सिंदूर का इतिहास: कैसे एक चुटकी सिंदूर बना सुहागिनों का श्रृंगार- जानें कुमकुम पाउडर और सिंदूर में अंतर, हनुमान जी से क्यों जुड़ा सिंदूर का महत्व
History of Sindoor: हिंदू धर्म में विवाह के दौरान कई तरह की रस्में की जाती है। शादी में वैसे तो सभी रस्मों का अपना एक अलग महत्व होता है, लेकिन सबसे ज्यादा सिंदूरदान का होता है। विवाह के दौरान वर वधु की मांग में सिंदूर भरता है। सिंदूर का हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व है। ये हर सुहागन महिला के सर का ताज माना जाता है। ऐसे में आज हम आपको सिंदूर के रोचक इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।
History of Sindoor: एक चुटकी सिन्दूर की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू… फिल्म ओम शांति ओम का ये फेमस डायलॉग याद है आपको? 'सिंदूर' का नाम सुनते ही हमारी आंखों के सामने सबसे पहले एक स्त्री की मांग की तस्वीर छप जाती है। सिंदूर मतलब सुहाग की निशानी। हिंदू धर्म में सिंदूर का बेहद खास महत्व है। सिंदूर को 'सौभाग्य' का प्रतीक माना जाता है। सिंदूर सोलह श्रृंगार का हिस्सा है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि सुहागन महिलाओं द्वारा मांग में सिंदूर भरने से पति की उम्र लंबी होती है। सिंदूर एक तरफ जहां सुहाग की निशानी माना जाता है तो वहीं दूसरी तरफ ये फैशन स्टेटमेंट भी बन चुका है। समय के साथ साथ सिंदूर लगाने का चलन भी बदलता जा रहा है। अलग अलग राज्यों में अलग अलग तरह से मांग में सिंदूर लगाए जाते हैं। वहीं सिंदूर भी कई तरह के आते हैं। बाजार में आपको सिंदूर के कई प्रकार देखने को मिलेंगे और इन सभी का महत्व भी अलग हैं। लेकिन यहां जो सबसे बड़ा सवाल उठता है वो है कि सिंदूर लगाने का चलन कैसे शुरू हुआ और क्या है सिंदूर का इतिहास। आज इस आर्टिकल में हम आपको सिंदूर और सिन्होरा के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं।
Sindoor ka itihaas
रोचक है सिंदूर का इतिहास
सिंदूर का चलन प्राचीन काल से जुड़ा है। हिंदू धर्म में सिंदूर को 'सौभाग्य' का प्रतीक माना जाता है। हिंदू धर्म में सिन्दूर लगाने की परंपरा शादी के दिन से शुरू होती है। सिन्दूर लगाने की रस्म अधिकांश हिंदू विवाह समारोहों में सबसे महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों में से एक मानी जाती है। सिन्दूर (सिंदूर) लाल और पीले रंग के होते हैं, जो शक्ति और जुनून को दर्शाता है। सिंदूर का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है। इसका जिक्र पौराणिक कथाओं में भी किया गया है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक देवी माता पार्वती और मां सीता भी सिंदूर से मांग भरती थीं। मान्यता है कि माता पार्वती अपने पति भोलेनाथ बुरी शक्तियों से बचाने के लिए सिंदूर लगाया करती थीं।
Interesting History of Sindoor
माता सीता का सिंदूर कनेक्शन
वहीं माता सीता अपनी पति प्रभु श्रीराम की लंबी उम्र की कामना के लिए मांग में सिंदूर लगाती थीं। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, जब हनुमान जी ने माता सीता को सिंदूर लगाते देखा था, तब उन्होंने उनसे पूछा था कि वो सिंदूर क्यों लगाती हैं। माता सीता ने कहा था कि वह भगवान श्री राम की लंबी आयु के लिए मांग में सिंदूर भरती हैं। जिसके बाद भगवान श्री राम को प्रसन्न करने के लिए हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर का लेप लगा लिया था। इसलिए आपने देखा होगा कि हनुमान जी की पूजा के दौरान सिंदूर का प्रयोग निश्चित रूप से किया जाता है। इसके अलावा महाभारत महाकाव्य में द्रौपदी नफरत और निराशा में अपने माथे का सिंदूर पोंछ देती हैं।
