Dushyant Kumar Shayari: हो गई है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए.., आज भी रग़ों में जोश भर देंगी दुष्यंत कुमार की ये बेहतरीन नज्में

Dushyant Kumar Poetry in Hindi: तू किसी रेल सी गुजरती है, मैं किसी पुल सा थरथराता हूं.., दुष्यंत कुमार आज भी युवाओं के पसंदीदा शायर हैं। उनकी कविताओं में जहां क्रांति की मसाल जलती दिखती है वहीं सपने टूटने की पीड़ा और फिर से उठ खड़े होने का हौंसला भी बखूबी दिखता है। 'इरशाद' के आज के अंक में डालते हैं दुष्यंत कुमार की अमर रचनाओं पर एक नजर:

Dushyant Kumar Poems in Hindi, Dushyant Kumar Famous Shayari

Dushyant Kumar Shayari, Poems, Ghazal in Hindi: दुष्यंत कुमार भारत की धरती पर एक ऐसे कवि के रूप में रहे जिनकी रचनाओं में तत्कालीन व्यवस्था के प्रति रोष और क्षोभ बखूबी दिखाई देता था। उनकी रचनाओं में हमेशा व्यवस्था के प्रति मोहभंग दिखा। दुष्यंत कुमार की कविताओं को समझेंगे तो पता चलेगा कि वह जबरन क्रान्ति लाने में विश्वास नहीं करते। वह जानते थे कि क्रान्ति को जब आना होगा, तब आएगी। दुष्यंत कुमार मानते थे कि जब समय के अत्याचारों, अन्याय और शोषण से व्यक्ति स्वयं त्रस्त होगा, तब क्रांति आएगी। सामाजिक सरोकार के साथ उनकी रचनाओं में सपने टूटने की पीड़ा भी बखूबी दिखाई दी। आइए डालते हैं दुष्यंत कुमार के चंद चुनिंदा नज्मों पर एक नजर:

Dushyant Kumar Famous Poetry

1. इस नदी की धार से ठंडी हवा आती तो है

नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है

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