Best Saree's of India: ये हैं देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली साड़ियां, देखें फेमस साड़ियों की लिस्ट.. कौन सी रहेगी गर्मियों में बेस्ट
Best Saree's of India: भारत से लेकर विदेशी महिलाएं भी साड़ी पहनना खूब पसंद करती हैं, साड़ी का इतिहास हजारों साल पुराना है। लगातार बदलते फैशन के बीच साड़ियों की डिजाइन के साथ पहनने का तरीका भी चेंज हुआ है। यहां देखें साड़ियों का इतिहास और भारत की सबसे फेमस साड़ी कौन सी है, गर्मियों के लिए बेस्ट साड़ी।
History of Best Saree's of India: साड़ियों का फैशन बेशक कभी पुराना नहीं हो सकता, साड़ी नाम सुनते ही दिमाग में फैशन और ट्रेडिशन के मेल की बहुत ही अनोखी छवी बन जाती है। साड़ी भारतीय धरोधर का ऐसा हिस्सा है, जिसकी जड़े हजारों साल पुरानी होने के सबूत हैं। उत्तर प्रदेश की बनारसी, महाराष्ट्र की पैठणी तो गुजरात की पटोला साड़ी तो देश भर में पाई जाने वाली अलग अलग किस्म की साड़ियां अपने साथ बहुत सारी कहानियां लिए चलती हैं। भारत तो क्या कई सारी विदेशी महिलाओं को भी साड़ियों से खास लगाव है, बेहद खूबसूरत फैब्रिक, रंग, डिजाइन तो साड़ी पहनने का स्टाइल अपने आप में ही काफी यूनिक है।
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साड़ियों का इतिहास, History and Evolution of saree in Indiaविश्व के सबसे लंबे परिधानों में शामिल साड़ी के सिंधु घाटी के दौरान 2800-1800 ईसा पूर्व के होने के सबूत हैं। हालांकि इसका उल्लेख वैदिक काल 1500-500 ईसा पूर्व के समय के महान वेदों में भी मिलता है। धार्मिक ग्रंथों में द्रोपदी, माता सीता तो भारत के सालों पुराने राजघरानों की रानियों का भी साड़ियों से गहरा नाता बताया गया है। बता दें कि 'साड़ी' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द 'सट्टिका' से हुई है, जिसका अर्थ कपड़े की एक पट्टी होता है, जिसे शरीर के चारों ओर लपेटा जा सके। साड़ी के सौंदर्य में चार चांद लगाने में विभिन्न राजवंश तो साम्राज्यों जैसे मौर्य, गुप्त तो मुगलों का बड़ा हाथ रहा है।
History Of Saree's
पुराणों में पाई जाने वाली स्त्रियों से लेकर रानी-महारानी, बॉलीवुड हसीनाएं तो आज की साधारण नारी तक का साड़ी संग अनोखा नाता है। साड़ी के माध्यम से ही सालों साल से भारत की महिलाएं अपनी पहचान मजबूत कर रही हैं, जो सादगी के साथ उनके स्टाइलिश होने का भी संकेत है। देश भर के हर कोने में अलग अलग प्रकार की खूबसूरत साड़ियां मिलती हैं, जिनकी एक दूसरे से तुलना करना व्यर्थ है। हर साड़ी की बुनाई, छपाई तो पहनने का तरीका अलग और अनोखा होता है, और यही इन्हें एक दूसरे से अलग बनाता है।
भारत की सबसे फेमस साड़ी डिजाइन, Best Must Have Saree's Of India
बांधनी साड़ी
सालों साल से गुजराती तो राजस्थानी धरोहर का हिस्सा रही बांधनी या बंधेज की साड़ियों के रंग तो खास जरी की बुनाई अपने आप में ही बेहद खूबसूरत है। 'बांधनी' शब्द संस्कृत के 'बंदा' से लिया गया है, जिसका अर्थ किसी कपड़े को बांधना यानि अंग्रेजी में टाई करना होता है। बांधनी भी मॉर्डन जमाने के टाई एंड डाई का ही एक प्रकार है, जिसमें साड़ी तो दुपट्टों की प्लीट्स को एक प्रकार से बांधकर खूबसूरत रंगों में डूबोया जाता है।
