कहानी पान की: वेदों में जिक्र, कामसूत्र में बखान और आयुर्वेद में वरदान, जानिए आखिर कहां से आया यह पान

History Of Paan: मुगल काल और उससे पहले पान खाने का जिक्र सिर्फ पुरुषों के साथ जुड़ा था। हालांकि समय के साथ ट्रेंड बदला। मुगल काल में रानियां भी पान खाया करती थीं। जहांगीर की बेगम नूरजहां तो पान का इस्तेमाल अपने होठ लाल करने वाले कॉस्मेटिक के तौर पर भी करती थीं।

Paan Final

कहानी पान की

Journey Of Paan: पान - यह नाम सुनते ही मुंह में गुलकंद की मिठास घुल जाती है। संस्कृत में इसे ताम्बूलं कहा गया है। हिंदी में यह पान के अलावा नागरवेल भी कहलाता है। महाराष्ट्र में यह बिड़याची पाने बन गया है। अंग्रेज़ी में यह बीटल लीफ़ है। पान हम भारतीयों के लिए सिर्फ एक शब्द नहीं है, यह कई तरह के इमोशन्स का भंडार है। सालों पहले पान विलासिता और रईसी का प्रतीक होता था। हिंदी फिल्मों ने भी पान का काफी गुणगान किया। पूरी दुनिया में पान में पान के सबसे अधिक कद्रदान अपने देश भारत में हैं। पान भारत में हर जगह मिल जाएगा, फिर चाहे वो गली मोहल्लों के नुक्कड़ हों, घर हों, दुकान हो या फिर फिर फाइव स्टार होटल और बड़े-बड़े मॉल।
नुक्कड़ों पर पान की दुकान पूरे देश में लगभग एक सी है। वही छोटा सा खोखा। लाल कपड़े से ढंके पान के पत्ते। स्टील या कांच के बर्तनों में रखे पान बनाने के सामान। सामने की ओर लटके कुछ माउथ फ्रेशनर के पाउच और दुकान के बाद मुंह में पान दबाए लोगों की भीड़ और गपशप। ग्राहक के मुंह से पान का ऑर्डर सुनते ही पनवाड़ी की उंगलियां अपने काम में लग जाती हैं। पत्ते पर चूना और कत्था लगाते हुए पनवाड़ी खुद भी एक लय के साथ तकरीबन झूमते से रहते हैं।
मार्केटिंग की पढ़ाई करने वाले स्टूडेंट्स को पान बेचने वालों से सीखना चाहिए। पनवाड़ी कोशिश करते हैं कि वो अपने ग्राहक के बिना कहे उसकी पसंद का पान लगा दे। इससे ग्राहक काफी खुश होते हैं। छोटे शहरों में बिना कहे पसंद का पान लग जाने को प्रतिष्ठा से जोड़ कर देखा जाता है। लोग अकसर कहते सुनाई भी देते हैं कि फलाने पनवाड़ी से बस मेरा नाम बता देना वो पान लगा देगा। ज्यादातर पनवाड़ियों के अपने ग्राहकों से ऐसे ही संबंध बन जाते हैं। क्या कभी आपने चिड़चिड़ा और झगड़ालू पानवाला कहीं देखा है? नहीं न। ज्यादातर पान वाले मुस्करा कर ही पान बेचते देखे जाते हैं।

वेद पुराणों में पान का जिक्र

मान्यता है कि पान के पत्तों में तीन देवताओं का वास होता है। पान के पत्ते पर सामने की ओर देवी लक्ष्मी, किनारों पर भगवान शिव और डंठल पर यमराज का वास होता है। वेदों में जिक्र है कि डंठल पर यम के वास के कारण ही पान के पत्तों से उसे अलग कर दिया जाता है। दूसरी मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती ने मिलकर पान का पहला बीज हिमालय पर बोया था। इसीलिए इसको पवित्र पत्ते के रूप में पूजा पाठ में उपयोग में लिया जाता है। महाभारत के अनुसार जब पांडवों ने कौरवों से युद्ध जीत लिया तब पूजा में पान के पत्ते भी शामिल थे।
छठी शताब्दी में लिखे गए स्कंद पुराण में पान का जिक्र है। स्कंद पुराण के मुताबिक जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमें से निकली तमाम चीजों में से एक पान का पत्ता भी था। उस पान के पत्ते का जिक्र महाभारत, रामायण, भागवत पुराण और विष्णु पुराण में भी है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार हनुमान सीता का पता लगाते हुए रावण की लंका पहुंच गए थे। हनुमान से अपने पति राम का कुशलक्षेम जानने के बाद सीता ने खुश होकर उन्हें पान की माला उपहार में दी थी। कहा जाता है उसी मान्यता के अनुसार आज भी भक्त भगवान हनुमान के मंदिरों में पान के पत्ते चढ़ाते हैं।

