Dry Fruits of Afghanistan: ड्राई फ्रूट्स की खान है अफगानिस्तान, क्यों अफगानी मेवों का दीवाना है हिंदुस्तान, कैसे भारत की रगों में बस गए 'काबुलीवाले'

Afghani Dry Fruits: अफगानिस्तान एक ऐसा देश है जहां ज्यादातर परिवार ड्राई फ्रूट्स के बिजनेस में हैं। इस पेशे में देश की ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध ज्यादातर रिपोर्ट्स के मुताबिक 70% अफगानी महिलाएं ड्राई फ्रूट के कारोबार में शामिल हैं। ना जाने कितने ही सालों से मेवों का व्यापार वहां के लोगों की आय का मुख्य स्रोत बना हुआ है।

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ड्राई फ्रूट्स की खान है अफगानिस्तान, क्यों अफगानी मेवों का दीवाना है हिंदुस्तान, कैसे भारत की रगों में बस गए 'काबुलीवाले' (Photo Source: Wallpaper Flare)

Explained Story of Dry Fruits in Afghanistan: अफगानिस्तान भारत का पड़ोसी मुल्क है। जब भी अखंड भारत की बात की जाती है तो अफगानिस्तान को भी उस अखंड भारत में शामिल किया जाता है। वैसे 17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम को कोई देश था ही नहीं। इतिहास के पन्नों को पलटेंगे तो पाएंगे कि 26 मई 1739 को दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह को अफगानिस्तान सौंप दिया था। अहमद शाह दुर्रानी के शासनकाल में अफगानिस्तान नाम प्रचलित हुआ। उससे पहले आर्यना, पश्तून ख्वाह, रोह, खुरासान और पख्तिया जैसे नामों से जाना जाता था। अफगानिस्तान पहले एक हिंदू राष्ट्र था, फिर बौद्ध बना और अब यह मुल्क एक इस्लामिक राष्ट्र है। अफगानिस्तान की पहचान आज पूरी दुनिया में सबसे अच्छे मेवों की पैदाइश के लिए होती है।

ड्राई फ्रूट्स की खान है अफगानिस्तान

अफगानिस्तान ना सिर्फ अपने आक्रमणकारी इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता के लिए विश्व भर में मशहूर है बल्कि यहां का खान-पान और कला संस्कृति भी पूरी दुनिया को आकर्षित करती है। अफगानिस्तान के ड्राई फ्रूट्स बेहद उच्च क्वालिटी का माने जाते हैं। यहां करीब 30 तरह के ड्राई फ्रूट्स होते हैं। इनमें अंजीर, पिस्ता, बादाम, केसर, खजूर, ब्लैकबेरी, मुनक्का, चिलगोजा, अखरोट, खुबानी और किशमिश प्रमुख है। इन सारे ड्राई फ्रूट्स की कई बेहतरीन वैरायटी अफगानिस्तान में पैदा की जाती है।यूं तो ड्राई फ्रूट्स का सबसे बड़ा उत्पादक देश अमेरिका है लेकिन जो भारतीयों की जुबान पर जो स्वाद अफगानिस्तान के मेवों का चढ़ा वो अमेरिका को हासिल नहीं हुआ।

अफगानिस्तान एक ऐसा देश है जहां ज्यादातर परिवार ड्राई फ्रूट्स के बिजनेस में हैं। इस पेशे में देश की ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं। इंटरनेट पर उपलब्ध ज्यादातर रिपोर्ट्स के मुताबिक 70% अफगानी महिलाएं ड्राई फ्रूट के कारोबार में शामिल हैं। ना जाने कितने ही सालों से मेवों का व्यापार वहां के लोगों की आय का मुख्य स्रोत बना हुआ है।

भारत को क्यों भाते हैं ड्राई फ्रूट्स

भारत के लोग ड्राई फ्रूट्स खूब खाते हैं। मेवों की खरीदारी कई उद्देश्य से की जाती हैा भारतीय परंपरा में ड्राई फ्रूट्स को प्रसाद के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा है। लोग व्रत रखने पर ड्राई फ्रूट्स को शुद्ध समझ कर खूब खाना पसंद करते हैं। ड्राई फ्रूट्स शरीर में ताकत देते हैं। इसलिए जिम करने वाले लोग भी बादाम का सेवन करना इसके साथ अन्य ड्राई फ्रूट्स लेना मसल्स के लिए काफी लाभदायक बताते हैं। ड्राई फ्रूट्स मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है। भारतीय मिठाइयों के खूब शौकीन हैं। भारत में बनने वाली लगभग सारी मिठाइयों में मेवों का इस्तेमाल होता है। अगर हम कहें कि मेवे भारतीय संस्कृति का हिस्सा हैं तो यह कहना कहीं से गलत ना होगा।

अफगानिस्तान के ड्राई फ्रूट्स की खासियत

1. जानकारों के मुताबिक अफगानिस्तान के ड्राई फ्रूट्स बहुत बेहतर क्वालिटी के होते हैं। पोषक तत्वों से भरपूर अफगानिस्तान के ड्राई फ्रूट्स सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं।

