Ahmad Faraz Shayari: अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले.., मोहब्बत की दुनिया में मिसाल बन चुके हैं अहमद फ़राज़ के ये 21 मशहूर शेर
Ahmad Faraz Shayari in Hindi, Ahmad Faraz Shayari 2 Lines: 'इरशाद' के आज के अंक में बात हमद फराज के शायरी (Ahmad Faraz Sher) का। अहमद फराज की शायरी (Faraz Shayari on Love) ने लोगों के दिलों में ऐसी जगह बनाई कि जब भी कोई आशिक अपने महबूब के हुस्न की तारीफ करता है तो शब्द फ़राज़ के ही होते हैं।
Ahmad Faraz Poetry, अहमद फराज की शायरी
Ahmad Faraz Shayari 2 Lines in Hindi (अहमद फ़राज़ शायरी २ लाइन्स): उर्दू अदब और शायरी की दुनिया में अहमद फराज एक ऐसा नाम है जिसे आने वाली सदियां भी गुनगुनाती रहेंगी। पाकिस्तान के नौशेरां में जन्म अहमद फराज की नज्मों को इतना प्यार मिला कि देशों की बड़ी बड़ी सरहदें भी उसके सामने बौनी साबित हुईं। अहमद फराज का असली नाम सैय्यद अहमद शाह था। उन्होंने अपनी शायरी में मोहब्बत और उसके दर्द को इस तरह उकेरा कि उनकी कलम से निकले एक-एक हर्फ दुनियाभर के आशिकों के हमसोहबत हो गए। आइए पढ़ते हैं करोड़ों लोगों के महबूब शायर अहमद फराज के तुछ चुनिंदा शेर:
सुना है लोग उसे आँख भर के देखते हैं
सो उस के शहर में कुछ दिन ठहर के देखते हैं
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ
अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही हो
आँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिले
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें
आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा
आज एक और बरस बीत गया उस के बग़ैर
जिस के होते हुए होते थे ज़माने मेरे
आशिक़ी में 'मीर' जैसे ख़्वाब मत देखा करो
बावले हो जाओगे महताब मत देखा करो
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है
माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना
अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है.
उस शख्स से बस इतना सा ताल्लुक़ है फ़राज़
वो परेशां हो तो हमें नींद नहीं आती
बच न सका ख़ुदा भी मुहब्बत के तकाज़ों से फ़राज़
एक महबूब की खातिर सारा जहाँ बना डाला
इस तरह गौर से मत देख मेरा हाथ ऐ फ़राज़
इन लकीरों में हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं
वो रोज़ देखता है डूबे हुए सूरज को फ़राज़
काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता
वो बारिश में कोई सहारा ढूँढता है फ़राज़
ऐ बादल आज इतना बरस कि मेरी बाँहों को वो सहारा बना ले
दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की फ़राज़
लोगों ने मेरे घर से रास्ते बना लिए
दोस्ती अपनी भी असर रखती है फ़राज़
बहुत याद आएँगे ज़रा भूल कर तो देखो
फुर्सत मिले तो कभी हमें भी याद कर लेना फ़राज़
बड़ी पुर रौनक होती हैं यादें हम फकीरों की
कितना आसाँ था तेरे हिज्र में मरना जाना
फिर भी इक उम्र लगी जान से जाते-जाते
मोहब्बत के अंदाज़ जुदा होते हैं फ़राज़
किसी ने टूट के चाहा और कोई चाह के टूट गया
किस किस से मुहब्बत के वादे किये हैं तूने फ़राज़
हर रोज़ एक नया शख्स तेरा नाम पूछता है
अहमद फराज की शायरी ने लोगों के दिलों में ऐसी जगह बनाई कि जब भी कोई आशिक अपने महबूब के हुस्न की तारीफ करता है तो शब्द फ़राज़ के ही होते हैं। इतना ही नहीं जब कोई क्रांतिकारी सत्ता को ललकारता है तो वो फ़राज़ की ही शायरी है जो उसके लहू में जोश बनकर फड़कती है।
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