प्राचीन इतिहास में पान

इतिहासकार बताते हैं कि थाईलैंड से फिलीपींस और वियतनाम तक, पूरे दक्षिण एशिया में पान के शौकीन हुआ करते थे। फिलीपींस में 3000 ईसा पूर्व के नर कंकाल के लाल दांत बताते हैं कि पान चबाने का चलन कितना पुराना है। बता दें कि ये लाल रंग पान के पत्ते पर कत्थे और सूखे चूने को मिलाने से आता है। इसे अंग्रेजी में एल्कलॉइड कहते हैं। रहीम के एक दोहे में भी कत्थे का वर्णन है। उन्होंने लिखा था- खैर खून खांसी खुशी बैर प्रीत मदपान, रहिमन दाबे नाहीं दबत जानत सकल जहान। यहां खैर का मतलब कत्था ही है।
जब मुगल भारत आए तो उन्होंने पान को माउथ फ्रेशनर के तौर पर प्रचलित कर दिया। वो पान के पत्तों पर कत्थे और चूने के साथ ही लौंग, इलायची इत्यादी डालकर खाते थे। शाही मेहमानों को भी खाने के बाद पान खिलाए जाते थे। धीरे-धीरे पान खाने के बाद का जरूरी सामान बन गया था। मुगल काल और उससे पहले पान खाने का जिक्र सिर्फ पुरुषों के साथ जुड़ा था। हालांकि समय के साथ ट्रेंड बदला। मुगल काल में रानियां भी पान खाया करती थीं। जहांगीर की बेगम नूरजहां तो पान का इस्तेमाल अपने होठ लाल करने वाले कॉस्मेटिक के तौर पर भी करती थीं।

पान का संभोग कनेक्शन

बहुत कम लोगों को पता होगा कि पान का संबंध यौन संबंधों से जुड़ा है। इसका जिक्र कामसूत्र और भर्तृहरि संहिता में भी है। तीसरी सदी में लिखे ग्रंथ कामसूत्र में इस बात का वर्णन है कि शारीरिक संबंध बनाने के दौरान एक दूसरे को पान खिलाना उसके आनंद को बढ़ा देता है। इस बात का भी जिक्र है कि पान में कुछ खास चीजें डालकर खाने से यौन शक्ति बढ़ती है। यह आज कल कि टैबलेट वियाग्रा की तरह काम करता है। एक जमाने में पलंग तोड़ पान भी काफी प्रचलित थे। मुगल इतिहास लिखने वाले कई इतिहासकारों ने लिखा है कि मुगल बादशाह हरम की रानियों को खुश करने के लिए संबंध बनाने से पहले पलंग तोड़ पान खाया करते थे।
आज यूपी के झांसी में पान अरोमा, द फैमिली पान कैफे शादी के बाद सुहागरात के लिए स्पेशल पान बिकता है। दुकान की ओनर श्वेता सिंह बताती हैं कि शादीशुदा जोड़ों को ध्यान में रखते हुए इस पान को तैयार किया जाता है। पान में शिलाजीत, अश्वगंधा समेत सोने की बर्क में लपेटकर कुछ सीक्रेट इंग्रेडिएंट्स मिलाए जाते हैं। ऐसे पान ऑर्डर पर बनते हैं। 2 दिन पहले ऑर्डर देना पड़ता है। पान की कीमत 2100 रुपये है।

पान के औषधीय गुण

पान का पत्ते में कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। यह गले के लिए काफी अच्छा है, बशर्ते इसमें तंबाकू और चूना वगैरह ना हो। बहुत सी आयुर्वेदिक औषधियों में पान के पत्ते का इस्तेमाल होता है। 5000 साल पुराने आयुर्वेद के मुताबिक पान के पत्ते कैरोटीन्स, कैल्शियम और विटामिन B3, B2, B1 और C से भरपूर होते हैं। आयुर्वेद के जानकार सोमेश खत्री बताते हैं कि, 'वो स्तनपान कराने वाली महिलाओं को पान के पत्ते चबाने की सलाह देते हैं। पान के पत्तों में मौजूद कैल्शियम दूध बढ़ाने में मदद करता है।' दिल्ली में आयुर्वेद के एक्सपर्ट वेद शास्त्री कहते हैं कि पान के पत्ते चबाने से गले की बीमारियां दूर होती हैं। बकौल शास्त्री- रोजाना एक पान का पत्ता खाने से पेट के अंदर पीएच लेवल मेंटेन रहता है। इससे हमारे शरीर में जमा सारी गंदगी बाहर निकल आती है।

