Chhath Puja 2022: जानिए छठ पूजा में क्या होता है बांस के सूप का महत्व, सेहत के लिए होता है बेहद फायदेमंद

Chhath Puja 2022 Bamboo: छठ पूजा का त्योहार देश के कई हिस्सों में धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन बांस के सूप के जरिए सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है। बांस के सूप के बिना छठ पूजा अधूरी है। जानिए बांस और बांस के सूप के ये फायदे।

Bamboo-Benefits

Bamboo Benefits

मुख्य बातें
  • छठ पूजा का त्योहार देश के कई हिस्सों में मनाया जा रहा है।
  • छठ पूजा में बांस के सूप से सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है।
  • बांस के स्वास्थय के लिए कई फायदे होते हैं।

Chhath Puja 2022 Bamboo Soop: छठ पूजा त्योहार का आज (29 अक्टूबर) दूसरा दिन खरना है। इससे पहले नहाय खाय था। खरना पूजा करने से ही घर में छठी मइया का आगमन होता है। इस त्योहार में बांस से बने सामान खासर सूप, टोकरी, दउरा,डगरा और कोनी का विशेष महत्व होता है। मान्यताओं के अनुसार बिना बांस के सूप के छठ की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसी में फल और प्रसाद रखकर घाट ले जाया जाता है। साथ ही सूर्य देवता को अर्घ्य दिया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार बांस यानी बैंबू को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। बांस धरती में बिना रूके ही आगे बढ़ता है। मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा में बांस के सूप से सूर्य को अर्घ्य देने से उसी प्रकार वंश में भी तेजी से वृद्धि होती है। बांस स्वास्थय के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है। बांस में हाई फाइबर होता है। ये वजन को घटाने में बेहद कारगर है। इसके अलावा ये बुरे कॉलेस्ट्रोल को कम करता है। इससे दिल की सेहत भी अच्छी होती है। इसके अलावा पाचन प्रक्रिया को भी अच्छा करता है।

इन चीजों में भी इस्तेमाल होता है बांस

बांस से आप कई खाद्य सामग्री बना सकते हैं। बैंबू शूट को सोया सॉस और मक्खन में मिलाकर खाने के साथ खा सकते हैं। इससे खाने का स्वाद भी बढ़ जाता है। इसके अलावा बैंबू का आचार भी बनाया जाता है। बांस को कभी भी कच्चा खाना नहीं चाहिए। इससे पेट में दिक्कत हो जाती है। इसके अलावा बांस कई स्वास्थय संबंधी समस्याओं का रामबाण इलाज भी है। बांस के कपोला से कान का दर्द ठीक होता है। आपको त्वचा से जुड़ी परेशानी है तो बांस के पत्ते काफी फायदे हैं।

छठ पूजा के चार दिन

छठ पूजा की बात करें तो ये कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से यह व्रत शुरू होता है। इसे नहाय खाय कहते हैं। कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना कहते हैं। इस दिन शाम को व्रती गुड़ से बनी खीर और रोटी खाकर व्रत तोड़ते हैं।

तीसरे दिन टोकरी की पूजा कर व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिए तालाब, नदी या घाट पर जाते हैं। नहाने के बाद डूबते सूर्य की पूजा करते हैं। चौथे दिन सप्तमी को सुबह सूर्योदय के समय विधिवत पूजा कर छठ का प्रसाद वितरित किया जाता है।

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शिवम पांडे author

शिवम् पांडे सिनेमा के आलावा राजनीति, व्यापार और अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में खास रुचि है। पत्रकारिता में लगभग सात साल का अनुभव रखने वाले शिवम् पांडे बॉ...और देखें

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