जिज्ञासा का बने रहना बहुत जरूरी है, इससे जीवन नीरस नहीं होता और उल्‍लास बना रहता है

अगर शब्‍दकोश में जिज्ञासा जैसा शब्‍द न होता तो हमारा जीवन ऐसा नहीं होता, जैसा कि आज है। रचानत्‍मकता को बनाए रखने के लिए कुछ जानने-खोजने की चाह होना जरूरी है।

curiosity.

curiosity.

सुबह 3 बजे तक पेरिस ओलंपिक उद्घाटन समारोह देखने के बाद मेरे मन में कई सवाल उमड़ रहे थे। वैसे भी मुझे Celine Dion की परफॉर्मेंस देखनी ही थी। लेकिन ये सवाल साथ में आ गए जिनके जवाब के लिए अब मुझे अगली सुबह तक इंतजार करना था। मेरे पति गहरी नींद में सो रहे, इसलिए उन्हें नींद से जगाना सही नहीं लगा। हालांकि कई बार वह नींद में ही अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके थे।

अगली सुबह, जब मैंने अंतरराष्ट्रीय अखबारों को पढ़ा (भारतीय अखबारों में राजनीति, अपराध और क्रिकेट से इतर कुछ पढ़ने को म‍मिलता है?) और तब मैं जान सकी कि मैंने वास्‍तव में क्‍या शानदार अनुभव पाया है। अब मुझे पता चल गया था कि पेरिस में दौड़ने वाला हुड वाला पात्र कौन था (ओपेरा और असैसिन्स क्रीड के फैंटम से प्रेरित), जो लगभग नग्न नीले रंग का आदमी था (जो मदिरा और उत्सव के ग्रीक देवता डायोनिसस का प्रतीक था) या वो घुड़सवार महिला और उसका धातु वाला घोड़ा जो सीन नदी पर सरपट दौड़ रहा था (वो ओलंपिक भावना और सीक्वेना का प्रतिनिधित्वकर रही थी)! मैंने मदिरा के देवता बाचस की बेटी सीक्वेना के बारे में पढ़ा, जिसका पीछा नेप्च्यून ने किया था, और उससे बच निकलने के लिए खुद को सीन नदी में परिवर्तित कर लिया था। इतना जानने के बाद अब मुझे अच्छा लग रहा था और मेरे पास साझा करने के लिए कहानियां भी थीं। आखिर एक अच्छी कहानी किसे पसंद नहीं होती? और, मुझे तो अच्‍छी कहानियां शेयर करना अच्छा लगता है!

ऐसा मैंने कइ लोगों से सुना है कि जिज्ञासा इच्छाओं को मार देती है। लेकिन मैंने कभी ऐसा होते देखा नहीं। मेरे मामले में तो जिज्ञासा ने मुझे लगभग हमेशा ही दिलचस्प चीजों की ओर ले जाने का काम किया है ज‍िससे मुझे खुशी म‍िली और जीवन भर के लिए खूबसूरत यादें भी। यह यात्रा को और अधिक सार्थक बनाता है और मुझे ऐसी आकर्षक कहानियों से रूबरू कराने में मदद करता है जो मुझे रोमांचित करती हैं और बाद में आराम से सोचने के साथ-साथ शानदार बातचीत भी करने के लिए प्रेरित करती हैं। अगर जिज्ञासा नहीं होती तो मैं रात भर की यात्रा के दौरान तारागढ़ पैलेस में भूतिया चीजों के बारे में नहीं जान पाती, या इसे महसूस नहीं कर पाती। न तो मैं नौसिखिया-लड़की से शासक बनने वाली बेगम समरू के सरधाना महल के बारे में जान पाती। न ही जापान के ओसाका में यूनिवर्सल स्टूडियो में दुनिया की सबसे डरावनी सवारी के बारे में जो क‍ि उल्‍टी लटकती है।

दुख की बात ये है कि जिज्ञासा अक्सर एक निंदनीय गुण रही है, खासकर उन माता-पिता के साथ जो किसी बच्चे की जिज्ञासा को चिढ़ या क्रोध से बुझाने का काम करते हैं। बात का दूसरा पहलू ये भी है क‍ि जिज्ञासु होना बुद्धिमत्ता का प्रतीक माना जाता है, और यह एक सोशल क्‍वॉल‍िटी भी है। यह एक ऐसे उत्सुक मन को दर्शाती है जो बाहरी दुनिया से जुड़ने के ल‍िए बेचैन रहता है।

