नई दिल्ली : आज भी देश ही नहीं बल्कि दुनिया के बहुत से हिस्से ऐसे भी हैं जहां आज भी लोग भूखे पेट सोते हैं। आप जितना खाना बर्बाद करते हैं, वो किसी का पेट भरने के लिए काफी होंगे। कोरोना महामारी ने सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में सेंध लगा दी है। आप इसमें अपना छोटा सा योगदान दे सकते हैं। इस खाद्य दिवस अपने बच्चों को खाने के महत्व के बारे में बताए।
इसे नियति ही कहेंगे कि आज भी एक तरफ कोई 56 भोग का आनंद लेता है तो कोई भूखे पेट ही सोता है। ये गैप हमेशा से समाज में बना हुआ है। आपको बहुत दूर जाने की आवश्यकता नहीं। अपने पास में ही नजर दौड़ाएंगे तो आपको बहुत से ऐसे लोग मिलेंगें जिन्हें एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं होता। इस खाद्य दिवस अपने बच्चों को भोजन की महत्ता के बारे में बताएं। उन्हें बताएं कि इसका अनादर करना कितना भारी पड़ सकता है और कितने मुश्किल से ये किसी को नसीब होता है।
विश्वभर में ऐसी बहुत सी जगहें हैं जहां लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी भी नहीं मिलता। मीलों दूर चलकर लोगों को ऐसा पानी मिलता है, जिसे पीना तो दूर उसके पास खड़ा होना भी आप जैसों के लिए मुश्किल भरा रहेगा। इसी पानी को पीकर लोग अपनी पेट की आग को शांत करते हैं। अपने नन्हें-मुन्नों को आज के दिन का सही मायने में मतलब समझाएं। उन्हें पानी बर्बाद करने से रोकें।
आप खुद भी अपने बच्चों को बड़े लाड-प्यार से पालते हैं। उनकी खाने की थाली तो आप भर देते हैं, लेकिन ये नहीं देखते कि वो उनके पेट में जा रहा है या फिर नाली में। आपके खाना बर्बाद करने से हो सकता है कि आपका कुछ न बिगड़े, लेकिन उसी खाने से किसी भूखे का पेट भर सकता है। अपने लाडले को अन्न के एक-एक दाने की कीमत समझाएं। उन्हें बताएं कि कैसे आप इसी के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं, पसीना बहाते हैं।
कोशिश करें कि बच्चे की टिफिन में उतना ही खाना दें, जितना वो खा सकें। बच्चे को खाना बर्बाद करने से रोकें। जब भी बच्चा टिफिन का खाना बर्बाद करें उन्हें रोकें। वही खाना सड़क पर बैठे किसी भूखे को खिलाने के लिए कहें।
इस दिन को महज कैलेंडर पर ही सीमित न रहने दें। सच में इसे अपनाएं और ठीक तरह से इसकी महत्ता को समझाएं।