Ram Mandir Pran Pratishtha wishes in Sanskrit: राम मंदुर की लेटेस्ट तस्वीरों के साथ संस्कृत में दें प्राण प्रतिष्ठा की शुभकामनाएं, भेजे ये फोटोज, वीडियोज, मैसेज, GIF

Ram Mandir Pran Pratishtha wishes in Sanskrit: आज यानी 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा होने जा रहा है। इसे लेकर देशभर में धूम देखने को मिल रही है। रामलला के आगमन से पहले पूरे अयोध्या को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरा देश जश्न में डूबा हुआ है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई राममय दिख रहा है।

Pran Pratishtha latest photos

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Ram Mandir Pran Pratishtha wishes in Sanskrit: अयोध्या में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी जोरो से चल रही है। मुख्यमंत्री सीएम योगी आदित्यनाथ आज तैयारियों का जायजा लेने के लिए अयोध्या पहुंचे। आज यानी 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा होने जा रहा है। इसे लेकर देशभर में धूम देखने को मिल रही है। रामलला के आगमन से पहले पूरे अयोध्या को दुल्हन की तरह सजा दिया गया है। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर पूरा देश जश्न में डूबा हुआ है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई राममय दिख रहा है। लोग राम के भजन और गीत में झुमते दिख रहे हैं। सभी जगहों पर प्रभु श्री राम के मंदिर को सजा दिया गया है। ना केवल देश बल्कि नेपाल में भी प्रभु श्री राम का मंदिर जगमगा उठा है। प्राण प्रतिष्ठा से पहले ही लोग अलग अलग भाषाओं में अपने दोस्तो, रिश्तेदारों और करीबियों को फोटो, मैसेज, वीडियो और कोट्स के जरिए बधाई दे रहे हैं। ऐसे में अगर आप संस्कृत में अपने करीबियों को बधाई देना चाहते हैं तो ये शुभकामना संदेश भेज सकते हैं। यहां देखें राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के संस्कृत विशेज।

Ayodhya Ram Mandir Pran Pratishtha wishes in sanskrit

1. आपु आपने तें अधिक जेहि प्रिय सीताराम।

तेहि के पग की पानहीं तुलसी तनु को चाम॥

2. स्वारथ परमारथ रहित सीता राम सनेहँ।

तुलसी जो फल चारि को फल हमार मत एहँ॥

3. राम दूरि माया बढ़ति घटति जानि मन माँह।

भूरि होति रबि दूरि लखि सिर पर पगतर छाँह॥

4. करिहौ कोसलनाथ तजि जबहिं दूसरी आस।

जहाँ तहाँ दुख पाइहौ तबहीं तुलसीदास॥

5. बरसा को गोबर भयो को चहै को करै प्रीति।

तुलसी तू अनुभवहि अब राम बिमुख की रीति॥

6. तुलसी उद्यम करम जुग जब जेहि राम सुडीठि।

होइ सुफल सोइ ताहि सब सनमुख प्रभु तन पीठि॥

7. निज दूषन गुन राम के समुझें तुलसीदास।

होइ भलो कलिकाल हूँ उभय लोक अनयास॥

8. तुलसी दुइ महँ एक ही खेल छाँडि़ छल खेलु।

कै करु ममता राम सों कै ममता परहेलु॥

9. सनमुख आवत पथिक ज्यों दिएँ दाहिनो बाम।

तैसोइ होत सु आप को त्यों ही तुलसी राम॥

10. तुलसी जौ लौं बिषय की मुधा माधुरी मीठि।

तौ लौं सुधा सहस्र सम राम भगति सुठि सीठि॥

11. है तुलसी कें एक गुन अवगुन निधि कहें लोग।

भलो भरोसो रावरो राम रीझिबे जोग॥

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