Book Review: बॉलीवुड के 'देव' आनंद बंधुओं के अनसुने किस्सों से रूबरू कराती है Hum Dono
Hum Dono: The Dev And Goldie Story: 'हम दोनों' तनुजा चतुवेर्दी के उस प्रेम का परिश्रम है जो उन्होंने आनंद ब्रदर्स - चेतन आनंद, देव आनंद और विजय आनंद (गोल्डी) के साथ सालों काम करके पाया। इस किताब के जरिए लेखिका ने बताया है कि देव और गोल्डी आनंद ने कितनी अथक मेहनत से एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं जो आज तक याद की जाती हैं।
Hum Dono: The Dev and Goldie Story by Tanuja Chaturvedi
Hum Dono Book Review in Hindi: देव आनंद ऐसी शख्सियत का नाम है जिसे शायद ही कोई सिनेप्रेमी भुला पाए। अपनी अदाकारी से दुनियाभर के दर्शकों का मनोरंजन करने वाले देव आनंद की निजी जिंदगी भी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी। देव आनंद और उनकी फिल्मों से जुड़ी एक नई किताब आई है जिसका नाम उनकी ही एक फिल्म से लिया गया है। इस बुक का टाइटल है हम दोनों (Hum Dono: The Dev and Goldie Story)। किताब लिखी है तनुजा चतुर्वेदी ने इसे पब्लिश किया है ब्लूम्सबरी ने।
हमारे सहयोगी चैनल जूम एंटरटेनमेंट से बात करते हुए तनुजा चतुर्वेदी ने बताया कि कैसे उनका पूरा परिवार देव आनंद और उनकी फिल्मों का दीवाना था। तनुजा कहती हैं कि देव आनंद के किरदारों की एक खासियत ये थी कि उनकी फिल्मों का नायक कभी जिंदगी से हारा हुआ नहीं था। वे किसी तरह से पीड़ित नहीं थे। उनमें सकारात्मकता और आशावाद की सहज भावना थी। यही बात उन्हें देव आनंद की दुनिया में अंदर तक लेती गई। तनुजा खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि उन्हें देव आनंद के साथ सालों काम करने का मौका भी मिला।
'हम दोनों' तनुजा चतुवेर्दी के उस प्रेम का परिश्रम है जो उन्होंने आनंद ब्रदर्स - चेतन आनंद, देव आनंद और विजय आनंद (गोल्डी) के साथ सालों काम करके पाया। इस किताब के जरिए लेखिका ने बताया है कि देव और गोल्डी आनंद ने कितनी अथक मेहनत से एक के बाद एक ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं जो आज तक याद की जाती हैं। इस किताब में तुनजा ने आनंद बंधुओं के साथ अपनी घनिष्ठता के जरिए कुछ बेहद रोचक तथ्य और अनसुने किस्सों को एकत्रित करके उनकी नौ सबसे बड़ी फिल्मों के बनने की कहानी बताई है।
देव आनंद के साथ अपनी बातचीत का संदर्भ देते हुए ऑथर ने बताया है कि कैसे निर्देशन के मामले में चेतन आनंद और विजय आनंद एक दूसरे से काफी अलग थे। चेतन ने कभी फिल्म की स्क्रिप्ट नहीं लिखी। उन्होंने हमेशा एक बुनियादी विज़ुअलाइज़ेशन के साथ काम किया। जबकि विजय आनंद किसी भी फिल्म पर काम शुरू करने से पहले उसकी स्क्रिप्ट और डॉलॉग्स लिखा करते थे। हर सीन को कागज पर उतारने के बाद ही वह शूटिंग शुरू करते थे।
तनुजा चतुर्वेदी की इस किताब की खासियत है कि इसमें देव आनंद के फिल्मों के कई सुपरहिट गानों के बनने के पीछे के दिलचस्प किस्से भी बताए गए हैं। जैसे किताब में उस किस्से को बड़े रोचक अंदाज में बताया गया है कि कैसे फिल्म नौ दो ग्यारह के एक गाने के लिए गोल्डी आनंद अपनी साइकिल के साथ बांद्रा से मलाड तक ट्रेन से जाते थे, और फिर साइकिल चलाते हुए संगीतकार आरडी बर्मन के घर पहुंचते थे। घर पर दिन भर गोल्डी बर्मन के साथ धुनों पर काम करते और फिर वापस जाते समय ट्रेन में इसे गुनगुनाया भी करते थे।
अंत में किताब थोड़ी देर रुकती है और उनके अंतिम दिनों के बारे में एक उपसंहार पर पहुंच जाती है, जो हमें उस वास्तविक विरासत के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है जिसे देव आनंद ने अपने भाई के साथ मिलकर बनाया था। अगर आप देव आनंद की फिल्मों और भारतीय सिनेमा के फैन हैं तो आपको यह किताब जरूर पढ़नी चाहिए।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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