संस्कृत में नवरात्रि की शुभकामनाएं कैसे दें, देखें हैपी नवरात्रि कोट्स

संस्कृत में नवरात्रि की शुभकामनाएं देने के लिए यहां आप कोट्स, मंत्र, विशेज, ग्रीटिंग्स आदि देख सकते हैं। 2023 में चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से प्रारंभ हो रहे हैं। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ अलग अलग भव्य रूपों की पूजा की जाएगी। इन नौ दिनों की विशेज भी आप देख सकते हैं।

मां का जयकारा लगाने के लिए प्रस्तुत हैं हैपी नवरात्रि कोट्स, मंत्र, विशेज, ग्रीटिंग्स संस्कृत में। चैत्र नवरात्रि 2023 (Chaitra Navratri 2023 Dates) की शुरूआत 22 मार्च से हो रही है। ये नौ दिन मां दुर्गा की उपासना के रहेंगे और मां के नौ अलग अलग रूप की पूजा इस दौरान पूरी श्रद्धा और आस्था से होगी। इस दौरान महाष्टमी (Chaitra Navratri 2023 Ashtami Date) 29 मार्च को मनाई जाएगी और नवमी तिथि 30 मार्च (Chaitra Navratri 2023 Navmi Date) को होगी।

मां के भक्त नवरात्रि में शुभकामनाओं (Happy Navratri in Sanskrit) का आदान प्रदान भी करते हैं। मां की भक्ति कष्ट दूर करने वाली और मनोकामना पूर्ति करने वाली मानी जाती है। आप यहां देवभाषा संस्कृत में नवरात्रि की शुभकामनाएं, शुभेच्छा संदेश, कोट्स (Happy Navratri quotes in Sanskrit), मंत्र, विशेज, ग्रीटिंग्स आदि देख सकते हैं।

Navratri greetings in Sanskrit

  • ॐ सर्वमंगल मांगल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्रयम्बके गौरी, नारायणी नमोस्तुते !!
  • सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
  • या देवी सर्वभूतेषु.. शक्तिरूपेण संस्थिता: नमस्तस्यै.. नमस्तस्यै.. नमस्तस्यै नमो नम:
  • ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
  • या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ ||
  • ॐ ह्रीं दुं दुर्गाय नमः ॥
  • या देवी सर्वभूतेषु भक्ति रूपेण संस्थिता| नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ||
  • दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
  • नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तो स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि। दारिद्र्य दु:ख भयहारिणि का त्वदन्या सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽ‌र्द्रचित्ता।।
  • सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित:। मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।
  • महिषासुरनिर्नाशि भक्तानां सुखदे नमः। रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
  • कलाकाष्ठादिरूपेण परिणामप्रदायिनि। विश्वस्योपरतौ शक्ते नारायणि नमोऽस्तु ते।।
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