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Chaita: क्या होता है चैता और क्या है इसका महत्व, क्यों यूपी बिहार वालों के लिए है इतना खास, बॉलीवुड वालों को भी आया रास

फिल्मों में भी चैती का प्रयोग बड़ी खूबसूरती से हुआ है। 1963 में गोदान नाम से एक फिल्म आई थी। यह फिल्म मुंशी प्रेमचंद के कालजयी उपन्यास गोदान पर आधारित थी। फिल्म में अपने जमाने के सबसे लोकप्रिय गायक मुकेश ने एक चैता गाया था।

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What is Chaita Song in UP-Bihar

देश में जितने राज्य हैं उतनी तरह के लोकगीत हैं। जब भी लोकगीतों की बात होती है तो यूपी और बिहार का नाम जरूर आता है। इन दोनों ही राज्यों में ऐसे-ऐसे लोकगीत हैं जो आज भी हमारे लोकपर्वों का श्रृंगार करते हैं। ऐसा ही एक पर्व है नव वर्ष का। हिन्दू नववर्ष, जिसे विक्रम संवत भी कहते हैं, के अनुसार हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, जो 2025 में 30 मार्च को है। वहीं बात चैत्र मास की करें तो चैत्र का महीना होली के अगले दिन से शुरु होता है। इस बार यह 15 मार्च से शुरूहुआ है और ये 12 अप्रैल तक रहेगा। इस महीने में सूर्य और देवी की उपासना लाभदायक होती है। इस महीने नाम, यश और पद प्रतिष्ठा के लिए सूर्य की उपासना करना भी फलदायी होता है। इसी चैत्र मास में पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में चैता या चइता गाया जाता है।

क्या होता है चैता/ चइता?

चैती या चइता चैत माह पर केंद्रित लोकगीत है। ये उल्लास, प्रेम व प्रकृति का गीत है। इसकी भाषा भोजपुरी है। इसे अर्ध-शास्त्रीय गीत विधाओं में भी सम्मिलित किया जाता है तथा उपशास्त्रीय बंदिशें गाई जाती हैं। चैत्र के महीने में गाए जाने वाले इस गीत प्रकार का विषय प्रेम और प्रकृति रहते है। चैत श्री राम के जन्म का भी मास है इसलिए इस गीत की हर पंक्ति के बाद अक्सर रामा शब्द लगाते हैं।

चढ़त चइत चित लागे ना रामा

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