अब इस उदाहरण को लें। पेरिस की सड़कों पर घूम रहे एक बहुत बूढ़े जर्मन जोड़े को हाल ही में एक इंफ्लूएंसर ने रोका ज‍िसका काम इंस्‍टाग्राम पर रील्‍स बनाना है। उसने बूढ़े कपल से पहला सवाल जो पूछा कि उनकी शादी को कितना समय हो गया है। इस पर एक चौंकाने वाला जवाब आया- दो सप्ताह! दरअसल, वह वृद्ध जोड़ा फ्रांस में अपने हनीमून पर था! महिला ने खुलासा किया कि उसने एक जर्मन अखबार में विज्ञापन दिया था, "मैं एक जीवन साथी की तलाश में हूं" और इसके जवाब में उसे कई सौं लोगों ने अप्रोच क‍िया।

महिला का वर्तमान पति उन सैकड़ों आवेदन करने वालों में से एक थे। जब उनसे पूछा गया कि उनके पति के बारे में उनकी पसंदीदा चीज़ क्या है, तो उन्होंने तुरंत जवाब दिया, "वह बहुत जिज्ञासु हैं..." यह उसकी जिज्ञासा की भावना ही थी जिसने इस आदमी को भाग्यशाली विजेता बना दिया और उसे उसकी पत्नी मिल गई!

जो लोग अपनी जिज्ञासा बनाए रखते हैं वे सवाल पूछते हैं, उनके जवाब तलाशते हैं और आंखों के सामने की चीज से परे के बारे में सोचते हैं। शोध बताते हैं कि शैक्षणिक और व्यावसायिक सफलता निर्धारित करने में जिज्ञासा कितनी महत्वपूर्ण है। बुद्धिमत्ता आपको एक दृष्टिकोण और निरंतर चलते रहने के लिए प्रेरित करती है। इसे आप अपने अंदर खुद पैदा करते हैं। जिज्ञासा एक आदत और एक उपहार है जो आपके और आपके भव‍िष्‍य के ल‍िए एक कीमती उपहार के समान है। बुद्धिमान होने का मतलब सब कुछ जानना नहीं है, बल्कि सीखने के लिए अग्रसर रहना है। जिज्ञासु लोग गतिशील और आकर्षक होते हैं, उनके इंटर-पर्सनल रिलेशनशिप बेहतर होते हैं और उनका साथ भी दिलचस्प होता है।

जिज्ञासु मन की खोज का गहरा स्तर व्यापक, अधिक सूक्ष्म समझ और बुद्धिमत्ता की ओर ले जाता है। इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे व्‍यक्‍ति ने अपने बारे में कहा था कि मुझमें कोई विशेष प्रतिभा नहीं है। मैं केवल पूरी तरह से जिज्ञासु हूं। बेशक जिज्ञासा रचनात्मकता को बढ़ावा देती है और सभी आविष्कारों और विकास की जड़ भी जिज्ञासा ही होती है। यदि जिज्ञासा की कोई भावना नहीं होती, तो पहले समय में इंसानों ने भोजन का उत्पादन कैसे किया होता, पहिए का आविष्कार कैसे हुआ होता, घर या उपकरण की खोज कैसे होती और मशीनें कहां से बनती? यदि न्यूटन अपने सिर पर गिरे सेब के बारे में खोज करने को उत्सुक नहीं होता, तो क्या वह गुरुत्वाकर्षण के नियमों को परिभाषित कर पाता या आइंस्टीन ब‍िना ज‍िज्ञासा के सापेक्षता का सिद्धांत प्रस्तुत कर पाते?

इस सब से भी परे, क्या ज‍िज्ञासा के ब‍िना पूरी दुनिया जैसे आज नजर आ रही है, वो अस्तित्व में होती? यह बात और है क‍ि ग़लत चीजों को लेकर जिज्ञासा की आदत परेशानी का सबब हो सकती है और यह व्यक्तिगत सीमाओं को भी पार कर सकती है।

जिज्ञासा इच्छाओं को नहीं मार सकती है, लेकिन अगर यह सही राह पर न हो तो निश्चित रूप से कुछ रिश्तों को खत्म कर सकती है और ध्यान भटका सकती है, जिससे व्यक्ति अपने लक्ष्यों से दूर हो सकता है।

इसल‍िए बैलेंस बनाए रखने के लिए जरूरी है क‍ि आपकी जिज्ञासा सही द‍िशा में जा रही हो। अगर यह बौद्ध‍िक ज‍िज्ञासा होगी तो आपको व‍विकास और रचनात्‍मकता की ओर लेकर जाएगी। लेक‍िन इसी के साथ जरूरी है क‍ि सीमाओं का ध्‍यान रखा जाए और अपनी ज‍िज्ञासा से जुड़े खतरों के बारे में आगाह रहा जाए।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | Blogs (lifestyle News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

विनीता डावरा नांगिया author

विनीता डावरा नांगिया टाइम्स ग्रुप की एडिटर, लेखक और स्तंभकार हैं। लाइफस्टाइल और एंटरटेनमेंट जर्नलिज्म में दशकों साल के अनुभव वालीं विनीता सोसाइटी, रिल...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited