Clothes on Rent: बजट में टशन,बढ़ रहा किराए पर कपड़ों का चलन,लेकिन ये बातें जानना है जरूरी वरना जेब पर पड़ेगी नादानी भारी

Clothes on Rent Trend: जितने मौके, उतने कपड़े - स्टाइल के मामले में ऐसा हम सभी चाहते हैं। लेकिन ऐसा करना सभी के बजट में कहां मुमकिन होगा। बॉलीवुड सितारों के लिए भी ये मुश्किल ही है। आयुष्मान खुराना ने भी फैशन को लेकर इंडस्ट्री का सच उगला है क्योंकि फिल्म स्टार्स के भी सभी कपड़े उनके अपने नहीं होते। क्या है Rented Clothes Trend और क्यों बढ़ रहा है किराए के कपड़ों का चलन। पढ़ें और जानें क्यों कुछ लोग हर मौके पर नए लुक में नजर आते हैं।

Clothes on Rent

Clothes on Rent

What is Clothes on Rent Trend: हाल ही में आयुष्मान खुराना के एक बयान ने फैशन की दुनिया में सनसनी मचा दी। ड्रीमगर्ल स्टार ने खुलासा किया है कि बॉलीवुड सितारे जो हर मौके पर नए अंदाज के कपड़े पहनते हैं, वो उनके अपने नहीं होते। यानी वो किराए पर उनके स्टाइलिस्ट मैनेज करते हैं जिसके लिए वो उनको अच्छी खासी पेमेंट देते हैं। यहीं वजह है कि इंडस्ट्री में कुछ स्टाइलिस्ट टॉप के फैशन डिजाइनर्स जितने ही पॉपुलर हैं और उसी हिसाब से फीस भी लेते हैं। हालांकि आयुष्मान ने इंडस्ट्री का सच बताया है लेकिन कभी आपने सोचा है कि आपकी कोई दोस्त या पड़ोसन कैसे हर पार्टी के लिए नई डिजाइनर ड्रेसेज या साड़ी में नजर आ जाती है।

दरअसल बॉलीवुड की तरह ही आम लोगों में किराए पर कपड़े लेने का चलन बढ़ा है। इसे बजट का दबाव कहें या हर मौके पर हमारी कुछ अलग पहनने की ख्वाहिश - लेकिन देखते ही देखते क्लोद्स ऑन रेंट खास मौकों के लिए स्पेशल लुक कैसे पाएं वाली जरूरत का जवाब बन गया है। बिल्कुल आप भी बॉलीवुड स्टार्स जैसे कपड़े रेंट पर ले सकते हैं और एकदम ट्रेंडी लुक में आकर सभी को इंप्रेस कर सकते हैं। यहां समझें Clothes on Rent का पूरा कॉन्सेप्ट।

क्यों जरूरत बन गए किराए के कपड़े

एक महीने में आपके दो दोस्तों या रिश्तेदारों की शादी हो। आप दो महंगी ड्रेसेज अफॉर्ड नहीं कर सकते और एक जैसे लुक में भी नहीं जा सकते। तो क्या करेंगे। पुराना पहन नहीं सकते हैं क्योंकि ट्रेंड बहुत जल्दी बदल रहा है। फिर सोशल मीडिया पर भी फोटोज हर बार एक ही ड्रेस में पोस्ट नहीं कर सकते हैं। ऐसे में किराए पर कपड़ों का ट्र्रेंड बढ़ रहा है। दिल्ली के लाजपत नगर में ऐसी ही एक सर्विस देने वाली दुकान से जुड़े मनोज का कहना है कि पिछले 2 से 3 साल से करीब उनके पास डिजाइनर ड्रेसेज रेंट पर लेने वाले कस्टमर बढ़े हैं। लड़कियां ही नहीं, लड़के भी ट्रेंडी लुक तलाशते हुए आते हैं। यानी किराए पर कपड़े पहले भी मिलते थे लेकिन पैकेज्ड लुक की डिमांड ने इसका ग्राफ एकदम ऊपर कर दिया है।

कपड़े खरीद तो लें पर रखेंगे कहां

मनोज की बात को चेक करने के लिए हमने कई यंगस्टर्स से बात की तो इस चलन को बढ़ाने वाली कई वजहें सामने आईं। आईटी फील्ड से जुड़ी गीतिका राज ने बताया कि फ्रेंड, ऑफिस और फैमिली में मिलाकर हर महीने करीब 4 से 5 गैदरिंग में वो जाती हैं। क्योंकि आपको देखने वाले लोग तो वही रहते हैं तो ऐसे में कितने भी कपड़े खरीद लो, वो कम ही पड़ते हैं। अच्छी ड्रेसेज इतनी महंगी हो चुकी हैं कि हर महीने इन पर खर्च नहीं कर सकते। और अगर खरीद भी लें तो भी फ्लैट में इतना स्टोरेज नहीं मिलता कि इनको ध्यान से रखा जाए। फिर जब अगली बार पहनने का मौका आता है तो ट्रेंड पुराना लगने लगता है।

