Akbar Allahabadi Shayari: आह जो दिल से निकाली जाएगी, क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी.., दिन बना देंगे अकबर इलाहाबादी के 21 मशहूर शेर
Akbar Allahabadi Sher: 'इरशाद' के आज के अंक में हम नजर फरमाएंगे अकबर इलाहाबादी के कुछ मशहूर शायरियों पर। वो चाहे ग़ज़ल हो, रूबाई हो या फिर शायरी..हर विधा में अकबर इलाहाबादी का अपना ही एक अलग अन्दाज़ था।
Akbar Allahabadi Shayari in Hindi
Akbar Allahabadi Shayari in Hindi: अकबर इलाहाबादी का नाम उर्दू अदब के मशहूर शायरों में शुमार है। उनकी नज्मों और शायरियों ने उर्दू साहित्य में हास्य-व्यंग्य की विधा को एक अलग मुकाम तक पहुंचाया। वो चाहे ग़ज़ल हो, रूबाई हो या फिर शायरी..हर विधा में अकबर इलाहाबादी का अपना ही एक अलग अन्दाज़ था। बता दें कि अकबर इलाहाबादी का पूरा नाम सैयद अकबर हुसैन था। वह उर्दू में हास्य-व्यंग और मोहब्बत की शायरी से मुशायरों को गुलजार करने के साथ ही इलाहाबाद में सेशन जज की नौकरी भी करते थे। वह जिला जज बनकर नौकरी से रिटायर हुए थे। उनकी शायरी ने लोगों के दिलों में एक खास मुकाम हासिल किया है। पेश है अकबर इलाहाबादी की कलम से निकले चंद बेहतरीन शेर:
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता
दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ ख़रीदार नहीं हूँ
आह जो दिल से निकाली जाएगी,
क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी..
हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना
हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना
जो कहा मैं ने कि प्यार आता है मुझ को तुम पर
हँस के कहने लगा और आप को आता क्या है
मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं
फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं
पैदा हुआ वकील तो शैतान ने कहा
लो आज हम भी साहिब-ए-औलाद हो गए
रहता है इबादत में हमें मौत का खटका
हम याद-ए-ख़ुदा करते हैं कर ले न ख़ुदा याद
अकबर दबे नहीं किसी सुल्ताँ की फ़ौज से
लेकिन शहीद हो गए बीवी की नौज से
हंगामा है क्यूँ बरपा थोड़ी सी जो पी ली है
डाका तो नहीं मारा चोरी तो नहीं की है
मैं भी ग्रेजुएट हूँ तुम भी ग्रेजुएट
इल्मी मुबाहिसे हों ज़रा पास आ के लेट
बी.ए भी पास हों मिले बी-बी भी दिल-पसंद
मेहनत की है वो बात ये क़िस्मत की बात है
हम ऐसी कुल किताबें क़ाबिल-ए-ज़ब्ती समझते हैं
कि जिन को पढ़ के लड़के बाप को ख़ब्ती समझते हैं
लिपट भी जा न रुक 'अकबर' ग़ज़ब की ब्यूटी है
नहीं नहीं पे न जा ये हया की ड्यूटी है
ग़ज़ब है वो ज़िद्दी बड़े हो गए
मैं लेटा तो उठ के खड़े हो गए
हक़ीक़ी और मजाज़ी शायरी में फ़र्क़ ये पाया
कि वो जामे से बाहर है ये पाजामे से बाहर है
जो वक़्त-ए-ख़त्ना मैं चीख़ा तो नाई ने कहा हँस कर
मुसलमानी में ताक़त ख़ून ही बहने से आती है
इस क़दर था खटमलों का चारपाई में हुजूम
वस्ल का दिल से मिरे अरमान रुख़्सत हो गया
धमका के बोसे लूँगा रुख़-ए-रश्क-ए-माह का
चंदा वसूल होता है साहब दबाव से
कोट और पतलून जब पहना तो मिस्टर बन गया
जब कोई तक़रीर की जलसे में लीडर बन गया
अकबर इलाहाबादी ने उर्दू साहित्य में बेहद अविस्मरण योगदान दिया। 9 सितंबर 1921 को अकबर इलाहाबादी ने इस दुनिया से रुखसती ले ली। आज भले वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपने लेखन का बदौलत वह शायरी के कद्रदानों के बीच हमेशा जिंदा रहेंगे।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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