सिंदूर लगाने को लेकर ऐसी मान्यता भी है कि मां लक्ष्मी का पृथ्वी पर पांच स्थानों पर वास है। इनमें से एक स्थान सिर भी है। ऐसे में महिलाएं सुख-समृद्धि और लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए भी मांग में सिंदूर लगाती हैं।
Mata sita ka sindoor connection
सिंदूर और सिन्होरा
सिन्होरा हर विवाहित महिला का सबसे महत्वपूर्ण गहना होता है, जो हर सुहागन महिला के साथ उसके मायके से आता है और उसकी अर्थी के साथ ही जाता है। हिंदू धर्म में जब एक लड़की की शादी होती है, तो उसका पति मांग में सिंदूर भरता है। वहीं कई जगहों पर लड़की की सास भी मांग में सिंदूर भरती हैं।
Sindoor and Sinhora
सिंदूर बना फैशन स्टेटमेंट
मान्यताओं में तो सिंदूर हर सुहागन महिला के सिर का ताज होता है। इसका इस्तेमाल कई धार्मिक कामों में भी किया जाता है। लेकिन धीरे-धीरे अब ये फैशन स्टेटमेंट बनता जा रहा है। शादी के मंडप से लेकर कान्स फिल्म फेस्टिवल तक, सिंदूर का चलन देखने को मिल रहा है। हाल ही में एक्ट्रेस ऐमी बरुआ ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में शिरकत की जहां उन्होंने रेड कार्पेट पर असामी साड़ी, बालों में गुलाब और मांग में सिंदूर लगाकर देश की संस्कृति को दर्शाया। एक्ट्रेस का ये लुक सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हो रहा है।
वहीं कई बॉलीवुड एक्ट्रेसेस का सिंदूर लुक भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था। इनमें परिणीती चोपड़ा, कियारा आडवाणी, रकुल प्रीत, कटरीना कैफ का नाम शामिल है। शादी के बाद किसी ने लाल तो किसी ने गुलाबी सिंदूर लगाकर फैशन ट्रेड सेट किया था।
Actresses in Sindoor
कैसे तैयार होता है सिंदूर
सिंदूर दो रंग और दो प्रकार के होते हैं। बाजार में इन दिनों सिंथेटिक सिंदूर खूब बिकते हैं, लेकिन शादी में जिस सिंदूर का इस्तेमाल किया जाता है वह लाल और पीला सिंदूर होता है। परंपरागत रूप से, सिन्दूर हल्दी, चूना, फिटकरी, पारा या केसर जैसे नेचुरल और हर्बल पदार्थों से बनाया जाता है। वहीं सिंथेटिक सिंदूर बनाने के लिए अरारोट, सफेद पत्थर, गिन्नार फिर उसमें नकली लाल, पीला या नारंगी रंग का इस्तेमाल किया जाता है।
How Sindoor is prepared
लाल और पीला सिंदूर का महत्व
ज्यादातर महिलाएं लाल रंग का ही सिंदूर लगाती हैं। ऐसी मान्यता है कि माता सती और पार्वती की शक्ति और ऊर्जा लाल रंग से व्यक्त हुई थी, इसलिए अधिकांश शादीशुदा महिलाएं लाल रंग का सिंदूर लगाती हैं। लेकिन विवाह में पीले सिंदूर का चलन है। इसके अलावा यूपी, बिहार में छठ पूजा पर पीला सिंदूर जिसे भाखरा सिंदूर भी कहा जाता है लगाने का भी चलन है। छठ पूजा के मौके पर विवाहित महिलाओं को नाक से लेकर माथे तक लंबा पीला सिंदूर लगाया जाता है। पति की लंबी उम्र और तरक्की के लिए नाक से लेकर माथे तक लंबा सिंदूर लगाया जाता है।
Red and yellow Sindoor
छठ पूजा के दौरान महिलाएं खुद से सिंदूर नहीं लगाती हैं। ये छठ कर रही है महिला की ननद, भाभी या फिर कोई भी सुहागन महिला, व्रत कर रही महिला के नाक से लेकर माथे तक सिंदूर लगाती हैं। वहीं छठ पूजा के बाद व्रती सभी सुहागन महिलाओं को नाक से लेकर माथे तक सिंदूर लगाती हैं। नाक से लेकर माथे तक सिंदूर लगाने की अपनी मान्यता है। पति की लंबी उम्र और तरक्की के लिए नाक से लेकर माथे तक लंबा सिंदूर लगाया जाता है।
वहीं नवरात्रि के आखिरी दिन सिंदूर खेला जाता है। इस दिन महिलाएं लाल रंग की साड़ी पहनकर पंडाल जाती हैं और सिंदूर खेलती हैं। इससे मां दुर्गा की कृपा सदैव उनपर बनी रहती हैं और सुहाग की उम्र भी लंबी होती है।
Sindoor khel
फर्टिलिटी से भी जुड़ा है सिंदूर
