Things To Learn From Sri Ram: मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम से सीखें ये 8 गुण, सफलता चूमेगी कदम तो हमेशा रहेगा सबसे आगे
Things To Learn From Sri Ram: भगवान राम के भक्तों के लिए आज का दिन खास है। आज अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का वर्षगांठ मनाया जा रहा है। सनातन धर्म में प्रभु श्रीराम की पूजा आदर्श मानव जीवन के प्रतीक के रूप में की जाती है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जीवन से जुड़ी कई सारी ऐसी बातें हैं जो आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।
Life Lessons From Shri Ram In Hindi
Things To Learn From Sri Ram: देशभर में खुशी का माहौल है, क्योंकि आज 11 जनवरी को अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का पहला वर्षगांठ मनाया जाएगा। इस दिन को त्योहार की तरह मनाने के लिए जोर-शोर से तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं। राम भक्तों में भी इसका अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है। भगवान राम हिंदुओं की आस्था के प्रतीक हैं। सनातन धर्म में प्रभु श्रीराम की पूजा आदर्श मानव जीवन के प्रतीक के रूप में की जाती है। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जीवन से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं, यही वजह है कि आज भी लोग अपने घर में राम जैसा पुत्र चाहते हैं। ऐसे में चलिए आपको भगवान राम के जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में बताते हैं जो आज भी लोगों का सही मार्गदर्शन करती हैं-
1) हमेशा योजनाएं बना कर चलते थे। प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन का हर कार्य एक योजना बना कर किया। सीता माता को वापस लाने के लिए पुल बनाना आसान कार्य नहीं था, लेकिन तीन दिन की खोजबीन के बाद श्रीराम ने रामेश्वरम के आगे समुद्र में वह स्थान ढूंढ़ निकाला, जहां से आसानी से श्रीलंका पहुंचा जा सकता था। उन्होंने नल और नील की मदद से उक्त स्थान से लंका तक का पुल निर्माण करने का फैसला लिया।
2) सादा भोजनवनवास के दौरान उन्होंने कंद-मूल खाकर अपने जीवन के 14 वर्ष बिता दिए, लेकिन जंगल में रहकर प्रभु श्रीराम, लक्ष्मण और माता सीता ने कभी भी तामसिक या राजसिक भोजन को ग्रहण नहीं किया। यहां तक कि एक दिन और रात उन्होंने शबरी के बेर खाकर ही गुजारी थी।
3) संयम और धैर्यकठिन समय में प्रभु श्रीराम ने हर जगह पर संयम, संकल्प, धैर्य और साहस से जीवन जीने का उदाहरण प्रस्तुत किया। विपरीत परिस्थियों में उन्होंने की भी धैर्य और संयम नहीं खोया और न ही उन्होंने कभी क्रोध कोई भी निर्णय नहीं लिया।
4) तपस्वी जीवनभगवान राम ने जब वनवास धारण किया तब उन्होंने अपने सभी राजसी वस्त्र त्याग दिए और तपस्वियों के वस्त्र धारण करके वन को निकल गए। रास्ते में उन्हें जब जो मिला वह खा लिया और सो गए।
5) माता-पिता का सम्मानप्रभु श्रीराम ने संपूर्ण जीवन काल में अपने दिए वचन और कर्तव्यों का पालन किया। कहा जाता है भगवान माता-पिता हमें जन्म देते हैं और हमारी खुशी के लिए कितने त्याग करते हैं। यही वजह है कि संसार में माता-पिता से बड़ा स्थान किसी को नहीं दिया गया है। हर व्यक्ति को अपने माता-पिता का सम्मान करना श्रीराम से सीखना चाहिए। श्रीराम को जब 14 वर्ष का वनवास दिया गया तो वे अपने पिता की विवशता को समझ गए थे और उनका वचन न टूटे और संसार में उनका मान कम न हो, इसलिए प्रभु श्रीराम ने पिता की आज्ञा का पालन किया और 14 वर्ष का वनवास काटने चले गए।
6) नियति को स्वीकार करनाकई बार नियति जो कुछ लेकर आती है, उसे स्वीकार करना होता है। राम का वनवास, माता सीता का अपहरण होने पर भी प्रभु श्रीराम ने आपा नहीं खोया, बल्कि अपने कर्मों से परिस्थिति को ठीक करने का प्रयास किया और अंत में विजय पायी।
7) सेवा और सहयोग भगवान राम ने अपने जीवन में कई सेवा कार्य किए। वनवास के दौरान उन्होंने आदिवासी और वनवासी लोगों के जीवन को सुधारने का कार्य भी किया। शबरी प्रसंग, केवट प्रसंग और अहिल्या प्रसंग में इस बात की जानकारी मिलती है कि उन्होंने कितने लोगों का उद्धार किया था।
8) पत्नी और प्रेमप्रभु श्रीराम माता सीता से अपार प्रेम करते थे। प्रभु श्रीराम ने अपने जीवन में सिर्फ एक ही महिला से प्रेम और विवाह किया। उन्होंने कभी भी दूसरी महिला के बारे में सोचा तक नहीं।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर कॉपी एडिटर कार्यरत हूं। मूल रूप से बिहार की रहने वाली हूं और साहित...और देखें
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