Abbas Tabish Shayari: ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन.., पढ़ें इश्क की चादर में लिपटे अब्बास ताबिश के चुनिंदा शेर
Abbas Tabish Shayari in Hindi: अब्बास ताबिश का जन्म 15 जून, 1961 को पाकिस्तान के लौहार में हुआ था, उनका मूल नाम मोहम्मद अहमद था। इश्क पर लिखे गए अब्बास ताबिश के शेर खूब पसंद किये जाते हैं। उन्होंने कलम की स्याही से ऐसे ऐसे शेर गढ़े कि सुनने वालों को लगा कि ये तो उनकी ही बात हो रही है।

Abbas Tabish Shayari on love in Hindi
Abbas Tabish Shayari in Hindi: अब्बास ताबिश की गिनती उर्दू के बेहद लोकप्रिय शायरों में होती है। उनकी रचनाएं युवाओं के बीच काफी पसंद की जाती हैं। अब्बास ताबिश ने अपनी कलम से यूं तो जिंदगी के हर रंग को कागज पर उतारा है, लेकिन जब भी कभी मोहब्बत के जज्बात को बयां किया तो फिर पढ़ने सुनने वाला उसी में डूब कर रह गया। इश्क पर लिखे गए अब्बास ताबिश के शेर खूब पसंद किये जाते हैं। उन्होंने कलम की स्याही से ऐसे ऐसे शेर गढ़े कि सुनने वालों को लगा कि ये तो उनकी ही बात हो रही है। फरवरी के इस माह-ए-मोहब्बत में आइए पढ़ते हैं प्यार की चाशनी में डूबे अब्बास ताबिश के कुछ चुनिंदा शेर:
Abbas Tabish Love Shayari | Abbas Tabish Shayari on Love
1. ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं
2. वक़्त लफ़्ज़ों से बनाई हुई चादर जैसा
ओढ़ लेता हूँ तो सब ख़्वाब हुनर लगता है
3. न ख़्वाब ही से जगाया न इंतिज़ार किया
हम इस दफ़अ भी चले आए चूम कर उस को
4.ये तो अब इश्क़ में जी लगने लगा है कुछ कुछ
इस तरफ़ पहले-पहल घेर के लाया गया मैं
5. जिस से पूछें तिरे बारे में यही कहता है
ख़ूबसूरत है वफ़ादार नहीं हो सकता
6. पस-ए-ग़ुबार भी उड़ता ग़ुबार अपना था
तिरे बहाने हमें इंतिज़ार अपना था
7. मसरूफ़ हैं कुछ इतने कि हम कार-ए-मोहब्बत
आग़ाज़ तो कर लेते हैं जारी नहीं रखते
8. उन आँखों में कूदने वालो तुम को इतना ध्यान रहे
वो झीलें पायाब हैं लेकिन उन की तह पथरीली है
9. मेरे सीने से ज़रा कान लगा कर देखो
साँस चलती है कि ज़ंजीर-ज़नी होती है
10. बोलता हूँ तो मिरे होंट झुलस जाते हैं
उस को ये बात बताने में बड़ी देर लगी
11. तुम माँग रहे हो मिरे दिल से मिरी ख़्वाहिश
बच्चा तो कभी अपने खिलौने नहीं देता
12. एक मोहब्बत और वो भी नाकाम मोहब्बत
लेकिन इस से काम चलाया जा सकता है
13. मोहब्बत एक दम दुख का मुदावा कर नहीं देती
ये तितली बैठती है ज़ख़्म पर आहिस्ता आहिस्ता
14. मैं जिस सुकून से बैठा हूँ इस किनारे पर
सुकूँ से लगता है मेरा क़याम आख़िरी है
15. 'ताबिश' जो गुज़रती ही नहीं शाम की हद से
सोचें तो वहीं रात सहर-ख़ेज़ बहुत है
बता दें कि अब्बास ताबिश का जन्म 15 जून, 1961 को पाकिस्तान के लौहार में हुआ था, उनका मूल नाम मोहम्मद अहमद था। उन्होंने ना सिर्फ मोहब्बत के रंग को अपनी कलम से बयां किया बल्कि अपनी गज़लों के जरिए बेबाकी से समाज और जीवन के हर पहलू पर अपने दिल की बात लिखी।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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