Essay on Pollution: प्रदूषण पर निबंध, देखें इंसान कैसे खुद कर रहा अपनी मौत का इंतजाम
Essay on Pollution: विकसित और विकासशील दोनों ही देशों में बढ़ती जनसंख्या, सुविधाएं और विज्ञान के वरदान के साथ प्रदूषण जैसे अभिशाप का स्तर भी लगातार बढ़ता ही जा रहा है। न केवल वायू प्रदूषण बल्कि जल, भूमि, ध्वनि प्रदूषण भी लगातार प्रकृति का विनाश करने की ओर अग्रसर है। देखें प्रदूषण प्राणीमात्र के लिए कितना खतरनाक है, और इसे कैसे खत्म करें।
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Essay on Pollution: बीते कुछ सालों में देश और दुनिया ने मिलकर ज्ञान और विज्ञान को नए एवं बहुत ही सराहनीय पैमानों पर पहुंचाया है। हालांकि जैसे हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही विज्ञान के विकास के भी अच्छे और बुरे दोनों ही पहलू लगातार हमारे सामने आ रहे हैं। एक तरफ जहां तेज़ी से बढ़ती गाड़ियां, इंडिस्ट्रीज, फैक्ट्रियां, मशीनी उपकरणों ने हमारे जीवन जीने के ढंग को बहुत आसान बना दिया है। वहीं दूसरी ओर इस विकास की सुरत में मिले बुरे नतीजे भी अब मानवजाति को ही भुगतने पड़ रहे हैं। वरदान माने जाने वाले विज्ञान ने प्रदूषण (Pollution) के रूप में हमारे बीच में एक ऐसा ज़हर भर दिया है, जिसे निगल या उगल पाना दोनों ही बहुत मुश्किल है।संबंधित खबरें
आज के युग में खराब हवा में सांस लेना, दूषित पानी पीना या फिर शोर-शराबे में गुजर बसर करना कोई बहुत असामान्य बात नहीं है। हालांकि ये बहुत ही आम लगने वाली बात कब प्राणीमात्र का सर्वनाश करदेगी, इसका अंदाजा मौजूदा हालातों से लगाया जा सकता है। विज्ञान की कोख से जन्मा प्रदूषण विश्व भर में अपने पैर पसार रहा है। और मानवजाति के इस स्वार्थ भरे कदम का हरजाना पेड़-पौधों, जीव-जन्तुओं समेत प्रकृति के हर हिस्से को भरना पड़ रहा है। प्रदूषण का संबंध केवल दूषित हवा में सांस लेने से या गंदा पानी पीने से नहीं है बल्कि प्रकृति और पर्यावरण में आए उस भारी असंतुलन से भी है, जिसकी वजह से क्लाइमेट चेंज, ग्लोबल वॉर्मिंग, हीट वेव आदि जैसी समस्याओं का रिस्क बढ़ता जा रहा है। संबंधित खबरें
प्रदूषण के प्रकार
आमतौर पर प्रदूषण 4 प्रकार का होता है। जिसमें वायू प्रदूषण, जल प्रदूषण, भूमि और ध्वनि प्रदूषण शामिल है। हालांकि इसके अलावा भी पर्यावरण में ऐसी बहुत सी दूषित चीजें हैं, जिन्हें प्रदूषण की गिनती में गिना जा सकता है। संबंधित खबरें
वायू प्रदूषण (Air Pollution) – विश्व की आबादी बढ़ने के साथ ही, लोगों की जरूरतें बढ़ रही हैं। और इन्हीं बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से गाड़ी-घोड़े, नौकरी, जैसी सुविधाओं में भी वृद्धि हो रही है। वाहनों, उद्योगों की बढ़ती संख्या वायू प्रदूषण का मुख्य कारण है। साथ ही खेतों में जलने वाली पराली भी वायू प्रदूषण के स्तर में बढ़त पैदा करती है।संबंधित खबरें
जल प्रदूषण (Water Pollution)– पानी के बिना जीवन की कल्पना करना नामुमकिन है। वहीं नदी और समुद्रो की बिगड़ती हालत इस बात का संकेत करती है कि, कितनी जल्दी प्राणीमात्र इस संसार को नष्ट कर देगा। पवित्र मानी जाने वाली नदियां इन दिनों कचरे और नालियों के पानी से भरी हुई हैं। संबंधित खबरें
भूमि और मृदा प्रदूषण (Land and Soil Pollution) – खाने वालों की संख्या में वृद्धि के मद्देनजर, खाने के उत्पादन की मात्रा में भी वृद्धि की गई है। जिसकी वजह से खेतों की भूमि बंजर हो गई हैं। वहीं पेड़-पौदों को काटकर औद्योगिक क्षेत्रों ने भी भूमि की गुणवत्ता का नाश मिला दिया है।संबंधित खबरें
ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution) - कारखानों, गाड़ियों, मशीनों, स्पीकरों और पटाखों की आवाज से ध्वनि प्रदूषण फैलता है। जो पर्यावरण के साथ साथ मनिष्य की सेहत के लिए भी बहुत हानिकारक माना जा सकता है।संबंधित खबरें
जहर से कम नहीं प्रदूषण
इंसानों द्वारा ही पैदा की गई ये परेशानी, धीरे-धीरे हम ही को मौत के करीब पहुंचा रही है। प्रदूषण किसी भी तरह का हो, इसका नकारात्मक असर मानवजाति पर कहीं न कहीं से हो ही जाएगा। अत्यधिक ठंड़, अत्यधिक गर्मी, बिन मौसम बरसात, सुखा, बाढ़, भूस्खलन प्रदूषण के ही प्रकोप हैं।संबंधित खबरें
कैसे होगा सुधार
प्रदूषण कोई एक दिन में या एक व्यक्ति से ठीक होने वाली समस्या हरगिज नहीं है। प्रदूषण को जड़ से खत्म करने के लिए वैश्विक स्तर पर संतुलित लड़ाई लड़नी होगी। ताकि मिले-जुले और असरदार परिणामों की अपेक्षा की जा सके। हालांकि बदलाव की शुरुआत घर से ही होती है, इसलिए अगर प्रकृति को रोता-बिलकता नहीं देखना चाहते हैं। तो आज ही पेड़ लगाने, धूआं न करने, पानी गंदा न करने, वातावरण में अनचाही ध्वनि न फैलाने जैसे छोटे छोटे कदम उठाने चालू करिए। संबंधित खबरें
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अवनि बागरोला author
मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की...और देखें
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