Basant Panchami Poem in Hindi: धरा पे छाई है हरियाली, खिल गई हर इक डाली डाली.., सरस्वती पूजा के पावन मौके पर देखें बसंत पंचमी की कविताएं हिंदी में
Basant Panchami Poem in Hindi (बसंत पंचमी पर कविता): बसंत पंचमी का त्योहार आ गया है। बसंत आने के साथ ही सर्दियों की विदाई मानी जाती है। जाती हुई सर्दियां और बड़े होते दिन के साथ ही धीरे-धीरे तेज होती गुनगुनी धूप का यह मौसम हमेशा से भारतीय कवियों, शायरों और गीतकारों को आकर्षित करता रहा है। बसंत पर ना जाने कितनी ही कविताएं लिखी गई हैं। यहां देखें बसंत पंचमी की कविता, बसंत पंचमी के लिए कविता, बसंत पंचमी पर कविताएं हिंदी में।

Basant Panchami Poems in Hindi (बसंत पंचमी की कविताएं)
Basant Panchami Poem in Hindi (बसंत पंचमी पर कविता): आज बसंत पंचमी है।देशभर में बसंत पंचमी की धूम है। यह त्योहर सनातन धर्म में खास महत्व रखता है।बसंत पंचमी के इस खास दिन मां सरस्वती की पूजा की जा रही है। लोग माता की भक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं। देवी मंदिरों में बेहद भीड़ नजर आ रही है। हर कोई बसंत पंचमी के रंग में नजर आ रहा है। बसंत पंचमी की आमद के साथ ही सर्दियों की विदाई मानी जाती है। जाती हुई सर्दियां और बड़े होते दिन के साथ ही धीरे-धीरे तेज होती गुनगुनी धूप का यह मौसम हमेशा से भारतीय कवियों, शायरों और गीतकारों को आकर्षित करता रहा है। बसंत पर ना जाने कितनी ही कविताएं लिखी गई हैं। आइए पढ़ते हैं बसंत पंचमी की कविताएं हिंदी में। आप देख सकते हैं बसंत पंचमी के लिए कविता, बसंत पंचमी पर कविताएं हिंदी में।
Poem on Basant Panchami in Hindu | Basant ritu par Kavita | बसंत पंचमी की कविता
1. देखो-देखो बसंत ऋतु है आयी
अपने साथ खेतों में हरियाली लायी
किसानों के मन में हैं खुशियाँ छाई
घर-घर में हैं हरियाली छाई
हरियाली बसंत ऋतु में आती है
गर्मी में हरियाली चली जाती है
हरे रंग का उजाला हमें दे जाती है
यही चक्र चलता रहता है
नहीं किसी को नुकसान होता है
देखो बसंत ऋतु है आयी।
2. टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
कोयल की कुहुक रात
प्राची में अरुणिम की रेख देख पाता हूं
गीत नया गाता हूं
- अटल बिहारी वाजपेयी
3. धरा पे छाई है हरियाली
खिल गई हर इक डाली डाली
नव पल्लव नव कोपल फुटती
मानो कुदरत भी है हँस दी
छाई हरियाली उपवन मे
और छाई मस्ती भी पवन मे
उडते पक्षी नीलगगन मे
नई उमन्ग छाई हर मन मे
लाल गुलाबी पीले फूल
खिले शीतल नदिया के कूल
हँस दी है नन्ही सी कलियाँ
भर गई है बच्चो से गलियाँदेखो नभ मे उडते पतन्ग
भरते नीलगगन मे रंग
देखो यह बसन्त मसतानी
आ गई है ऋतुओ की रानी।
4. रग-रग में इतना रंग भरा,
कि रंगीन चुनरिया झूठी है !
क्या होड़ करें चन्दा तेरी,
काली सूरत धब्बे वाली !
कहने को जग को भला-बुरा,
तू हँसती और लजाती !
मौसम सच्चा तू सच्ची है,
यह सकल बदरिया झूठी है!
- गोपाल सिंह नेपाली
5. पतझर ही पतझर था मन के मधुबन में
गहरा सन्नाटा-सा था अंतर्मन में
लेकिन अब गीतों की स्वच्छ मुंडेरी पर
चिंतन की छत पर, भावों के आँगन में
बहुत दिनों के बाद चिरैया बोली हैं
ओ वासंती पवन हमारे घर आना!
- कुंअर बेचैन
6. आया वसंत आया वसंत
छाई जग में शोभा अनंतसरसों खेतों में उठी फूल
बौरें आमों में उठीं झूल
बेलों में फूले नये फूल
पल में पतझड़ का हुआ अंत
आया वसंत आया वसंत।
लेकर सुगंध बह रहा पवन
हरियाली छाई है बन बन,
सुंदर लगता है घर आँगन
है आज मधुर सब दिग दिगंत
आया वसंत आया वसंत।
भौरे गाते हैं नया गान,
कोकिला छेड़ती कुहू तान
हैं सब जीवों के सुखी प्राण,
इस सुख का हो अब नही अंत
घर-घर में छाये नित वसंत।
7. कलिका के चुम्बन की पुलकन
मुखरित जब अलि के गुंजन में
तब उमड़ पड़ा उन्माद प्रबल
मेरे इन बेसुध गानों में;
ले नई साध ले नया रंग
मेरे आंगन आया बसंत
- भगवतीचरण वर्मा
8. कौन रंग फागुन रंगे, रंगता कौन बसंत?
प्रेम रंग फागुन रंगे, प्रीत कुसुंभ बसंत।
चूड़ी भरी कलाइयाँ, खनके बाजू-बंद,
फागुन लिखे कपोल पर, रस से भीगे छंद।
- दिनेश शुक्ल
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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