त्योहार आते ही होने लगती है घबराहट, छूट जाते हैं पसीने! यहां जानें अपनी समस्या का नाम और क्या है निदान
Mental disorder Anhedonia: त्योहारों की रौनक बढ़ने के साथ ही क्या आपको कहीं अकेले रहने का मन करता है। कभी सोचा कि क्यों आपको सभी से मिलने में परेशानी होती है। इसकी वजह है एक मेंटल प्रॉब्लम जो एकाकी होती जीवनशैली में कॉमन होती जा रही है।
Mental disorder Anhedonia: ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें त्योहारों में जरा भी दिलचस्पी नहीं होती। उन्हें शॉपिंग करना, लोगों से मिलना, रंगोली बनाना, पकवान बनाना, इन सब चीजों में टाइम वेस्ट करना पसंद नहीं होता। दरअसल ये मेंटल डिस्ऑर्डर की ओर इशारा करता है। ऐसे लोग जो हर समय, यहां तक कि त्योहारों पर भी अकेले रहना पसंद करते हैं या डिप्रेशन में रहते हैं - उनके साथ एंहेडोनिया है नाम के मेंटल डिस्ऑर्डर की समस्या होती है। वे न तो खुद उत्साह दिखाते हैं और न ही दूसरे का उत्साह उन्हें पसंद आता है। मनोचिकित्सकों द्वारा इसके पीछे कई कारण बताए जाते हैं।
What is anhedonia disorder?
लोगों में समाज से दूरी, उत्सवों में उत्साह कम, फेस्टिवल में रुचि नहीं जैसी स्थिति पैदा होने की वजह मानसिक रोग होता है जिसे चिकित्सा की भाषा में Anhedonia कहा जाता है। ये एक ऐसी मानसिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति को आनंद अनुभूति की क्षमता कम होने लगती है। इसे एक तरह का डिप्रेशन भी कह सकते हैं। हालांकि यह एक सामान्य मानसिक विकार हो सकते हैं। साइकेट्रिस्ट के अनुसार अगर ये समस्या सिर्फ फेस्टिवल के दौरान महसूस हो तो यह चिंताजनक नहीं माना जाएगा। वहीं अगर ये जीवन के सभी आयामों जैसे फूड, सेक्स, म्यूजिक, गैदरिंग आदि में भी इंट्रेस्ट काम होने लगे तो ये डिप्रेशन के लक्षण हैं। इसे इस्टीमिया भी कहा जा सकता है। इस दौरान आपको लगातार उदासी, अनिंद्र, थकान, निराशा ही महसूस होते हैं।
Anhedonia की वजह
1. फेस्टिव एंजाइटी
त्योहारों पर बचपन में परिवारों के बीच कलह, किसी की दर्दनाक मौत, ब्रेक अप, या और भी कोई बुरी घटना घटी हो। ऐसे लोगों के दिमाग से वो बुरे पल चाह कर भी नहीं निकलते हैं। इसलिए भी उन्हें त्योहारों में कोई दिलचस्पी नहीं होती है।
वहीं दूसरे वो लोग होते हैं जो अपने रेगुलर रूटीन को अनफॉलो करना पसंद नहीं करते हैं।
2. सोशल स्ट्रक्चर
कॉरपोरेट कल्चर में लोगों के वर्किंग ऑवर्स का ज्यादा होना, घर की बजाय फ्लैट में रहना, त्योहारों के टाइम मूवीज जाना, रेस्टोरेंट्स में डिनर करना, क्लब जाना आदि से व्यक्तिगत लगाव कम हो रहे हैं। पहले फेस्टिवल पर ही कपड़ों की शॉपिंग करते थे। लेकिन अब 365 दिन में कभी भी आउटफिट्स की शॉपिंग कर लेते हैं। डॉक्टर कहते हैं कि ये सभी सोशल स्ट्रक्चर की इकाई हैं, जिसमें लगातार बदलाव होता जा रहा है। दरअसल, त्योहारों पर हमारी संस्कृति, विरासत और रीति-रिवाजों में पहले के मुकाबले कटौती हुई है। इसी सोशल स्ट्रक्चर के कारण लोगों में दूरी आती जा रही है जिसके कारण लोगों में स्ट्रेस, एंजाइटी और डिप्रेशन का स्तर बढ़ रहा है।
Anhedonia से कैसे बचें
अगर आपको सच में त्योहारों में कोई इंट्रेस्ट नहीं आ रहा हो तो आपको मानसिक रोग विशेषज्ञ से मिलना चाहिए। आप भीड़भाड़, फैमिली गेट टुगेदर, फूड, ट्रैवल, सेक्स, फेस्टिवल, पार्टी से हमेशा बच कर निकलने की चाह रखते हैं तो ऐसे में आपको साइकेट्रिस्ट से सलाह लेने की जरूरत है।
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मेधा चावला author
हरियाणा की राजनीतिक राजधानी रोहतक की रहने वाली हूं। कई फील्ड्स में करियर की प्लानिंग करते-करते शब्दो...और देखें
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