Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: 18 साल की उम्र में शिवाजी ने बना ली थी सेना, गुरु की चरण पादुका सिंहासन पर रख किया शासन

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: छत्रपति शिवाजी महाराज की आज तिथिवार जयंती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार शिवाजी का जन्म फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, 1551 शक संवत् को हुआ था।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: 18 साल की उम्र में शिवाजी ने बना ली थी सेना, गुरु की चरण पादुका सिंहासन पर रख किया शासन

Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti: शिवाजी उर्फ छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान भारतीय शासक और हिंदू स्वराज के संस्थापक थे। पंचांग के मुताबिक़, शिवाजी का जन्म फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, 1551 शक संवत् को हुआ था। धार्मिक और आध्यात्मिक व्रती रखने वाले शिवाजी महाराज रामायण और महाभारत दोनों का ही दैनिक अभ्यास करते थे। शिवाजी की माता का नाम जीजाबाई था। और इनके पिता का नाम शाहजी भोंसले था। बचपन से ही शिवाजी ने राजनीति और युद्ध की शिक्षा ली थी। शिवाजी के जीवन पर उनकी माता और उनके गुरु का बहुत अधिक प्रभाव पड़ा।

शिवाजी का सपना था कि मराठों का एक अलग राज्य हो, इसी सपने को लेकर शिवाजी ने मात्र 18 साल की उम्र में ही सेना बनाना शुरू कर दिया था। और धीरे-धीरे छोटे-छोटे राज्यों पर आक्रमण कर उन्हें जीतना प्रारंभ कर दिया। शिवाजी महाराज का जन्म19 फरवरी 1630 को हुआ था। वहीं हिन्दू पंचांग के अनुसार शिवाजी का जन्म फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, 1551 शक संवत् को हुआ था।

विवाह एवं राज्याभिषेक

शिवाजी महाराज का विवाह 14 मई 1640 को सईबाई निम्बालकर के साथ लाल महल पूना (पुणे) में हुआ था। सन 1674 तक शिवाजी के सम्राज्य का अच्छा खासा विस्तार हो चुका था। राज्याभिषेक समारोह में लगभग रायगढ़ के लगभग 5000 लोग इकट्ठा हुए। जहां शिवाजी को छत्रपति का खिताब दिया गया। उनके राज्याभिषेक के 12 दिन बाद ही उनकी मां का देहांत हो गया। इस वजह से 4 अक्टूबर 1674 को दूसरी बार उनका राज्याभिषेक हुआ। इस समारोह में हिन्दू स्वराज की स्थापना का उद्घोष किया गया था।

शिवाजी महाराज का चरित्र

शिवाजी महाराज ने अपने पिता से स्वराज की शिक्षा हासिल ली, और जब बीजापुर के सुल्तान ने उनके पिता को बंदी बना लिया तो शिवाजी महाराज ने एक आदर्श पुत्र की तरह अपने पिता को बीजापुर के राजा से सन्धि कर के छुड़वा लिया। अपने पिता की मृत्यु के बाद ही शिवाजी ने अपना राज-तिलक कराया। वह एक महान सेना नायक के साथ एक अच्छे कूटनीतिज्ञ भी थे। वह अपने शत्रु को बड़ी आसानी से मात दे देते थे।

शिवाजी महाराज की मृत्यु

3 अप्रैल, 1680 में तीन सप्ताह तक लगातार बीमार रहने के कारण यह महावीर हिन्दू सम्राट हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में अमर हो गया मृत्यु के समय उनकी आयु 50 थी। उन्होंने अपना पूरा जीवन मराठा और हिन्दू साम्राज्य के लिए समर्पित कर दिया। मराठा इतिहास में सबसे पहला नाम शिवाजी का ही आता है। आज महाराष्ट्र सहित पूरे देश में छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती बड़े ही धूम-धाम और उल्लास के साथ मनाई जाती है।

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