मां का प्यार और मायके का मान, खोइछा कैसे बना विदाई का सामान, जानिए सुहागिनों के खोइछे का पूरा इतिहस

खोइछा (Khoicha): कई जगह पर अलग-अलग तरीके से खोइछा भरा जाता है। लोग खोइछे में सोने और चांदी के सिक्के भी देते हैं। कुछ तो जमीन, मकान, गाड़ी भी देते हैं। पुराने समय में जमींदारी भी खोइछे के तौर पर दे दी जाती थी। बढ़ा-चढ़ाकर देना कोई रस्म का हिस्सा तो नहीं है, लेकिन आजकल तो खोंईछा भी अपनी ऊंची सामर्थ्य को दिखाने का एक जरिया होता जा रहा है।

क्या होता है खोइछा, क्या है खोइछे का महत्व?

हाल ही में नेटफ्लिक्स पर लापता लेडीज (Laapata Ladies) नाम से एक फिल्म आई है। ग्रामीण पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म को खूब पसंद किया जा रहा है। फिल्म के एक सीन में रूप नाम की पात्र को उसकी मां शादी के बाद विदाई के वक्त एक पोटली में कुछ चीजें बांधकर देती है। इस पोटली को खोइछा (Khoicha) कहा जाता है। बिहार और उत्तर प्रदेश के पूर्वी इलाकों में खोइछा बेहद आम शब्द है। खोइछा (Khoichha) शब्द सुनते ही न जाने कितनी भावनाएं और कितना नेह जुड़ जाता है लोगों के मन में। शादीशुदा लड़कियों के लिए खोइछा शब्द सुनते ही मां, मायके का वो आंगन, सब उनकी आंखों के सामने आ जाता है। दरअसल खोंइछा वह अनमोल उपहार है जो नैहर(मायका) से ससुराल जाते वक्त विदाई के वक्त मां, भाभी या परिवार की कोई दूसरी सुहागिन महिला लड़की के आंचल में बांधती है। बेटी को विदाई के बाद रास्ते में जब भी डर लगता, नए घर, नए लोग, नया परिवार का, तो आंचल में बंधा खोइछा वैसा ही सांत्वना देता जैसे की मां।

खोइछा भरने के साथ ही घर के अंदर से लड़की की मां, भाभी और परिवार की दूसरी महिलाओं के रोने की आवाज बाहर तक आने लगती है। खोइछा भरने के साथ ही मां औऱ बेटी दोनों समझ जाती हैं कि अब विदाई की बेला आ गई है। खोइछा देने की ये रीत सदियों पुरानी है। बेटियों को मायके से मिला हुआ बहुत सारा आशीर्वाद समेटे होता है ये खोइछा। यह रीत पुरानी होकर भी अपने मूल भाव और प्रेम को बनाए हुए है। आइए डालते हैं खोइछे पर विस्तार से एक नजर:

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क्यो होता है खोइछाखोइछा एक लोक परंपरा है जो पीढ़ी दर पीढ़ी चलती जाती है। दरअसल इस परंपरा का खोइछा भरना कहते हैं। खोइछा बिहार के मिथिला क्षेत्र में छोटी पोटली को कहते हैं। ग्रामीण इलाकों में रूमाल या साड़ी का आंचल भी खोइछे के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। खोइछा भरना मतलब ये हुआ कि खोइछे में चीजें रखना। यह खोइछा लेकर बेटी अपने ससुराल जाती है। ससुराल में लड़की की ननद या बेटी खोइछा खोलती है।

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