Book Review: रामायण के अयोध्या के कितना करीब है आज की अयोध्या, क्या कहता है श्री राम की नगरी का वास्तु शास्त्र, इस किताब में मिलेगा जवाब

Ayodhya: A Walk Through the Living Heritage में अयोध्या से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के साथ ही उसकी वास्तुकला पर भी बेहतरीन तरीके से फोकस किया गया है। ​​ यह किताब लिखी है विपुल बी वार्ष्णेय ने।

Ayodhya: A Walk Through the Living Heritage

Book Review: अयोध्या वह शहर है जिसे भगवान राम की जन्मभूमि कहा जाता है। आज की अयोध्या वेदों में वर्णित अयोध्या से काफी अलग है। यहां कालांतर में अलग-अलग संस्कृतियां विकसित हुई हैं। यही कारण है कि अयोध्या की जो वास्तुकला है वो कई उतार चढ़ाव को दर्शाती है। अयोध्या के पौराणिक महत्व पर काफी कुछ लिखा और पढ़ा गया है। लेकिन हाल ही में आई एक किताब जिसका नाम Ayodhya: A Walk Through the Living Heritage में अयोध्या से जुड़ी पौराणिक मान्यताओं के साथ ही उसकी वास्तुकला पर भी बेहतरीन तरीके से फोकस किया गया है।
यह किताब लिखी है विपुल बी वार्ष्णेय ने। विपुल देश की जानी मानी आर्किटेक्ट हैं। अयोध्या का चर्चित और नवनिर्मित एयरपोर्ट विपुल ने ही डिजाइन किया है। किताब में अयोध्या की कहानी शुरू होती है पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व से जब अयोध्या में नॉर्दन ब्लैक पॉलिश्ड वेयर (NBPW) लोग रहा करते थे। माना जाता है कि अयोध्या में रहने वाली सबसे पहली प्रजाति यही थी। उसके बाद शुंग वंश से लेकर गुप्त वंश और ना जाने कितनी ही सभ्यताओं ने अयोध्या को अपने तरीके से संवारा और बिगाड़ा। इतिहास के साथ ही वेद पुराणों में वर्णित अयोध्या के वास्तु शास्त्र पर रोशनी डालती यह किताब आपके ज्ञान में काफी इजाफा करती है।
किताब को लेकर विपुल ने टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बात की। उन्होंने बताया अयोध्या पर रिसर्च को इस किताब की शक्ल देने में उन्हें करीब दो साल लग गए। वह अयोध्या एय़रपोर्ट और किताब पर एक साथ ही काम कर रही थीं। उन्होंने बताया कि अयोध्या और उसके आसपास के इलाके में रामायण और महाभारत काल के कई मंदिर के अवशेष मिले हैं। अयोध्या में राम मंदिर के अलावा भी कई ऐसे मंदिर और महल हैं धार्मिक तौर पर सनातन धर्म के लिए काफी महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। उन मंदिरों पर किताब में विस्तार से बताया गया है। उदाहरण के तौर पर ज्यादातर लोगों को यही पता है कि अयोध्या में हनुमान जी का मंदिर सिर्फ हनुमान गढ़ी में है, लेकिन वहीं आसपास सादतगंज, फतेहगंज और गुप्तर घाट पर भी प्राचीन काल के हनुमान मंदिर हैं।
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