Faiz Ahmad Faiz Shayari: मुझसे पहली सी मुहब्बत मेरे महबूब न मांग.., किसी जादू से कम नहीं हैं फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के ये 21 शेर

Faiz Ahmad Faiz Shayari: ​बता दें कि फ़ैज़ अहमद फै़ज़ का जन्म 13 फरवरी 1912 को अविभाजित भारत में पंजाब के ज़िला नारोवाल की एक बस्ती काला क़ादिर में हुआ था। अब यह जगह फ़ैज़ नगर के नाम से जानी जाती है। फ़ैज़ ब्रिटिश सेना में कर्नल भी थे। 'इरशाद' के आज के अंक में पढ़ें फैज़ अहमद फैज के चंद बेहतरीन नग़में:

Faiz Ahmed faiz Shayari in Hindi

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Faiz Ahmad Faiz Shayari in Hindi: फैज़ अहमद फैज़...यह नाम एक ऐसे नग़मानिगार का है जिसने अपनी शायरी में मोहब्बत, इंकलाब, विद्रोह, उम्मीद और ना जाने कितने की एहसासों को लफ़्ज़ दिये। यह एक ऐसा नाम है जिससे हुकूमतें नफरत करती रहीं और अवाम मोहब्‍बत करती रही। फैज़ अहमद फैज़ का असली नाम फ़ैज़ अहमद खान था, लेकिन बाद में उन्होंने अपना तखल्लुस भी फ़ैज़ ही रख लिया। फैज़ अहमद फैज़ को उनकी शायरी से इतनी लोकप्रियता हासिल हुई कि जब पाकिस्तान ने उन्हें अपने देश से निकाला तो दुनिया के दर्जनों देश बाहें खोल उनका स्वागत करने को तैयार खड़े हो गए। यह फैज़ की शायरी ही थी कि लोग उन्हें सुनने और पढ़ने को बेताब रहते। आइए पढ़ें फैज़ के लिए कुछ चुनिंदा शेर:

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1. फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शमाएं जलीं

फिर तसव्वुर ने लिया उस बज़्म में जाने का नाम

2. दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के

वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के

3. वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था

वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है

4. गर बाज़ी इश्क़ की बाज़ी है जो चाहो लगा दो डर कैसा

गर जीत गए तो क्या कहना हारे भी तो बाज़ी मात नहीं

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5. और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

6. जो दिल से कहा है जो दिल से सुना है

सब उन को सुनाने के दिन आ रहे हैं

7. और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

8. उठ कर तो आ गए हैं तिरी बज़्म से मगर

कुछ दिल ही जानता है कि किस दिल से आए हैं

9. इक गुल के मुरझाने पर क्या गुलशन में कोहराम मचा

इक चेहरा कुम्हला जाने से कितने दिल नाशाद हुए

faiz ahmad faiz best shayari

10. दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है

लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

11. आए कुछ अब्र कुछ शराब आए

इस के बाद आए जो अज़ाब आए

12. और क्या देखने को बाक़ी है

आप से दिल लगा के देख लिया

13. दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है

लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के शेर

14. तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं

किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं

15. उतरे थे कभी 'फ़ैज़' वो आईना-ए-दिल में

आलम है वही आज भी हैरानी-ए-दिल का

16. वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था

वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है

17. दिल से तो हर मोआ'मला कर के चले थे साफ़ हम

कहने में उन के सामने बात बदल बदल गई

फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ ग़ज़ल | फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के मशहूर शेर

18. कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब

आज तुम याद बे-हिसाब आए

19. आए कुछ अब्र कुछ शराब आए

इस के बा'द आए जो अज़ाब आए

20. वीरां है मय-कदा ख़ुम-ओ-साग़र उदास हैं

तुम क्या गए कि रूठ गए दिन बहार के

21. अब जो कोई पूछे भी तो उस से क्या शरह-ए-हालात करें

दिल ठहरे तो दर्द सुनाएँ दर्द थमे तो बात करें

बता दें कि फ़ैज़ अहमद फै़ज़ का जन्म 13 फरवरी 1912 को अविभाजित भारत में पंजाब के ज़िला नारोवाल की एक बस्ती काला क़ादिर में हुआ था। अब यह जगह फ़ैज़ नगर के नाम से जानी जाती है। फ़ैज़ ब्रिटिश सेना में कर्नल थे और पाकिस्तान के 2 प्रमुख अखबारों के संपादक भी रहे। आज भले फैज़ हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके लिखे नग़में आने वाली कई पीढ़ियों के बीच उतने ही पढ़े जाते रहेंगे।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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