Chhatrapati Shivaji Maharaj Punyatithi 2023: छत्रपति शिवाजी महाराज की वो तलवार जिससे कांपता था औरंगजेब...पढ़ें परम प्रतापी शिवाजी के अनसुने किस्से

Chhatrapati Shivaji Maharaj Punyatithi 2023: आज छत्रपति शिवाजी महाराज की 343वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है। आज ही के दिन 1680 में गंभीर बीमारी के चलते शिवाजी महाराज ने पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में अपने प्राण त्याग दिए थे। इतिहास के पन्नों पर वीर छत्रपति महाराज का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। आज भी वह एक सौ तीस करोड़ देशवासियों की प्रेरणा के स्रोत हैं। आइए जानते हैं त्याग, बलिदान और पौरुष के देवता छत्रपति शिवाजी महाराज अनसुने तथ्य, जिसके आज तक नहीं जानते होंगे आप।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Punyatithi, Chhatrapati Shivaji Maharaj Jayanti 2023

Chhatrapati Shivaji Maharaj Punytithi 2023: आज छत्रपति शिवाजी महाराज की 343वीं जयंती

मुख्य बातें
  • आज छत्रपति शिवाजी महाराज की 343वीं पुण्यतिथि।
  • 3 अप्रैल 1680 बीमारी के चलते त्याग दिए थे प्राण।
  • शिवाजी महाराज के नाम से कांपता था औरंगजेब।

Chhatrapati Shivaji Maharaj Punyatithi: पीकर जिनकी लाल शिखाएं उगल रही सौ लपट दिशाएं, जिनके सिंहनाथ से सहमी धरती रही अभी तक डोल..जी हां हम बात कर रहे हैं भारत की धरती पर जन्में एक ऐसे वीर योद्धा की जिसका नाम सुनते ही बड़े-बड़े हुक्मरानों की सल्तनत थरथरा (Chhatrapati Shivaji Maharaj Anniversry) उठती थी। एक ऐसे वीर योद्धा की जिसने हिंदुस्तान से मुगल सल्तनत का नामों निशान जड़ से खत्म कर दिया। ये कोई और नहीं बल्कि त्याग, बलिदान और पौरुष के देवता छत्रपति शिवाजी महाराज हैं, ये वो नाम है जिसके एक हुंकार से औरंगजेब थरथर कांप (Chhatrapati Shivaji Maharaj Smruti Din) उठता था। आज छत्रपति शिवाजी महाराज की 343वीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है।

आज ही के दिन 1680 में गंभीर बीमारी के चलते शिवाजी महाराज ने पहाड़ी दुर्ग राजगढ़ में अपने प्राण त्याग दिए थे। इतिहास के पन्नों पर वीर छत्रपति महाराज का नाम सुनहरे अक्षरों में (Chhatrapati Shivaji Maharj Death Anniversary) दर्ज है। आज भी वह एक सौ तीस करोड़ देशवासियों की प्रेरणा के स्रोत हैं। शिवाजी महाराज ने अपना पूरा जीवन देश सेवा में हिंदू धर्म को बचाने के लिए समर्पित कर दिया।

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में शाहजी भोसले के घर हुआ, उनकी माता का नाम जीजाबाई था। इस दौरान ना केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरा भारत मुगल आक्रमणकारियों के आगे बेबस नजर आ रहा था। मुगलिया सल्तनत ने दिल्ली सहित लगभग पूरे भारत पर कब्जा कर (Chhatrapati Shivaji Maharaj Punyatithi Essay) लिया था। हिंदू धर्म संकट के में था। इस स्थिति को देखते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज ने महज 15 साल की उम्र हिंदू हुकूमत को एक बार फिर से स्थापित करने की प्रतिज्ञा ली।

सनातन धर्म की रक्षा के लिए कर दिया पूरा जीवन समर्पित

शिवाजी महाराज का नाम लेते ही आज भी लोगों के खून में उबाल आ जाता है। शिवाजी ने ना केवल मराठा साम्राज्य की नींव रखी बल्कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते छत्रपति शिवाजी महाराज के बारे में अनुसुने तथ्य कैसे मिली उन्हें शिवाजी की उपाधि। यहां जानें इन सभी सवालों के जवाब।

आदिलशाह को घुटने टेकने के लिए कर दिया था मजबूर

जब मुगलिया सल्तनत ने भारत पर कब्जा कर राजा महाराजाओं को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया तो शिवाजी महाराज ने महज 15 वर्ष की आयु में मुगलिया सल्तनत को धूल चटाने की ठान ली और उन्होंने बीजापुर पर धावा बोल दिया। शिवाजी जी एक कुशल युद्ध की रणनीति तैयार की औ गोलिल्ला युद्ध के जरिए बीजापुर के शासक आदिलशाह को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया।

जब औरंगजेब ने शिवाजी को बना लिया था बंदी

यह बात साल 1966 की है, जब शिवाजी महाराज ने आदिलशाह को मौत के घाट उतारने के बाद बीजापुर के चार किलों पर कब्जा जमा लिया था। इसके बाद से औरंगजेब शिवाजी महाराज के नाम से कांपने लगा था। इसके बाद उसने शिवाजी महाराज को बंदी बनाने के लिए संधि के लिए हांथ आगे बढ़ाया और सुलह करने की ठान ली। शिवाजी महाराज जब औरंगजेब के संधि के प्रस्ताव पर आगरा पहुंचे तो उन्हें बंदी बना लिया गया, लेकिन मुगलिया सल्तनत उन्हें ज्यादा दिनों तक अपने कब्जे में नहीं रख पाई, जल्द ही शिवाजी ने एक तरकीब के तहत फल की टोकरी में बैठकर जेल से फरार हो गए। इसके बाद शिवाजी ने ठान लिया कि, वह मुगलिया सल्तनत को जड़ से खत्म करके ही रहेंगे।

सभी धर्मों को देते थे सम्मान

शिवाजी महाराज सभी धर्मों का समान रूप से सम्मान करते थे। उन्होंने कभी भी किसी भी धार्मिक स्थल पर हमला नहीं किया और सभी धर्मों के लोगों को एक ही दृष्टि से देखा। साथ ही छत्रपति शिवाजी महाराज जबरन धर्म परिवर्तन के खिलाफ थे, उन्होंने हमेशा से इसका विरोध किया। आपको शायद ही पता होगा शिवाजी महाराज ने गोरिल्ला वॉर की एक नई शैली विकसित की थी। इतना ही नहीं उन्होंने अपने राजकाज में संस्कृत व फारसी को अधिक वरीयता दी थी।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | लाइफस्टाइल (lifestyle News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

आदित्य सिंह author

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की नगरी अयोध्या का रहने वाला हूं। लिखने-पढ़ने का शौकीन, राजनीति और शिक्षा से जुड़े मुद्दों में विशेष रुचि। साथ ही हेल्...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited