हिस्ट्री हलवे की: ग्लोबल पकवान और देसी पहचान, अरब का हलवा कैसे बना प्रसाद का सामान,सबसे पहले किसने बनाया था हलवा

History Of Halwa: भारत में भगवान विष्णु और मां दुर्गा समेत ऐसे कई देवी-देवता हैं, जिन्हें प्रसाद के रूप में हलवा चढ़ाया जाता है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को केसरी हलवा भेंट किया जाता है। और तो और भैरो देवता को शराब के साथ-साथ हलवा भी बहुत प्रिय है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय संस्कृति और आस्था में रच बस चुके हलवे का कनेक्शन भारत से है ही नहीं।

History Of Halwa

Explained History Of Halwa in Indi

Explained History Of Halwa: हलवा- नाम सुनते ही घी से तर, इलायची की सौंधी सुगंध से भरा गरमा-गरम मीठा जायका मुंह में घुल जाता है। बनाने में आसान और सर्वसुलभ सामग्री के कारण फास्ट फूड के जमाने में भी हलवा हर घर की पहली पसंद है। हलवे की जितनी वैरायटी भारत में है उतनी शायद ही दुनिया में कहीं और हो। भारत में ना सिर्फ हलवा एक स्वादिष्ट व्यंजन है बल्कि भगवान को चढ़ाने वाला प्रसाद भी है। भारत में भगवान विष्णु और मां दुर्गा समेत ऐसे कई देवी-देवता हैं, जिन्हें प्रसाद के रूप में हलवा चढ़ाया जाता है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती को केसरी हलवा भेंट किया जाता है। और तो और भैरो देवता को शराब के साथ-साथ हलवा भी बहुत प्रिय है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय संस्कृति और आस्था में रच बस चुके हलवे का कनेक्शन भारत से है ही नहीं।

हम भारतीयों के लिए हलवा आज शायद बेहद आम बन चुका है लेकिन भारतीय धर्मग्रंथों से लेकर प्राचीन आयुर्वेद की पुस्तकों आदि तक में कहीं भी हलवा नाम का शब्द नहीं आया है और न ही उससे जुड़ा कोई व्यंजन। चलिए इतिहास के पन्ने पलटकर जानते हैं कि आखिर ये हलवा आया कहां से, किसने बनाया, किसको खिलाया और कौन इसे हिंदुस्तान लेकर आया?

सबसे पहले कहां बना हलवा

कहा जाता है कि 3000 ईसा पूर्व से हलवा बनाया और खाया जा रहा है। हलवे के ईजाद को लेकर तमाम तर्क और दावे हैं। अगर इतिहास की किताब के पन्नों को पलटें तो वहां भी कई तरह के तथ्य सामने रखे गए हैं। हलवे का जन्मदाता तुर्की है। इस्तांबुल की कई दुकानों पर ताल ठोंक कर हलवाह के आविष्कार और सबसे पुरानी रेसिपी बनाने का दावा किया जाता है। कुछ इतिहासकारों ने लिखा है कि हलवे का जन्म ओटमान रियासत के सुल्तान सुलेमान (1520-1566) के किचन में हुआ। लिखा गया है कि सुलेमान को हलवा इतना पसंद था कि उसने हलवे के लिए एक अलग रसोई ही बनवा दी थी। इस रसोई को हेलवाहने कहा जाता था। अरब देशों और पश्चिम एशिया में इसे कई नामों जैसे हलावा, हलेवेह, हेलवा, हलवाह, हालवा, हेलावा, हेलवा से पुकारा जाता है।

हलवे की सबसे पहली लिखित रेसिपी

हलवे की पहली रेसिपी 13वीं सदी में लिखी गई अरबी किताब 'किताब-अल-तबिक' जिसका अर्थ है व्यंजनों की किताब, में मिलती है। मुहम्मद-इब्न-अल-हसन-इब्न-अल-करीम द्वारा लिखी गई इस किताब में आठ तरह के हलवों की रेसिपी बताई गई थी।

ना वेद ना आयुर्वेद, कहीं नहीं है हलवे का जिक्र

बावजूद इसके हलवे को प्रसाद के रूप में सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है। गुरुद्वारे जाएंगे तो कड़ा प्रसाद में हलवा मिलेगा। ऐसा हलवा जो और कहीं नहीं मिल पाता है। प्रसाद में हलवे को लेकर मशहूर भजन गायक नरेंद्र चंचल का एक गाना भी काफी फेमस है- मां मुरादें पूरी कर दे, हलवा बांटूंगी। लेकिन जब इस हलवे का जिक्र किसी भारतीय प्राचीन पुस्तक में नहीं है तो फिर ये भारत में आया कैसे?

भारत में कैसे आया हलवा

जानकारों का मानना है कि हलवा शब्द अरबी भाषा के शब्द ‘हल्व’ से बना है। हल्व का मतलब होता है मीठा। माना जाता है कि भारत में हलवे का आगमन दो स्थानों से हुआ। पहला दक्षिण भारत के समुद्री तटों से, जहां अरबी व अन्य सौदागर उतरे और उनके चलते दक्षिण भारत में हलवे का प्रचलन बढ़ा। दूसरा, मुगल व उससे पहले के मुस्लिम शासक, जो दिल्ली तक आए और उन्होंने अपने भोजन में हलवे को भी शामिल रखा।

नामचीन लेखक और इतिहासकार अब्दुल हलीम शरर अपनी किताब ‘Guzishta Lucknow’ में लिखते हैं कि हलवे का जन्म अरब में हुआ और यह स्वादिष्ट व्यंजन फारस के रास्ते भारत आया। अरब में हलवा खजूर के गूदे को दूध के साथ उबालकर बनाया जाता था। शिकागो के फेमस हिस्टोरियन कोलेन टेलर ने अपनी बुक 'Feasts and Fasts' में लिखा है कि हलवा 13वीं से 16वीं सदी के दौरान मोहम्मद बिन तुगलक के काल में आया।