यही वजह है कि गीतिका और उनके जैसे तमाम यंगस्टर्स को रेंट पर कपड़े लेना सूट करता है। ऐसे में नया कपड़ा भी ट्राई कर लिया और बजट आपको नया स्टाइल भी मिल गया।

सोशल मीडिया का दौर, फोटो पर जोर

बजट के साथ ही सोशल मीडिया पर अपनी फॉलोइंग बढ़ाने के क्रेज ने भी किराए पर कपड़ों के ट्रेंड को हवा दी है। फेसबुक और इंस्टाग्राम पर सभी को नए नए स्टाइल की फोटोज डालना पसंद है और फिर उन पर वाले काउंट्स का ट्रैक रखना भी। ये भी एक वजह है कि लोग अब अपने कपड़ों का दोहराव न के बराबर ही चाहते हैं। इसके लिए क्लोद्स ऑन रेंट एक अच्छा ऑप्शन समझ में आता जहां एक बार सिक्युरिटी देकर कपड़े लेने होते हैं और फिर वापस करने आपको आपकी अमाउंट लौटा दी जाती है।

कैसे मिलते हैं किराए के कपड़े

हमने जब कपड़े किराए पर देने वाले दिल्ली-एनसीआर के कुछ दुकानदारों से बात की तो सभी ने यह बताया कि हम जिस किसी कस्टमर को किराए के कपड़े देते हैं, उसके बदले उनसे सिक्युरिटी अमाउंट जमा करवाते हैं। ताकि अगर कोई ग्राहक कपड़े वापस ना करे तो उस कपड़े की लागत निकल सके। अगर आप किराए के कपड़े लेना चाहते हैं तो सिक्युरिटी के तौर पर उतना ही पैसा जमा कराना होता है जितना उस कपड़े का दाम होता है। आसान भाषा में समझें तो अगर आपने कोई लहंगा रेंट पर लिया है और उसकी कीमत 5000 रुपये है, तो दुकानदार आपसे सेक्यूरिटी के तौर पर 5000 रुपये ही लेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर आपने कपड़े वापस नहीं किए तो दुकानदार को कपड़े की लागत मिल सके और नुकसान ना हो। हालांकि बहुत महंगे कपड़ों में दाम कुछ कम रखे जाते हैं, बाकी आपकी बार्गेन स्किल भी इस मामले में काम में आती हैं।

कितनी सिक्युरिटी मिलेगी वापस

अगर किराए के कपड़े कट-फट जाते हैं या फिर उनपर दाग लग जाता है तो दुकानदार सिक्युरिटी में से कुछ पैसे काट लेते हैं। आसान भाषा में समझें तो अगर कपड़े कट-फट गए हैं तो जो उसकी सिलाई पर खर्च आएगा और दर्जी इसे ठीक करने का जो चार्ज लेगा, उसकी भरपाई कस्टमर का पैसा काट कर की जाएगी। ऐसे ही ड्राई क्लीन कराने का खर्च भी ग्राहक से लिया जाता है। वहीं अगर ये ड्रेसेज चोरी हो जाती हैं तो कस्टमर का जमा पैसा इस सूरत में वापस नहीं किया जाता है।

पर्यावरण के लिए अच्छा

अगर रिपोर्ट्स की मानें तो साल 2017 में यूके के लैंडफिल में 235 मिलियन अवांछित कपड़े डंप करने का अमुमान लगाया गया था लेकिन औसत अमेरिकी को सालाना 81 पाउंड (37 किलोग्राम) इस्तेमाल किए गए कपड़े फेंकने का अनुमान जताया था। ऐसे में अगर रेंटेड क्लोदस की डिमांड बढ़ती है तो कई रिसोर्सेज की बचत होने से इसका साथ देना चाहिए।

किराए के कपड़े लेते हुए किन बातों का ध्यान रखें

- कपड़ों को अच्छी तरह चेक कर लें कि ये कहीं से कटे फटे न हों। इनकी सिलाई न निकली हो और कहीं कोई दाग न निकला हो।

- दुकानदार से आउटफिट को बनाने की तारीख का भी पता करें। इससे आपको ट्रेंड का अंदाजा होगा और साथ ही बहुत पुरानी ड्रेस को रेंट करने से भी बचेंगे।

- ऐसी दुकान चुनें जहां आपको मैचिंग जूलरी आदि का पैकेज मिल जाए। इससे आपको ज्यादा भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी।

- कपड़ों की फिटिंग के लेकर भी जानकारी लें। और फंक्शन में पहनने से पहले इसको चेक कर लें।

- ये भी जानें कि आपसे पहले इस ड्रेस को और किसने व कहां पहना था। इससे आपके स्टाइल की डुप्लिकेसी नहीं होगी।

तो अगली बार जब आप भी रेंट की ड्रेस लाएं और लोग आपके लुक्स की तारीफ करें तो एक बार हमारे इस लेख को जरूर याद कर लीजिएगा।

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Ritu raj author

शुरुआती शिक्षा बिहार के मुजफ्फरपुर से हुई। बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन पूरा किया। इसके बाद पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए नोएडा आय...और देखें

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