Bandhani Saree
बांधनी साड़ी भी अलग अलग प्रकार तो कीमतों में उपलब्ध होती है, आमतौर पर सिल्क की बांधनी साड़ियों की कीमत हजारों से लेकर लाखों तक में होती है। हालांकि आप सस्ती बांधनी डिजाइन की साड़ियां भी बेहद खूबसूरत लुक वाले ब्लाउज के साथ स्टाइल कर सकती हैं। देश की सबसे अच्छी बांधनी साड़ियां आपको पेठापुर, मांडवी, भुज, अंजार, जामनगर, जेतपुर, पोरबंदर, राजकोट, उदयपुर, जयपुर, अजमेर, बीकानेर, चूरू आदि में बेहतरीन कलेक्शन के साथ मिल जाएंगी।
चिकनकारी साड़ी
आज कल की सबसे ज्यादा चलने वाली साड़ियों की लिस्ट में चिकनकारी साड़ी का नाम खूब सुर्खियों में है। लखनऊ शहर की मशहूर चिकनकारी साड़ियों पर खास पांरपरिक तरह की कढ़ाई की जाती है। चिकनकारी कढ़ाई का इतिहास 16वीं शताब्दी के मुगल काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि, मुगल बादशाह जहांगीर की पत्नी बेगम नूरजहां द्वारा ही इस शैली को लखनऊ लाया गया था।
Chikankari Saree Blouse designs
आमतौर पर चिकनकारी एम्ब्रॉयडरी महीन मखमल के कपड़े पर होती है, अपनी बारीक और जटिल बुनाई के कारण इस फैब्रिक की साड़ियों का अलग ही लुक आता है। चिकनकारी में पांरपरिक बैकस्टिक, चेन स्टिच तो हेम स्टिच जैसे टांके शामिल होते हैं। पेस्टल शेड की चिकनकारी साड़ियों का लुक डार्क शेड के कंट्रास्ट डिजाइनर ब्लाउज के साथ बहुत खिलकर आता है। गर्मियों में भी चिकनकारी की लाइट वेट, एलिगेंट साड़ियां बढ़िया लगती हैं।
बनारसी सिल्क साड़ी
भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली तो मशहूर साड़ियों की लिस्ट में दूसरे नंबर पर आने वाली उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बनने वाली खास बनारसी साड़ियों का नाम है। बनारसी साड़ियों का इतिहास करीब 2000 साल पुराना होने के सबूत हैं, कई धार्मिक कथाओं में बनारस के जरी वस्त्रों का उल्लेख किया गया है। हालांकि इसका स्पष्ट जिक्र मुगल काल के आस पास मिलता है।
Banarasi Saree design
बनारसी साड़ियों को खास सोने चांदी के तारों से बुना जाता है, जिस वजह से इनकी कीमत हजारों से लेकर लाखों में होती है। बनारसी सिल्क साड़ी सबसे महंगी होती है, जिसे बनाने में म करीब 5 से 6 महीनें का समय भी लग सकता है। बनारसी साड़ियों का आप बहुत ही अलग अलग डिजाइन के ब्लाउज के साथ पहन सकती हैं, हालांकि हैवी वर्क साड़ी के साथ सिंपल ब्लाउज ट्राई करें।
कांजीवरम साड़ी
भारत की सबसे ज्यादा महंगी और अत्यधिक बिकने वाली साड़ियों की लिस्ट में टॉप पर है, कांजीवरम या कांचीपुरम साड़ियां। तमिलनाडु में बनने वाली ये खास साड़ियां बहुत ही बेहतरीन क्वालिटी के शहतूत रेशम से बुनी जाती हैं। कांजीवरम साड़ी की उत्पत्ति कई शताब्दियों पहले हुई थी, माना जाता है कि इस क्षेत्र में रेशम साड़ियों की बुनाई की कला एक हजार साल से भी पहले चोल राजवंश से जुड़ी है।
