Atal Bihari Vajpayee Poems: पत्थर में भी जान फूंक देंगी अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं, अटल जी की 100वीं जयंती पर पढ़ें उनकी कविता
Atal Bihari Vajpayee Poems (अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं): क्रिसमस (Christmas 2024) के दिन 25 दिंसबर को ही देश के प्रधानमंत्री रहे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती (Atal Bihari Vajpayee Jayanti) मनाई जा रही है। अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन ऐसा रहा है कि वह हर किसी को कुछ ना कुछ सिखाते हैं। अटल बिहारी ने कई शानदार कविताओं को कागज पर उतारा भी है।
Atal Bihari Vajpayee Poems in Hindi (अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं)
Atal Bihari Vajpayee Poems in Hindi: आज25 दिसंबर 2024 को देश के प्रधानमंत्री रहे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती (Atal Bihari Vajpayee 100th Anniversary) मनाई जा रही है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। 83 वर्ष की उम्र में 16 अगस्त 2018 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था। अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन किसी प्रेरणा से कम नहीं रहा। वह जितने कुशल राजनीतिज्ञ थे उथने ही विद्वान और वाकपटुता में कुशल भी थे। अटल बिहारी हृदय कवि के थे। उन्होंने दर्जनों कविताएं लिखी हैं। उनकी लिखी कविताओं में से चुनिंदा पांच हम आपके लिए लेकर आए हैं। यहां देखें अटल बिहारी वाजपेयी के कलम से निकली 5 कालजयी कविताएं:
Atal Bihari Vajpayee Best Poems (अटल बिहारी वाजपेयी की कविताएं)
1. मौत से ठन गई:
ठन गई
मौत से ठन गई
जूझने का मेरा इरादा न था
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था
रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई
मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं
मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ?
तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा
2. आओ फिर से दिया जलाएं:
आओ फिर से दिया जलाएं
भरी दुपहरी में अँधियारा
सूरज परछाई से हारा
अंतरतम का नेह निचोड़ें
बुझी हुई बाती सुलगाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
हम पड़ाव को समझे मंज़िल
लक्ष्य हुआ आँखों से ओझल
वर्त्तमान के मोहजाल में
आने वाला कल न भुलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
आहुति बाकी यज्ञ अधूरा
अपनों के विघ्नों ने घेरा
अंतिम जय का वज़्र बनाने
नव दधीचि हड्डियाँ गलाएँ
आओ फिर से दिया जलाएँ
3. जीवन बीत चला:
जीवन बीत चला
कल कल करते आज
हाथ से निकले सारे
भूत भविष्यत की चिंता में
वर्तमान की बाजी हारे
पहरा कोई काम न आया
रसघट रीत चला
जीवन बीत चला।
हानि लाभ के पलड़ों में
तुलता जीवन व्यापार हो गया
मोल लगा बिकने वाले का
बिना बिका बेकार हो गया
मुझे हाट में छोड़ अकेला
एक एक कर मीत चला
जीवन बीत चला।
4. गीत नया गाता हूं:
टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची मे अरुणिम की रेख देख पता हूँ
गीत नया गाता हूँ
टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा,
काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ
5. गीत नहीं गाता हूं
गीत नहीं गाता हूँ
बेनक़ाब चेहरे हैं,
दाग़ बड़े गहरे हैं
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे सा शहर
अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी को साल 2015 में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया गया था। उनकी 100वीं जयंती के मौके पर आफ उनकी लिखी इन 5 कविताओं से प्रेरणा लेकर उन्हें श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
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Suneet Singh author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया क...और देखें
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