इतिहासकार लिली स्वर्ण का मानना है कि हलवा भारत में सीरिया, अफगानिस्तान होते हुए भारत आया। उन्होंने अपनी किताब 'Different Truth' में लिखा है कि हलवा सीरिया से होते हुए अफगानिस्तान आया और फिर सोलहवीं सदी में मुगल बादशाहों की रसोई से हलवे के रूप में पूरे भारत में लोकप्रिय हुआ।

भारत में हलवे का जलवा

भारत में हलवा इतना पसंद किया गया कि आज कश्मीर से कन्याकुमारी तक किसी न किसी रूप में हलवा खाने को मिल ही जाएगा। भारत में हलवा प्रसन्नता और आनंद का प्रतीक है तो वहीं यह हमारी आस्था से भी जुड़ गया है। हमारे देश में लगभग हर वर्ग के शादी समारोह में हलवा जरूर बनता है। इन विवाह आयोजनों में हलवा ना हो तो भोज का आनंद अधूरा सा लगता है। जाड़े के मौसम में हर घर में बनने वाले हलवे का जलवा ऐसा है कि 'हलवा सेरेमनी' के बाद ही भारत के आम बजट की छपाई शुरू होती है। धार्मिक अनुष्ठानों में हलवे के प्रसाद के तौर पर इस्तेमाल के बारे में ऊपर ही आपको बता चुके हैं।

हिंदी मुहावरों में अहिंसक है जलवा

हलवा भारत में इतना आम है कि इसपर मुहावरा भी बना है। किसी भी काम करने की आसानी की तुलना हलवे से की जाती है। जैसे फलाना काम करना हलवा है। मतलब कि वह काम करना काफी आसान है। दरअसल हलवा बनाना काफी आसान है इसिलिए आसान काम की तुलना हलवे से की हिंदी भाषा में हलवा को अहिंसात्मक भी माना गया है। जैसे कहावत है कि मार-मार के कचूमर बना देना, मारकर भर्ता बना दिया, कूट-कूट कर कीमा बना दिया या फिर पीट-पीट कर चटनी बना देना। लेकिन कहीं ये नहीं कहा गया है कि पीट-पीट कर हलवा बना दिया। हलवा तो प्रेम और उमंग का प्रतीक बन चुका है।

हलवा जितना मीठा उतने ही अलग रूप

भारत में कई तरह के हलवे बनते हैं। इनमें सबसे आम है सूजी का हलवा। इसके अलावा मूंग की दाल और गाजर का हलवा भी शादी ब्याह के प्रायोजनों में खूब परोसा जाता है। गांवों और छोटे कस्बों में आटे के हलवे का खूब प्रचलन है। वहां आटे के हलवे को ना सिर्फ स्वीट डिश की तरह इस्तेमाल होता है बल्कि नाश्ते के तौर पर भी खाया जाता है। अपने देश में जितने राज्य हैं उतने ही भिन्न प्रकार और स्वाद के हलवे भी हैं।

पंजाब में गाजर से बना गजरेला हलवा काफी फेमस है। पुणे में लोग हरी मिर्च का हलवा बड़े चाव से खाते हैं। पश्चिम बंगाल का चोलर दाल हलवा और महाराष्ट्र के मुंबई का बॉम्बे हलवा भी काफी पॉपुलर है। कर्नाटक के काशी हलवा और केरल के करुथा हलवे का तो कोई जवाब ही नहीं है। कर्नाटक में केले का हलवा भी बनाया जाता है। तमिलनाडु के तिरुनेलवेली को हलवा सिटी कहा जाता है। यहां का गेहूं का हलवा काफी मशहूर है। पारंपरिक तौर पर हलवा गेहूं, चावल, जौ या तिल से बनता था। लेकिन अब सूखे मेवों, सब्जियों और डेयरी पदार्थों के अलावा अंडे का हलवा भी बनने लगा है।

भारत के बाहर भी खूब है हलवे का जलवा

भले ही हलवे की शुरुआत अरब, तुर्की या फारस से हुई हो, लेकिन यह अब यह एक सच्चा ग्लोबल पकवान बन चुका है। भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और श्रीलंका में भी हलवा खूब खाया जाता है। पाकिस्तान का कराची हलवा तो सिंध प्रांत की सबसे खास मिठाई है। सिंध में ही सोहन हलवा भी खूब पॉपुलर है। श्रीलंका में खास मौकों पर चावल के आटे का हलवा बनता है। वहां उसे सीनी अलुवा कहते हैं। बात म्यानमार की करें तो वहां खसखस का हलवा खाया जाता है। इजरायल में तिल से ताहिनी हलवाह बनता है तो उसके आसपास के देशों में पिस्ते, बादाम या चॉकलेट से हलवा बनाया जाता है।

ईरान में शाही पकवान के तौर पर हलवा मेहमानों को पेश किया जाता है। वहां गेहूं के आटे, शहद, मक्खन और गुलाब जल से हलवा बनाया जाता है। वहीं सोमालिया जैसे गरीब देश में भी हलवा खूब पसंद किया जाता है। वहां हलवा चीनी, मक्के का आटा, इलायची पाउडर, जायफल पाउडर और घी से बनाया जाता है। हलवा मध्य और दक्षिण एशिया के साथ ही बाल्कन, काकेशस, पूर्वी यूरोप, माल्टा, उत्तरी अफ्रीका और हॉर्न ऑफ अफ्रीका में भी बड़े चाव से खाया जाता है।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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