प्लूटो को ग्रह क्यों नहीं माना जाता है। बात उन दिनों की है जब अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने एक छोटी समिति को 'ग्रह' की एक परिभाषा निर्धारित करने का जिम्मा सौंपा। उस वक्त उन्होंने 'ग्रह' के लिए तीन मानदंड तय किए तो चलिए पहले उन तीन मानदंडों के बारे में जान लेते हैं।
- सूर्य की परिक्रमा करनी होगी।
- उस वस्तु में इतना द्रव्यमान होना चाहिए कि वह खुद को गोल आकार में बांध सके।
- इसके अलावा अपने चंद्रमाओं को छोड़कर वह तमाम खगोलीय पिंडों को अपनी कक्षा से बाहर रखें।
ऐसा कहा गया कि निर्धारित किए गए इन तीन मानदंडों को जो पूरा करें उसे ही ग्रह माना जाएगा। तभी तो तीसरे मानदंड को आधार बनाकर साल 2006 में समिति ने ऐलान किया कि प्लूटो अब ग्रह नहीं है, क्योंकि वह अव्यवस्थित कुइपर बेल्ट में स्थित है, जहां नेपच्यून की कक्षा से परे हजारों वस्तुएं मौजूद हैं।
ग्रहों की स्थिति के बारे में जमकर हुई बहस
साल 2006 में प्राग में हुई एक बैठक में ग्रहों की सूची में प्लूटो की स्थिति के बारे में खूब बहस हुई और ग्रहों की नई परिभाषा की आलोचना भी होने लगी। लाइव साइंस के मुताबिक, यूसीएलए के वैज्ञानिक जीन-ल्यूक मार्गोट ने कहा कि ग्रहों की यह परिभाषा पर्याप्त नहीं है, क्योंकि इसमें बाह्यग्रहों या हमारे सौरमंडल से परे खोजे गए ग्रहों को शामिल नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि चाहे प्लूटो एक ग्रह हो या बौना ग्रह... इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है और यह उतना ही रोमांचक है।
वहीं, नासा के न्यू होराइजन्स मिशन पर काम करने वाले वैज्ञानिक फिलिप मेट्जगर ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ ने ग्रह की परिभाषा को बड़े वैज्ञानिक समुदाय के सामने वोट के लिए नहीं रखा। उनके विचार में यह नई परिभाषा को अमान्य बनाता है।
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