Best Heritage Sites of Rajasthan: यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल हैं राजस्थान की ये जगहें, एक बार तो जरूर जाएं
UNESCO World Heritage Places in Rajasthan: भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने जरूर आता है। यहां के कई पर्यटन स्थल यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल हैं।
Best Heritage Sites of Rajasthan: राजस्थान पर्यटन के लिहाज से भारत का बेहद खास राज्य है जो दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। भारत की सैर करने वाला हर तीसरा विदेशी सैलानी राजस्थान देखने जरूर आता है क्योंकि यह पर्यटकों के लिए "गोल्डन ट्रायंगल" का हिस्सा है। राजस्थान में हर जिले में कई दर्शनीय स्थल देखने को मिलते है। वीरभूमि राजस्थान का कण कण यहां की गौरवगाथा की गवाही देता है यहां विशेष रूप से दुर्ग हैं जिनकी भव्यता अद्भुत है। यहां के कई पर्यटन स्थल यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल हैं। आज राजस्थान के इन्हीं धरोहरों के बारे में आपको बताने जा रहे हैं।
चित्तौड़गढ़ दुर्ग
चित्तौड़ मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़गढ़ में स्थित चित्तौड़गढ़ दुर्ग भारत का सबसे विशाल दुर्ग है। यह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है जो भीलवाड़ा से कुछ किमी दक्षिण में है। यह एक विश्व विरासत स्थल है। चित्तौड़ के दुर्ग को 21 जून, 2013 में युनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया। यह इतिहास की सबसे खूनी लड़ाईयों का गवाह है। इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण मौर्यवंशीय राजा चित्रांगद मौर्या ने सातवीं शताब्दी में करवाया था और इसे अपने नाम पर चित्रकूट के रूप में बसाया।
कुम्भलगढ़ किला
कुम्भलगढ़ किले का निर्माण महाराणा कुम्भा द्वारा 15 वीं शताब्दी में करवाया गया। इस किले को बनने में करीब 15 साल का समय लगा तथा इतिहास में इस किले के निर्माण कार्य को लेकर अनेको कहानियां मौजूद हैं। समुद्र तट से 1100 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित कुम्भलगढ़ किले की दीवार की लंबाई लगभग 36 किमी है और इसकी चौड़ाई 15 से 25 फीट है। इस किले का निर्माण महाराणा कुम्भा द्वारा 15वीं शताब्दी में किया गया था। विश्व की दूसरी सबसे लंबी दीवार भारत के राजस्थान में स्थित राजसमंद जिले में ‘’कुम्भलगढ़’’ किले की है। इस किले को जीतने के लिए इस पर कई आक्रमण हुए। इस दुर्ग पर पहला आक्रमण महाराणा कुम्भा के शासनकाल में महमूद खिलजी ने किया, लेकिन वह इस किले को जीतने में नाकामयाब रहा। इसके बाद गुजरात के सुल्तान कुतुबुद्दीन ने इस दुर्ग पर आक्रमण किया लेकिन वह भी असफल रहा।
रणथंभोर किला
रणथंभोर दुर्ग सवाई माधोपुर के करीब रन और थंभ नाम की पहाडियों के बीच बना है। दुर्ग के तीनों ओर पहाडों में प्राकृतिक खाई बनी है जो इस किले की सुरक्षा को मजबूत कर अजेय बनाती है। यूनेस्को की विरासत संबंधी वैश्विक समिति की 36 वीं बैठक में 21 जून 2013 को रणथंभोर दुर्ग को विश्व धरोहर घोषित किया गया। यह राजस्थान का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है। इस दुर्ग का निर्माण क्षत्रिय जाट राजा सज्जन वीर सिंह नागिल ने करवाया था और उसके बाद से उनके कई उत्तराधिकारियों ने रणथंभौर किले के निर्माण की दिशा में योगदान दिया।
जैसलमेर का किला
जैसलमेर दुर्ग स्थापत्य कला की दृष्टि से उच्चकोटि का उदाहरण है। ये दुर्ग तिकोनाकार पहाडी पर स्थित है। इस दुर्ग का निर्माण ११५६ ई. में प्रारंभ हुआ था। परंतु समकालीन साक्ष्यों के अध्ययन से पता चलता है कि इसका निर्माण कार्य ११७८ ई. के लगभग प्रारंभ हुआ था। जैसलमेर दुर्ग पीले पत्थरों के विशाल खण्डों से निर्मित है। पूरे दुर्ग में कहीं भी चूना या गारे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। यह दुर्ग भी युनेस्को विश्व विरासत स्थल है।
