दिल्ली सहित उत्तर भारत में 'दमघोंटू' हवा, पर दक्षिण भारत में क्यों साफ रहती है हवा; जानें
North India Pollution: दिल्ली-एनसीआर की स्थिति अब किसी से छिपी नहीं है। धुंध की ऐसी मोटी चादर बिछी हुई है कि सूर्य देवता के दर्शन दूभर हो रहे हैं। लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है। तभी तो हेल्थ एक्सपर्ट लगातार मास्क पहनने जैसी चीजों की सलाह दे रहे हैं।
दिल्ली एनसीआर प्रदूषण
- दिल्ली की हवा बेहद खतरनाक।
- आसपास के इलाकों में छाई धुंध।
- दक्षिणी राज्यों का मौसम खुशनुमा।
North India Pollution: दिल्ली-एनसीआर में मंगलवार को भी प्रदूषण का स्तर 'बेहद गंभीर' श्रेणी में बना रहा और बुधवार को भी हालात जस के तस बने हुए हैं। सुबह 6 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 422 रहा। जिसकी वजह से दिल्लीवासियों का दम घुट रहा है और धुंध की मोटी चादर जीना मुहाल कर रही है, लेकिन दक्षिण भारत का मौसम काफी लुभावना है और हवा में प्रदूषण का स्तर 'संतोषजनक' है।
बता दें कि एक्यूआई को मापने की अपनी एक विधि है, जो बताती है कि 0-50 की श्रेणी में एक्यूआई को 'अच्छा', 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'बेहद खराब' और 401-500 के बीच एक्यूआई को 'गंभीर' श्रेणी में माना जाता है।
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उत्तर की जहरीली हवा
उत्तर भारत में जहरीली हवा की वजह से सांसों पर संकट छाया हुआ है। साथ ही बढ़े हुए प्रदूषण की वजह से ट्रेनें लेट हो रही हैं। लखनऊ, वाराणसी, कानपुर, जयपुर, लुधियाना, पटना सहित अन्य बड़े शहरों में हवा वायु गुणवत्ता सूचकांक 'खराब' से 'बेहद गंभीर' श्रेणी में बना हुआ है, पर दक्षिण भारत के बड़े शहरों चेन्नई, हैदराबाद इत्यादि में एक्यूआई 100 के नीचे बना हुआ है।
दोनों के बीच क्यों है इतना फर्क?
एक्यूआई के मामले में उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच स्थितियां एकदम विपरीत दिखाई दे रही हैं। एक ओर जहां का मौसम सुहाना है और हवा में प्रदूषण का स्तर 100 से कम है तो दूसरी ओर जहरीली हवा के बीच रहने के लिए लोग मजबूर हैं और प्रदूषण का स्तर 400 के ऊपर बना हुआ है। ऐसे में चलिए समझते हैं कि आखिर क्यों साफ है दक्षिणी राज्यों की हवा?
दक्षिणी राज्यों की हवा सुधरी हवा के लिए वहां की भौगोलिक स्थिति और जलवायु एक अहम कारण है। आसपास मौजूद तटीय क्षेत्रों और समुद्री इलाकों की वजह से मौसम खुशनुमा बना रहता है, क्योंकि समुद्र की ओर से बहने हवाएं लगातार प्रदूषण बढ़ाने वाले कणों को एकत्रित नहीं होने देती है। इसके अलावा दक्षिणी राज्यों में मौजूद घने वनों और पर्वत श्रृंखलाओं का भी प्रभाव पड़ता है।
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औद्योगिक गतिविधियां और यातायात
दिल्ली, गाजियाबाद, कानपुर जैसे उत्तरी इलाकों में दक्षिणी राज्यों की तुलना में ज्यादा औद्योगिक गतिविधियां होती हैं जिसकी वजह से वायु प्रदूषण तो होता ही है। इसके अतिरिक्त उत्तर भारत के शहरों में तेजी से बढ़ती हुए वाहनों की संख्या भी एक प्रमुख कारण है तभी तो दीवाली के बाद अमूमन हर बार दिल्ली में यातायात से जुड़ा हुआ कोई न कोई अभियान जरूर शुरू होता है। जैसे- युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध, ऑड-ईवन, रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ इत्यादि।
हालांकि, दक्षिण भारत में लोगों की संख्या कुछ कम नहीं है, बल्कि वहां के लोग सार्वजनिक परिवहन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं जिसकी वजह से सड़कों पर निजी वाहनों की संख्या थोड़ी बहुत कम हो जाती है। साथ ही पराली की समस्या से तो आप सभी वाकिफ हैं ही।
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