शादी और पान जैसे दो जिस्म एक जान

असम में शादी में आए मेहमानों तो भोजन के बाद पान के पत्ते और कच्ची सुपारी देने की परंपरा है। यह पीतल की थाली में परोसा जाता है जिसे बोटा कहते हैं। ऊपरी असम की एक परंपरा है कि शादी के रिसेप्शन में मेहमानों को पान के पत्तों के साथ कुछ सुपारी देकर आमंत्रित किया जाता है। अंग्रेजी हुकूमत के दिनों में भी हिंदू परिवारों में शादी समारोह में लड़की वालों की ओर से सोने की प्लेट में लड़के वालों के यहां शगुन के तौर पर पान के बीड़े भिजवाए जाते थे। पान के बीड़े जितने ज्यादा होते सोने की प्लेट उतनी ही बड़ी होती और पान की तश्तरी से लड़की वालों की हैसियत आंक ली जाती थी। बंगाल की शादियों में दुल्हन पान के पत्तों से अपना चेहरा ढक कर मंडप में प्रवेश करती है। वहीं उत्तर भारत के कई राज्यों में दुल्हन के पिता या भाई दूल्हे को अपने हाथों से पान खिलाते हैं।

सबसे महंगा पान

पान के पत्तों को ग्रीन गोल्ड भी कहा जाता है। यह पत्तियां पाइपर बेटल से आती हैं जो दक्षिण पूर्व एशियाई मूल की एक बेल है जिसमें कोई फूल या फल नहीं होता है। आज दुनियाभर में खेती की जाने वाली लगभग 100 किस्मों में से करीब 40 किस्में भारत में उगाई जाती हैं। इन 40 किस्मों में से पांच प्रमुख हैं- बंगला, मगही, सांची, देशावरी, कपूरी और मीठी पत्ती। इतिहासकार और लेख पुष्पेश पंत बताते हैं कि, 'बिहार के कुछ खास इलाकों उगने वाला मगही पान सबसे महंगा पान का पत्ता माना जाता है। दरअसल यह साल में सिर्फ 4 महीने ही उगता है।'
पिछले कुछ सालों में भारतीयों के अंदर पान की दीवानगी काफी बढ़ गई है। इस कारण पान को कई तरह से ग्राहकों के लिए पेश किया जाता है। नोएडा में रेडिसन होटल के एग्जीक्यूटिव शेफ कपिल साही कहते हैं कि वो अपने ग्राहकों के लिए पान को कई तरह से इस्तेमाल करते हैं। इसे कुल्फी से लेकर आइसक्रीम चाट, कॉकटेल, मॉकटेल, लैटेस, चाय और मार्गरीटा तक, तक में इस्तेमाल करते हैं जो कि इनके स्वाद को एक अलग स्तर तक ले जाता है।' कपिल शाही बताते हैं कि वो अपने कस्टमर्स को खाने के बाद कॉम्प्लिमेंटरी माउथ फ्रेशनर के तौर पर सादा और मीठा ऑफर करते हैं।
तमिलनाडु के कुछ इलाकों में लोग लहसुन और पान के पत्ते डालकर चावल बनाते हैं। वहां घी में कटे हुए पान के पत्तों डालकर बनाया गया सूप एक स्वादिष्ट पेय पदार्थ है। कुछ जगहों पर पान के पत्तों का उपयोग मसालेदार मांस के निवाले को लपेटने के लिए किया जाता है।

पान के शौकीनों में बदलाव

इतिहासकार पुष्पेश पंत बताते हैं कि पहले जो पान के शौकीन हुआ करते थे उनको सब कुछ बर्दाश्त था लेकिन अपने पान में वो कुछ भी उन्नीस-बीस बर्दाश्त नहीं करते थे। पान में कौन सा और कितना कत्था लगना है, कौन सा मसाला पड़ना है, कितने लौंग और इलायची पड़ने है, सब तय रहता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है।
प्रयागराज के सिविल लाइन्स में सोफिया लॉरेन पान शॉप है। इस शॉप का नाम 1950 के दशक की मशहूर इटालियन एक्ट्रेस सोफिया लॉरेन के नाम पर है। 70 सालों से अधिक समय से पान बेचने वाले सोफिया पान शॉप के ओनर बताते हैं कि, 'वो तीन पीढ़ियों से इस पेशे में हैं। पहले लोग पान के शौकीन हुआ करते थे। आजकल पान के वैसे कद्रदान कम हो गए हैं। अब पान के साथ नौटंकी करने वाले ज्यादा दिख जाते हैं। उन्होंने कहा कि आजकल के युवा फायर पान और आइस पान खाकर अपने आप को कोई जंग जीतना वाला समझते हैं।'

फिल्मों में पान

फिल्मों ने भी पान के क्रेज को समझा है। पान पर बने कई गानें काफी पॉपुलर हुए। अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया 'खइके पान बनारस वाला' आज भी सुना और गुनगुनाया जाता है। इस गाने की खास बात ये थी कि गाना किशोर कुमार ने पान खाकर ही गाया था। फिल्म तीसरी मंजिल का वो गीत कि 'पान खाए सैंया हमारो, मखमल के कुर्ते पर छींट लाल-लाल' भी काफी पॉपुलर है। अपने जमाने के दिग्गज कलाकार प्राण को तो उनकी पहली फिल्म लाहौर के एक पान की दुकान पर ही ऑफर हुई थी।
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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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