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क्या भविष्य में कंप्यूटर भी सूंघ सकेंगे? AI कैसे कर रहा मदद; यहां समझें

AI: क्या कंप्यूटर में सूंघने की क्षमता का विकास हो सकता है? क्या वह सूंघ पाएंगे? यह तमाम सवाल बहुत पेचीदा हैं, लेकिन एआई इस कठिन समस्या का समाधान करने में जुटा हुआ है। गंध की मानवीय भावना की जटिलता के कारण मशीनी घ्राण पर अनुसंधान को एक विकट चुनौती का सामना करना पड़ता है, जबकि मानव दृष्टि मुख्य रूप से रेटिना में रिसेप्टर कोशिकाओं पर निर्भर करती है।

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AI: 100 साल से भी अधिक पहले अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने नेशनल ज्योग्राफिक के पाठकों से कुछ साहसिक और नया करने के लिए कहा था। दरअसल, उन्होंने एक नया विज्ञान खोजने के लिए कहा था। उन्होंने कहा था कि ध्वनि और प्रकाश के मापन पर आधारित विज्ञान पहले से ही अस्तित्व में है, लेकिन गंध का कोई विज्ञान नहीं था। बेल ने अपने पाठकों से 'गंध मापने' के लिए कहा।

मौजूदा समय में ज्यादातर लोगों के पास स्मार्टफोन उपलब्ध है और उसमें ध्वनि और प्रकाश के विज्ञान पर आधारित प्रभावशाली टूल्स मौजूद हैं, लेकिन गंध का विज्ञान नहीं दिख रहा। हालांकि, अब हताश होने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मशीन घ्राण में प्रगति, जिसे 'डिजीटल गंध' भी कहा जाता है, आखिरकार बेल के आह्वान का जवाब दे रही है।

गंध की मानवीय भावना की जटिलता के कारण मशीनी घ्राण पर अनुसंधान को एक विकट चुनौती का सामना करना पड़ता है, जबकि मानव दृष्टि मुख्य रूप से रेटिना में रिसेप्टर कोशिकाओं पर निर्भर करती है। नाक में लगभग 400 प्रकार की रिसेप्टर कोशिकाओं के माध्यम से गंध का अनुभव होता है।

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