History of Litchi: क्यों मशहूर है मुजफ्फरपुर की लीची, कितने करोड़ का है कारोबार, पूरे बिहार के लिए खास, जानिए शाही लीची का पूरा इतिहास

बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची का स्वाद हर किसी की जुबान पर चढ़ा है। लीची का इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है। हजारों वर्ष पहले चीन में यह उगाई जाने लगी थी। भारत में लीची 1800 साल बाद पहुंची और अब बिहार के मुजफ्फरपुर में इसका सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। जानिए क्या है लीची का इतिहास।

History of Litchi

वैसे तो बिहार की राजधानी पटना है, लेकिन लीची की वजह से मुजफ्फरपुर राज्य की अघोषित राजधानी है। मुजफ्फरपुर की लीची सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि देश-विदेशों में भी प्रसिद्ध है। मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश-दुनिया के कोनों में भेजी जाती है। जैसे आम को फलों का राज कहा जाता है, वैसे ही लीची को फलों की रानी कहा जाता है। हर कोई इसे बड़े शौक से खाना पसंद करता हैं। बिहार के लोगों की जुबान पर इसका स्वाद चढ़ा हुआ है। बिहार के मुजफ्फरपुर की शाही लीची खूब फेमस है, लेकिन क्या आपको पता है कि यहां की बेदामी और चाइनीज लीची भी काफी लोकप्रिय है। सबसे ज्यादा डिमांड शाही लीची की रहती है। मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति के साथ साथ देश के गणमाण्य लोगों को भी जिला प्रशासन के द्वारा भेजी जाती है। लीची का उत्पादन मुजफ्फरपुर के अलावा देहरादून, झारखंड जैसी जगहों पर भी होता है, लेकिन विशिष्ट जलवायु नहीं होने की वजह से वहां फल काफी छोटे होते हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर में लीची भी दो प्रकार के होते हैं। पहली शाही और दूसरी चाइनीज लीची। दोनों लीची में काफी अंतर होता है। शाही लीची को फलों की रानी माना जाता है।

Shahi Litchi

शाही और चाइनीज लीची में क्या होता है अंतर

शाही लीची का स्वाद और मिठास का कोई तोड़ नहीं होता है। शाही लीची का ऊपरी हिस्सा काफी नर्म होता है। इसका रंग हल्का लाल और गुलाबी होता है। शाही लीची चाइनीज की तुलना में काफी बड़े होते हैं। वहीं चाइनीज लीची का स्वाद काफी अलग होता है और इसका ऊपरी हिस्सा काफी सख्त भी होता है। मार्केट में चाइनीज लीची का कब्जा लंबे समय तक रहता है क्योंकि चाइनीज लीची काफी देर से बाजार में आते हैं। जबकि शाही लीची मार्केट में सबसे पहले आते हैं और महीने भर के अंदर ये मार्केट से गायब हो जाते हैं।

Difference between shahi and chinese litchi

रोचक है लीची का इतिहास

लीची का इतिहास लगभग 2000 साल पुराना है। हजारों वर्ष पहले चीन में यह उगाई जाने लगी थी। भारत में लीची 1800 साल बाद पहुंची और अब बिहार के मुजफ्फरपुर में इसका सबसे ज्यादा उत्पादन होता है। फलों की रानी लीची का उत्पादन अमेरिका, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और मेडागास्कर में भी किया जाता है। 18वीं शताब्दी की शुरुआत में मैडागास्कर और भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण अफ्रीका, वियतनाम, ब्राजील, थाईलैंड, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में भी लीची का उत्पादन किया जाने लगा है। शाही लीची ने बाजार में ऐसा दबदबा बना लिया है कि इसकी पैदावार अब बड़े पैमाने पर होने लगी है। भारत में 200 साल पहले चीन के रास्ते आई थी लीची, भारत इसका दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। पश्चिमी देशों में इसका उत्पादन तब शुरू हुआ जब यह 1775 में जमैका में हुआ था।मुजफ्फरपुर जिले में अब तक सिर्फ 12 हजार हेक्टेयर में लीची की खेती होती है।

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