Atal Bihari Vajpayee Poem, Kavita In Hindi: जूझने का मेरा इरादा न था...अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रिय कविताएं
Atal Bihari Vajpayee Poem, Kavita In Hindi: आज यानी 14 सितंबर को पूरे देश में हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। हिंदी दिवस के अवसर पर हम आपके लिए अटल बिहारी वाजपेयी जी की कुछ प्रसिद्ध कविताएं लेकर आए है, जिसे अपनों को भेज आप अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व की अनुभूति कर सकते हैं। यहां देखें अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं।
Atal Bihari Vajpayee Poem, Kavita In Hindi: अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रिय कविताएं
Atal Bihari Vajpayee Poem Kavita In Hindi, Atal Bihari Vajpayee Kavita Geet Naya Gata Hun, Hindi Diwas Poem Kavita In Hindi:आज पूरे देश में हिंदी दिवस की धूम देखने को मिल रही है। बच्चे हांथ में हिंदी दिवस का पोस्टर लेकर स्कूल जाते हुए दिख (Atal Bihari Vajpayee Poem) रहे हैं। हिंदी ना केवल भाषा है बल्कि यह हम भारतीयों की एकता व अस्मिता का प्रतीक है। हिंदी एकमात्र ऐसी भाषा है, जिसे हम जैसे बोलते हैं ठीक वैसा ही (Atal Bihari Vajpayee Kavita In Hindi) लिखते हैं। कहा जाता है कि, हिंदी मन के बंद ताले को खोल सकती है, हिंदी हमारे आत्मा और ज्ञान का पथ बोल सकती है। हिंदी वक्ताओं की ताकत है और लेखक का अभिमान है। इसके हर शब्द में गंगा जैसी पावनता और गगन सी व्यापकता है। बता दें साल साल 1918 में इंदौर में आयोजित साहित्य सम्मेलन के दौरान महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा बताया था।
आपको बता दें चीनी, फारसी और स्पेनिस के बाद हिंदी विश्व की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। वहीं जब हिंदी और हिंदुत्व की बात जब की जाती है तो अटल वाजपेयी की बात की ना जाए तो अधूरा सा लगता है। अटल बिहारी जी एक राजनेता होने के साथ एक कोमल ह्रदय के कवि भी थे। यहां हम हिंदी दिवस के अवसर पर आपके लिए अटल बिहारी वाजपेयी जी की कुछ कविताए लेकर आए हैं, इसे अपनों को भेज आप हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दे सकते हैं व अपने मातृभाषा के प्रति गर्व की अनुभूति कर सकते हैं।
Atal Bihari Vajpayee Kavita In Hindi: मौत से ठन गईठन गई!
मौत से ठन गई!
जूझने का मेरा इरादा न था,
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था,
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई,
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई।
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं,
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं।
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ,
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ,
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा।
मौत से बेख़बर, ज़िन्दगी का सफ़र,
शाम हर सुरमई, रात बंसी का स्वर।
बात ऐसी नहीं कि कोई ग़म ही नहीं,
दर्द अपने-पराए कुछ कम भी नहीं।
प्यार इतना परायों से मुझको मिला,
न अपनों से बाक़ी हैं कोई गिला।
पार पाने का क़ायम मगर हौसला,
देख तेवर तूफ़ाँ का, तेवरी तन गई।
हर चुनौती से दो हाथ मैंने किये,
आंधियों में जलाए हैं बुझते दिए।
आज झकझोरता तेज़ तूफ़ान है,
नाव भँवरों की बाँहों में मेहमान है।
Atal Bihari Vajpayee Kavita Geet Naya Gata Hunगीत नहीं गाता हूं
बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
लगी कुछ ऐसी नजर
बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं
गीत नहीं गाता हूं
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूं
गीत नया गाता हूं
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूंगा,
रार नई ठानूंगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं
गीत नया गाता हूं
मैं न चुप हूं न गाता हूं
न मैं चुप हूं न गाता हूं
सवेरा है मगर पूरब दिशा में
घिर रहे बादल
रूई से धुंधलके में
मील के पत्थर पड़े घायल
ठिठके पांव
ओझल गांव
जड़ता है न गतिमयता
स्वयं को दूसरों की दृष्टि से
मैं देख पाता हूं
न मैं चुप हूं न गाता हूं
समय की सदर सांसों ने
चिनारों को झुलस डाला,
मगर हिमपात को देती
चुनौती एक दुर्ममाला,
बिखरे नीड़,
विहंसे चीड़,
आंसू हैं न मुस्कानें,
हिमानी झील के तट पर
अकेला गुनगुनाता हूं।
न मैं चुप हूं न गाता हूं
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