Devraha Baba: वो बाबा जो मचान से पैर लटका देते थे आशीर्वाद, पीएम से प्रेसिडेंट तक पाते थे 'ज्ञान', इंदिरा को दिया था पंजा निशान !
Devraha Baba Life Story: द ग्रेट इंडियन पॉलिटिकल बाबा (Political Baba) के इस अंक में हम जानेंगे उन देवरहा बाबा की कहानी जिनके चरणों में इंदिरा गांधी से राजीव गांधी और राजेंद्र प्रसाद से लाल बहादुर शास्त्री जैसे पीएम प्रेसिडेंट नजर आते थे।
देवरहा बाबा
Devaraha Baba: आज की तारीख में रामदेव हो या फिर श्री श्री रविशंकर, तमाम ऐसे आध्यात्मिक गुरु हैं जिनका राजनीति से तगड़ा गठजोड़ है। पहले भी कई ऐसे साधु संत हुए हैं जिनके दरबार में देश के प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति तक हाजिरी लगाते रहे हैं। इसी कड़ी में हम आपको एक ऐसे संत की कहानी बताने जा रहे हैं जो बांस के बने मचान पर बैठ देश के कई अहम फैसलों में अपना दखल रखते थे। 19 मई 1990 को जब इन्होंने देह त्यागा तो पूरे देश से नेता, अफसर, समर्थक उनकी अंतिम यात्रा में जुटे थे।
बात है साल 1977 की। इमरजेंसी के बाद हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी की कांग्रेस पार्टी को देश भर में करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी। इंदिरा उन दिनों काफी परेशान रहने लगी थीं। उन्हें अपने बेटे संजय गांधी और कांग्रेस पार्टी की चिंता हमेशा सताते रहती थी। उस समय यूपी के बड़े सियासी चेहरों में शुमार कमलापति त्रिपाठी और सीपीएन सिंह ने इंदिरा को देवरहा बाबा से मिलने की सलाह दी। कमलापति त्रिपाठी यूपी के सीएम रहे, जबकि सीपीएन सिंह के बेटे आरपीएन सिंह मनमोहन सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। कहा जाता है कि नेताओं की सलाह पर इंदिरा गांधी 1978 में देवरिया में देवरहा बाबा के आश्रम पहुंचीं और उनका आशीर्वाद लिया।
देवरहा बाबा में आस्था रखने वालों में देश के पहले राष्ट्रपति रहे राजेंद्र प्रसाद और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री भी शामिल थे। राजेंद्र प्रसाद अकसर देवरहा बाबा से मिलने जाया करते थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद अकसर कहते थे कि वो जब छोटे थे तब अपने पिताजी के साथ देवरहा बाबा के आश्रम गए थे। तब देवरहा बाबा ने राजेंद्र प्रसाद के पिता से कहा था कि यह बालक आगे चलकर देश के महत्वपूर्ण पद पर बैठेगा। सन 1911 में जॉर्ज पंचम भारत आए और बाबा के आश्रम पहुंचे थे।
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कब हुए पैदा किसी को नहीं पता
देवरहा बाबा के बारे में कहा जाता है कि उनका जन्म कब हुआ यह किसी को नहीं मालूम। कोई कहता है कि वह 10 साल पहले जन्मे थे तो कोई कहता है कि डेढ़ सौ साल पहले। हालांकि जो पुख्ता जानकारी मौजूद है उसके मुताबिक देवरहा बाबा गोरखपुर के पास देवरिया जिले के थे। एक जाने-माने संत। एक ऐसे संत जो समाज के मेलों में आते तो थे, लेकिन भीड़ में नहीं रहते थे। उनको लेकर कोई विवाद कभी सामने नहीं आया। हर तरफ से उनके लिए सम्मान ही मिलता रहा। सरल, सहज और बेहद शांत स्वभाव वाले देवरहा बाबा से आशीर्वाद लेने के लिए आमजन से लेकर नेता, उद्योगपति, फिल्मी सितारे और ब्यूरोक्रैट्स उनके पास आते थे।
मचान पर रहते और पैर से देते आशीर्वाद
