कहानी मंगलसूत्र की: एक धागा कैसे बना सुहागिनों के लिए खास, जानिए मंगलसूत्र का पूरा इतिहास, ट्रेंड में हैं मंगलसूत्र के ये लेटेस्ट डिजाइन्स

Mangalsutra History in Hindi, Types And Latest Designs Of Mangalsutra (मंगलसूत्र की पूरी जानकारी): भारत में शादीशुदा महिलाओं की सबसे बड़ी पहचान उनका सिंदूर और मंगलसूत्र होता है। जहां सिंदूर हर महिला एक ही तरह से मांग में लगाती है, वहीं मंगलसूत्र अलग-अलग राज्‍य में अलग-अलग नाम और डिजाइन में नजर आते हैं। आज हम आपको इसी पवित्र धागे के इतिहास, महत्व, बदलते अर्थ, साइंटफिक कॉन्सेप्ट, राज्यों के अनुसार इसके प्रकार और ट्रेंडिंग डिजाइन के बारे में डिटेल में जानकारी देने वाले हैं।

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Mangalsutra History in Hindi, Types And Latest Designs Of Mangalsutra (मंगलसूत्र की पूरी जानकारी): लोकसभा चुनाव 2024 के प्रचार में जब भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि कांग्रेस और इंडी गठबंधन की नजर आपके मंगलसूत्र और संपत्ति पर है, तभी से देशभर में मंगलसूत्र की चर्चा बढ़ गई। मंगलसूत्र यानी सुहाग की निशानी। एक शादीशुदा महिला भले ही सोलह श्रृंगार न करे, लेकिन उसके गले में ये पवित्र धागा जरूर होता है। हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी कि मंगलसूत्र शुरू से ही सुहाग की निशानी नहीं रहा है। मंगलसूत्र का कॉन्सेप्ट धीरे-धीरे हमारे समज में आया और समय के साथ बदलता गया। क्या आपने कभी सोचा है कि मंगलसूत्र पहनने की परंपरा कहां से शुरू हुई? क्या आपको पता है कि मंगलसूत्र सिर्फ भारत ही नहीं सीरिया जैसे देशों में भी पहना जाता है। आखिर मंगलसूत्र गले में काले मोती क्यों होते हैं? और धर्म और विज्ञान मंगलसूत्र को इतना महत्व क्यों देता है? इन सभी सवालों के जवाब आज हम पता करने वाले हैं। इतना ही नहीं, शायद ही आपको इस बात की जानकारी हो कि भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह के मंगलसूत्र पहने जाते हैं। इसके अलावा मंगलसूत्र के डिजाइन्स में भी समय के साथ काफी ज्यादा बदलाव आया है। इन दिनों मंगलसूत्र को हाथों में पहनने का भी खूब चलन है। वहीं जो महिलाएं आज भी इसे अपने गले में पहनती हैं वो अपनी पसंद का डिजाइन बनवाती हैं और अलग-अलग आउटफिट्स के साथ मैचिंग मंगलसूत्र कैरी करती हैं। आइये मंगलसूत्र के प्रकार ही नहीं डिजाइन के बारे में भी डिटेल में जानते हैं।

कहां से हुई मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत? (History Of Mangalsutra) -

मंगलसूत्र पहले केवल एक पवित्र धागा था, फिर जैसे-जैसे समाज और संस्कृति बदलती गई मंगलसूत्र के कॉन्सेप्ट को सुहाग से जोड़ा दिया गया। मंगलसूत्र के इतिहास का उल्लेख आदि गुरु शंकराचार्य की पुस्तक सौंदर्य लहरी में है। इतिहासकारों की मानें तो 6ठी शताब्दी में मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत हुई थी। मोहनजोदड़ो की खुदाई में मंगलसूत्र के अवशेष प्राप्त हुए थे। ऐसा बताया जाता है कि मंगलसूत्र पहनने की शुरुआत सबसे पहले दक्षिण भारत से हुई थी। धीरे-धीरे यह उत्तर भारत में प्रचलित हुआ और दाम्पत्य जीवन का प्रतीक बन गया। बता दें कि मंगलसूत्र सिर्फ भारत ही नहीं नेपाल, बंग्‍लादेश और पाकिस्‍तान में हिंदुओं के अलावा सीरियाई ईसाइयों जैसे गैर-हिंदू महिलाएं भी पहनती हैं।

History And Evolution Of Mangalsutra In Hindi

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