सिन्दूर महिलाओं की फर्टिलिटी का प्रतीक भी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पुराने जमाने में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने और प्रजनन अंगों को उत्तेजित करने के लिए पारे से युक्त सिन्दूर का उपयोग किया जाता था। प्राचीन मान्यता के अनुसार यह ब्लड प्रेशर और तनाव को भी नियंत्रित करता है। पुराने जमाने में सिन्दूर को माथे से लेकर पिट्यूटरी ग्रंथि (जिसे मास्टर ग्रंथि भी कहा जाता है) तक लगाया जाता था, जो अधिकांश शारीरिक कार्यों को नियंत्रित करती है और हार्मोन-स्रावित ग्रंथियों को उत्तेजित करने का काम करती है।
Sindoor Related to fertility
किन किन मौकों पर सिंदूर लगाना होता है बेहद शुभ
हिंदू धर्म में करवा चौथ, वट सावित्री पूजा और किसी भी ऐसी पूजा जो सुहाग के लिए रखी जाती है, उस मौके पर सिंदूर लगाना बेहद शुभ माना जाता है। वहीं ऐसा कहा जाता है सुहागिन महिलाओं को रविवार, सोमवार और शुक्रवार के दिन सिंदूर अवश्य लगाना चाहिए।
When to apply sindoor
किन दिनों में न लगाएं सिंदूर
हिंदू धर्म में ऐसा माना जाता है कि पीरियड्स के दौरान सुहागन महिलाओं को सिंदूर नहीं लगाना चाहिए। शास्त्रों के मुताबित सिंदूर को बहुत पवित्र माना जाता है और पीरियड्स के दौरान शरीर अशुद्ध रहता है। इसलिए इस दौरान सिंदूर नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा सुहागन महिलाओं को मंगलवार के दिन भी सिंदूर नहीं लगाना चाहिए क्योंकि मंगलवार के दिन बजरंगबली की पूजा की जाती है और उन्हें बाल ब्रह्मचारी माना जाता है इसलिए भी मंगलवार के दिन सिंदूर नहीं लगाना चाहिए।
कैसे करें असली और नकली सिंदूर की पहचान
असली सिन्दूर हल्दी, चूना, फिटकरी, पारा या केसर जैसे नेचुरल और हर्बल पदार्थों से बनाया जाता है। वहीं नकली सिंदूर लेड और सिंथेटिक कलर्स को मिलाकर तैयार किया जाता है। ऐसे में अब आपके मन में ये सवाल उठ रहा होगा कि असली और नकली सिंदूर की पहचान कैसे करें? असली और नकली सिंदूर की पहचान करने के लिए सबसे पहले सिंदूर को हाथ पर रखें, फिर इसे घिसे और फिर फूंक मार कर देखें। अगर सिंदूर उड़ गया तो यह असली है। अगर सिंदूर हाथ पर चिपका रह गया तो यह नकली है।
Real and Fake sindoor
सिंदूर को किसमें रखा जाता है
सिंदूर की बात तो हमने खूब की है लेकिन क्या कभी आपने ये नोटिस किया है कि सिंदूर को जिस चीज में रखा जाता है उसे क्या कहते हैं। बता दें कि सिंदूर को जिस पात्र में रखा जाता है,उसे सिंहोरा कहा जाता है। इसे आम की लकड़ियों से तैयार किया जाता है। अब यहां ये सवाल उठता है कि इसे आम की लकड़ियों से ही क्यों तैयार किया जाता है। तो आपको बता दें कि आम की लकड़ियां जल्दी नहीं सड़ती और खरबा होती है। ऐसा माना जाता है कि सिंहोरा विवाहित महिलाओं के लिए सौभाग्य लाता है।
Sinhora
क्या होता है सिंहोरा का अर्थ - Meaning of Singhora
सिंहोरा का मतलब होता है मांग का सिंदूर। सिन्होरा हर सुहागन महिला का सबसे बड़ा गहना माना जाता है। जब किसी महिला की शादी होती है तब सिन्होरा से सिंदूर निकालकर महिला की मांग को भरा जाता है। इसके अलावा जो महिलाएं करवा चौथ, वट सावित्री पूजा, तीज का व्रत करती हैं वो सिंहोरा से सिंदूर लगाती है। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पति की उम्र काफी लंबी होती है।
Sinhora meaning
सिंहोरा का महत्व - Significance of Singhora
सिंहोरा हर सुहागन महिला के लिए जान से भी ज्यादा कीमती होता है, तभी शादीशुदा महिलाएं इसे संजो कर रखती है। इसे सिर्फ आम की लकड़ी से ही बनाया जाता है, अन्य किसी भी लकड़ी का बनाया ही नहीं जा सकता है। क्योंकि अन्य किसी लकड़ी का अगर बनाया जाए तो यह टेढ़ा हो जाता है।
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