देवरहा बाबा आजीवन जमीन के ऊपर रहे। वह जहां जाते उनके लिए बांस का मचान बन जाता था। वृंदावन और देवरिया के अपने आश्रम में भी उनके लिए मचान बना था जिसपर वह रहते थे। बाबा सिर्फ एक सूती कपड़ा तन पर लपेटे रहते थे और कपड़े को वह हर मौसम पहनते थे। बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए देश विदेश से लोग उनके आश्रम पहुंचते। वह किसी के लिए भी नीचे नहीं उतरते थे। बाबा भक्तों से मिलते तो अपना पैर मचान से नीचे लटका देते थे। भक्त उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया करते थे। देवरहा बाबा का कहना था कि बड़ों के चरणों में ही चारों तीर्थ होते हैं, इसी कारण से पैरों से ही आशीर्वाद देता हूं।
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कांग्रेस को चुनाव चिन्ह के पीछे बाबा का हाथ
आज कांग्रेस का चुनाव चिन्ह हाथ का पंजा है। इससे पहले गाय और बछड़ा चुनाव निशान हुआ करता था। इमरजेंसी के बाद विरोधी दल के नेता इस चुनाव चिन्ह को इंदिरा और संजय गांधी से जोड़कर मजाक उड़ाया करते थे। इंदिरा भी कांग्रेस का चुनाव चिन्ह बदलना चाहती थीं। इन्ही सबके बीच उनकी मुलाकात जब देवराहा बाबा से हुई। देवरहा बाबा आमतौर पर लोगों को पैर से आशीर्वाद देते थे। उन्होंने इंदिरा गांधी को आशीर्वाद देने के लिए अपना हाथ ऊपर किया और पंजे को खोलकर कहा कि यही तुम्हारा कल्याण करेगा। उस मुलाकात के कुछ समय बाद कांग्रेस पार्टी ने अपना चुनाव चिन्ह बदलकर हाथ रा पंजा कर लिया। लोग कहते हैं कि ये चुनाव चिन्ह देवरिया बाबा के कहने पर ही बदला गया था।
राम मंदिर बनाने के पक्षकार थे देवरहा बाबा
एक बार बतौर प्रधानमंत्री राजीव गांधी की मुलाकात उनसे वृंदावन में हुई थी। सियासी गलियारों में ऐसा दावा किया जाता है कि देवरहा बाबा ने विश्व हिंदू परिषद और सरकार के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाई थी। उनके ही कहने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 1989 में विहिप को राम मंदिर के शिलान्यास की अनुमति दी। बाबा के समर्थक बताते हैं कि उन्होंने राजीव गांधी से कहा, 'बच्चा हो जाने दो।' बता दें कि 1984 में आयोजित जिस धर्म संसद में अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर आंदोलन चलाने का फैसला किया गया, उसमें देवरहा बाबा भी शामिल थे।
जब संसद में कांग्रेस ने मांगी माफी
अयोध्या में बाबरी मस्जिद के गिरने के बाद उसकी जांच के लिए लिब्राहन आयोग बनाया गया। आयोग ने मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते साल 2009 में अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में देवरहा बाबा का भी ज़िक्र था। इसको लेकर काफी हंगामा हुआ। बीजेपी के राजनाथ सिंह ने मुद्दा उठाया कि ऐसा संत जो बाबरी विध्वंस के दो साल पहले ही देह त्याग चुका है उसे साजिशकर्ता कैसे करार दिया जा सकता है। तब कांग्रेस ने बाबा का नाम शामिल होने को गलती मानी थी और संसद में खेद जताया था।
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हमारी सीरीज 'द ग्रेट इंडियन पॉलिटिकल बाबा' के आज के अंक में इतना ही। अगले अंक में हम किसी ऐसे ही दूसरे चर्चित बाबा से आपको रूबरू करवाएंगे जिसका भारतीय राजनीति में अपना अलग रसूख था। अगर आपको यह स्टोरी पसंद आई हो तो आप इस अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर भी कर सकते हैं।
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