आमेर किला
आमेर दुर्ग जयपुर के आमेर क्षेत्र में एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। कालांतर में कछवाहा राजपूत मान सिंह प्रथम ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया। लाल बलुआ पत्थर एवं संगमरमर से निर्मित यह आकर्षक एवं भव्य दुर्ग अपने में कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के लिये भी जाना जाता है। जयपुर आने वाले लोग इसे देखने जरूर जाते हैं। राजस्थान के पांच अन्य दुर्गों सहित आमेर दुर्ग को राजस्थान के पर्वतीय दुर्गों के भाग के रूप में युनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान
केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान या केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान भरतपुर में स्थित एक विख्यात पक्षी अभयारण्य है। इसको पहले भरतपुर पक्षी विहार के नाम से जाना जाता था। इसमें हजारों की संख्या में दुर्लभ और विलुप्त जाति के पक्षी पाए जाते हैं, जैसे साईबेरिया से आये सारस, जो यहाँ सर्दियों के मौसम में आते हैं। इसे 'विश्व धरोहर' भी घोषित किया जा चुका है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में बाणगंगा नदी बहती हैं।
जंतर मंतर
जयपुर का जन्तर मन्तर सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित एक खगोलीय वेधशाला है जोकि यूनेस्को के 'विश्व धरोहर सूची' में सम्मिलित है। प्राचीन खगोलीय यंत्रों और जटिल गणितीय संरचनाओं के माध्यम से ज्योतिषीय और खगोलीय घटनाओं का विश्लेषण और सटीक भविष्यवाणी करने के लिए इसक निर्माण कराया गया था। इस वेधशाला में 14 प्रमुख यन्त्र हैं जो समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, किसी तारे की गति एवं स्थिति जानने, सौर मण्डल के ग्रहों के दिक्पात जानने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
गगरौन दुर्ग
गागरोन दुर्ग भारतीय राज्य झालावाड़ जिले में स्थित है। 21जून, 2013 को राजस्थान के 5 दुर्गों को यूनेस्को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया जिसमें एक यह भी है। यह काली सिंध नदी और आहु नदी के संगम पर स्थित है। किले के प्रवेश द्वार के निकट ही सूफी संत ख्वाजा हमीनुद्दीन चिश्ती की दरगाह है। इस दुर्ग का निर्माण सातवीं सदी से लेकर चौदहवीं सदी तक चला था। डोड राजा बीजलदेव ने 12वीं सदी में निर्माण कार्य करवाया था।
सभी तस्वीरें Wikipedia से साभार
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | लाइफस्टाइल (lifestyle News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
कुलदीप सिंह राघव 2017 से Timesnowhindi.com ऑनलाइन से जुड़े हैं।पॉटरी नगरी के नाम से मशहूर यूपी के बुलंदशहर जिले के छोटे से कस्बे खुर्जा का रहने वाला ह...और देखें
महंगे तेल और शैंपू नहीं रोक रहे हेयर फॉल? तो ट्राई करें ये 3 आयुर्वेदिक उपचार, बालों का झड़ना होगा बंद तो हेयरलाइन भी दिखेगी घनी
अब घर पर ही मिलेगा पार्लर जैसा निखार, इस तरह करें हाइड्रा फेशियल, 50 में 25 सी चमकेगी त्वचा
Malaiyo: बनारस की मलइयो क्यों है खास, क्या है इस मिठाई का इतिहास? कैसे जादू करती है मलाई और ओस की बूंद, जानें सबकुछ
Shaadi Ki Shopping: दुल्हन की कलाइयों में रंग जमा देंगे ये फैंसी चूड़े, दिल्ली के इन मार्केट्स से खरीदे लहंगे से लेटेस्ट, ट्रेंडी, मैचिंग Choode
उम्र से पहले चेहरे पर आ रही झुर्रियों को कम कर देगा ये एंटी एजिंग फेस पैक, जवां और खूबसूरत त्वचा के लिए इस तरह करें अप्लाई
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited