Faiz Ahmed Faiz: वह शायर जो था कर्नल, 4 साल रहा जेल में, फांसी से बचा तो छोड़ना पड़ा देश, बन गया बगावत का दूसरा नाम

Faiz Ahmed Faiz Shayari: फ़ैज़ ने मोहब्बत, अदावत और बगावत को इस तरह अपनी नज्मों में पिरोया कि वह नज्म महबूबा के लिए लिखा गया या मुल्क के लिए लिखा गया इसका फर्क ही नहीं मालूम पड़ता।

Faiz Ahmed Faiz Shayari Poetry in Hindi

"और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा

राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा

मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग"

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