Kanjivaram Saree
शुरुआती समय में कांजीवरम साड़ियाँ, आश्चर्यजनक रूप से, नौ गज की प्रभावशाली लंबाई की होतीं थीं, जो भव्यता और समृद्धि का प्रतीक थीं। शहतूत या मलबरी रेशम बहुत ही ज्यादा मुलायम और बारीक होता है, जिसे खास अंदाज में साड़ी के रूप में बुना जाता है। तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश समेत भारत के तमाम हिस्सों में विवाह से लेकर विशेष अवसरों पर कांजीवरम साड़ियां पहनने का रिवाज है।
पटोला साड़ी
गुजराती की पारंपरिक पटोला साड़ियों को पहनने का गहरा महत्व होता है, कहते हैं कि इन साड़ियां में खास बुरी नजर से बचाने की शक्ति होती है। गुजरात की हर बेटी शुभ अवसरों पर पाटन पटोला साड़ियां ही पहनतीं है, जिसकी कीमत भी लाखों के आस पास जाती है। इस साड़ी की इतिहास करीब 900 साल पुराना है, पटोला शब्द संस्कृत के 'पट्टकुल्ला' से लिया गया है। जिसका उल्लेख दक्षिण भारत के धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता हैय़
Patola Saree
पटोला को ताना और बाने की तकनीक का उपयोग करके प्रतिरोध-रंगाई प्रक्रिया द्वारा निर्मित किया जाता है। आम तौर पर तीन लोगों को एक पटोला साड़ी बुनने में चार से सात महीने लगते हैं, जिससे यह महंगा और समय लेने वाला हो जाता है। पटोला साड़ी ट्रेडिशनल तो मॉर्डन महिलाओं को बेहतरीन तरीके से एक साथ जोड़ती है, जिनकी डिजाइन बेशक बहुत प्यारी होती है।
पैठणी साड़ी
पैठणी साड़ियों का इतिहास दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व सातवाहन राजवंश में खोजा जा सकता है, उस समय पैठनी कपास और रेशम के साथ शुद्ध सोने के तार से बनाई जाती थी। महाराष्ट्र की पैठणी साड़ी भी खूबसूरती के मामले में किसी से कम नहीं हैं। इन बेशकीमती साड़ियों को महाराष्ट्र की सबसे समृद्ध साड़ियों में से एक माना जाता है, जिसे पहले केवल राजघराने की महिलाएं ही पहना करतीं थीं।
Paithani Saree
प्योर सिल्क की पैठणी साड़ियां अपने आप में ही बहुत रॉयल ट्रेडिशनल लुक देती हैं। इन साड़ियों की कीमत लाखों में होती है, हालांकि सस्ते फैब्रिक वाली साड़ियां भी अच्छा लुक दे सकती हैं। ऐसी साड़ियों के साथ आमतौर पर सिल्क या बनारसी पैटर्न के ब्लाउज चलते हैं, लेकिन आप मॉर्डन वेलवेट या सीक्वेंस का ब्लाउज भी पहन सकती हैं।
गर्मियों के लिए बेस्ट साड़ी ब्लाउज डिजाइन
Best saree blouse design for summer
भारत की सबसे बेस्ट और भारी मात्रा में बिकने वाली साड़ियों की लिस्ट में शिफॉन, ऑर्गेंजा, कॉटन तो चंदेरी आदि साड़ियां भी शामिल हैं। जिन्हें गर्मी वाले मौसम में पहनना सबसे ज्यादा परफेक्ट माना जा सकता है। लाइट वेट, कम्फर्टेबल और गर्मी दूर करने वाली ये साड़ियां मॉर्डन के साथ साथ देसी नारी वाला लुक भी देती हैं। इन साड़ियों को आप नए डिजाइन के स्वीटहार्ट, बोट नेक, स्क्वैयर नेक, स्कूप नेक तो बैललेस, ट्यूब आदि स्टाइल में सिलवाकर बेहतरीन लुक फ्लॉन्ट कर सकती हैं।
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