Best Books on Politics: लोकसभा चुनाव 2024 के बीच पढ़ने लायक हैं राजनीति पर बेस्ड ये 5 लेटेस्ट बुक्स

Best Books to Read: लोकसभा चुनाव की इस सरगर्मी के बीच हम आपको हाल-फिलहाल में आई कुछ ऐसी किताबों के बारे में बता रहे हैं जो आपको पढ़नी चाहिए। इन किताबों के जरिए आप में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले अपने देश भारत की राजनीति की एक अलग तरह की समझ बनेगी।

Best 5 Books based on Politics

Best Books to Read in Elections 2024: देश में लोकसभा चुनावों का बिगुल बज चुका है। 19 अप्रैल से 1 जून के बीच 7 चरणों में जनता अगले पांच साल के लिए अपना प्रतिनिधि चुन संसद में भेजेगी। चुनाव 7 चरणों में होंगे। चुनाव के नतीजे 4 जून 2024 को घोषित किये जाएंगे। 4 जून को यह तय हो जाएगा कि क्या केंद्र की सत्ता एक बार फिर से भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए के पास ही रहती है या फिर विपक्ष को कोई मौका मिलेगा सरकार बनाने का।

लोकसभा चुनाव की इस सरगर्मी के बीच हम आपको हाल-फिलहाल में आई कुछ ऐसी किताबों के बारे में बता रहे हैं जो आपको पढ़नी चाहिए। इन किताबों के जरिए आप में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र कहे जाने वाले अपने देश भारत की राजनीति की एक अलग तरह की समझ बनेगी।

The Contenders by Priya SehgalSimon & Schuster के बैनर तले पब्लिश इस किताब में पत्रकार प्रिया सहगल ने उन 16 उभरते युवा नेताओं पर फोकस किया है जो आने वाले समय में भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। इस किताब में अखिलेश यादव से अरविंद केजरीवाल तक की राजनीतिक क्षमता पर बड़ी बारीकी से रोशनी डाली गई है। नरेंद्र मोदी युग में जहां राजनीति की धुरी एक व्यक्ति के इर्द-गिर्द घूमती है, वहीं ये देखना दिलचस्प होगा कि ये युवा राजनेता भारत के भविष्य की राजनीति में अपने पत्ते कैसे खेलेंगे? प्रिया सहगल की ये किताब किसी तरह के पूर्वाग्रह से परे एक ऐसा संकलन है जो आपको इन नेताओं के मजबूत और कमजोर पक्षों को एक साथ सामने रखती है।

The Contenders

India In Free Fall by Sanjay Jhaहार्पर कॉलिन्स इंडिया के प्रकाशन में छपी इस किताब को लिखा है संजय झा ने। संजय कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रह चुके हैं। भारतीय राजनीति में नरेंद्र मोदी काल पर आधारित इस किताब के जरिए संजय झा ने बताने की कोशिश की है कि कैसे भारत तेजी से पीछे जा रहा है। लेखक ने किताब में देश और राजनीति से जुड़े कई ऐसे सवाल खड़े किये हैं जिन्हें चुनावों के बीच सत्ताधारी नरेंद्र मोदी सरकार से जरूर पूछे जाने चाहिए।

India In Free Fall

Through The Broken Glassटीएन शेषन को भारत हमेशा ऐसे मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर याद करता रहेगा जिसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में चुनाव सुधार कर इतिहास रच दिया। अपनी इस ऑटोबायोग्राफी में शेषन ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। शेषन ने बतौर सीईसी कैसी चुनौतियां झेलीं और चुनाव सुधार में उन्हें क्या संघर्ष करना पड़ा हर बात को बड़ी साफगोई से किताब में व्यक्त की गई है। ऐसे में जब लोकसभा चुनाव का रंग देश पर चढ़ रहा है तो टीएन शेषन की यह ऑटोबायोग्राफी पढ़ना काफी दिलचस्प होगा। इस बुक को पब्लिश किया है Rupa Publications India ने।

Through The Broken Glass

The Incarcerations: Bhima Koregaon and The Search for Democracyलोकतंत्र के इस महापर्व के बीच आपके लिए अल्पा शाह की यह किताब भी पढ़नी चाहिए। यह किताब साल 2018 की उस घटना के तमाम स्याह सवालों को उजागर करती है जब 16 मानाधिकार एक्टिविस्ट्स को राजद्रोह के आरोप में जेल में ठूंस दिया गया था। इन मानवाधिकार एक्टिविस्ट में प्रोफेसर, वकील, पत्रकार और कवि शामिल थे जिन्हें बिना किसी ठोस सबूत माओवादी का ठप्पा लगा गिरफ्तार कर लिया गया था। इन कथित 'आतंकवादियों' पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की साजिश रचने का आरोप भी लगाया गया था। किताब को पब्लिश किया है Harper Collins ने।

The Incarcerations

Broken Promises by Mrityunjay SharmaWestland Books के पब्लिकेशन की ये किताब बिहार के सोशल एक्टिविस्ट मृत्युंजय शर्मा ने लिखी है। जैसा कि किताब के टाइटल से ही पता चलता है कि इसमें बिहार के नेताओं के उन टूटे वादों का जिक्र है जो उन्होंने सीधे या परोक्ष तौर पर वहां की जनता से किये थे। बिहार के सामाजिक-राजनीतिक इतिहास पर एक गहन शोध वाली यह किताब खासकर 90 के दशक पर केंद्रित है। बिहार हमेशा से देश की राजनीति में महत्वपूर्ण किरदार अदा करता रहा है। कर्पूरी ठाकुर और लोकनायक जयप्रकाश की कर्मभूमि रहे बिहार के माथे पर किस तरह से जंगलराज के दाग लगे उस पर इस किताब में रोशनी डाली गई है। लोकसभा चुनावों के बीच यह किताब पढ़ना वाकई में रोचक है।

Broken Promises

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