2. विशेषज्ञ मानते हैं कि अफगानी ड्राई फ्रूट्स दूसरे देशों के ड्राई फ्रूट के मुकाबले काफी अलग होते हैं। क्योकि अफगानिस्तान के ड्राई फ्रूट में ऑयल की मात्रा ज्यादा होती है।

3. अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति यहां के ड्राई फ्रूट्स को खास बनाती है। वहां के ड्राई फ्रूट्स में एक अलग तरह की प्राकृतिक मिठास होती है।

4. भारत में ड्राई फ्रूट्स के व्यापारियों के अनुसार अफगानिस्तान के ड्राई फ्रूट्स दूसरे देशों के ड्राई फ्रूट्स की तुलना में सस्ते होते हैं और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं।

5. अफगानिस्तान का सफेद बादाम और गोल्डन बादाम को तो ताकत की खान कहा जाता है। सफेद बादाम अफगानिस्तान के लोगर में उगाया जाता है। भारत में इसकी खूब डिमांड है।

6. वहां का कागजी बादाम और गुरबनदी बादाम ब्रेन पावर को बढ़ाने और बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने के लिए मशहूर है।

7. अफगानिस्तानी बादाम का आकार भारतीय बादाम से दोगुना होता है। इस तरह के ड्राई फ्रूट्स पूरे भारत में और कहीं नहीं मिलते हैं।

8. यूं तो भारत में जम्मू कश्मीर इलाके में अखरोट मिल जाते हैं लेकिन अफगानिस्तान के अखरोट की बात ही अलग होती है। वहां के अखरोट के अंदर ज्यादा ऑयल पाया जाता है।

हिंदुस्तान, अफगानिस्तान और काबुल के पठान

भारत में दशकों से अफगानिस्तान से मेवे आ रहे हैं। पहले देश के तमाम शहरों में अफगानिस्तान से आए व्यापारी साइकिल या रिक्शे से ड्राई फ्रूट्स बेचते नजर आ जाते थे। इन लोगों को काबुली वाला कहा जाता था। दरअसल भारतीयों को लगता था कि ये सब अफगानिस्तान के काबुल से आए हैं। धीरे-धीरे ये काबुलीवाले अफगानी मेवों की पहचान बनते गए। मशहूर उपन्यासकार और नोबल पुरस्कार से सम्मानित रबींद्र नाथ टैगोर की मशहूर कहानी काबुलीवाला में भी जो मुख्य किरदार है वह मेवे बेचने वाली ही है।

देश के कई हिस्सों में ड्राई फ्रूट्स की दुकानों के नाम भी काबुलीवाले पड़ चुके हैं। यहां के लोकल मार्केट में भी ड्राई फ्रूट्स को अफगानी बताकर व्यापार किया जाता है। ड्राई फ्रूट्स के साथ अफगानिस्तान का नाम जुड़ते ही भारतीयों में एक विश्वास आ जाता है कि ये अच्छा होगा।

अफगानी कैसे खाते हैं ड्राई फ्रूट

अफगानिस्तान के लोगों के लिए ड्राई फ्रूट सिर्फ सूखे मेवे भर नहीं हैं। ये वहां सम्मान का भी प्रतीक है। अफगानिस्तान में खास मौकों पर एक दूसरे को ड्राई फ्रूट्स गिफ्ट करना शुभ माना जाता है। वहां के लोग किसी को ड्राई फ्रूट देना इज्जत की बात समझते हैं। अफगानी जब किसी को ड्राई फ्रूट गिफ्ट करते हैं तो यूं ही नहीं करते। वो लोग इसे मिठाई की तरह एक दूसरे को उपहार देते हैं। जब वो किसी को गिफ्ट में ड्राई फ्रूट देते हैं तो उसे 2-3 दिनों तक तैयार करते हैं।

शादी ब्याह या फिर त्योहार जैसे किसी खास मौके से पहले अफगानी लोग 7 अलग तरह के ड्राई फ्रूट्स मार्केट से खरीदकर घर लाते हैं। बाजार से लाए इन मेवों को 2-3 बार पानी से अच्छी तरह धोकर साफ किया जाता है। इसके बाद वो एक बर्तन में साफ मिनरल वाटर लेते हैं और धुले हुए ड्राई फ्रूट्स को उसमें भिगो कर 2-3 दिनों के लिए छोड़ देते हैं। दो तीन दिनों बाद जब यह खाने या किसी को उपहार देने के लिए तैयार हो जाएगा।

इस तरह से ड्राई फ्रूट्स खाने खास बात ये रहती है कि आपको दो तरह के स्वाद हमेशा याद रहेगें। एक उस पानी की मिठास जिसके स्वाद में 7 तरह के ड्राई फ्रूट्स का टेस्ट एक साथ आपको मिलेगा और दूसरा सारे ड्राई फ्रूट्स इतने फ्रेश हो जाएंगे कि आपको लगेगा कि आप फ्रेश फ्रूट खा रहे हैं।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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