Sarees of Uttar Pradesh: बनारसी ही नहीं दुनिया भर में मशहूर हैं उत्तर प्रदेश की ये साड़ियां भी, इन तंग गलियों में जाकर खरीदते हैं लोग, कीमत भी ऐसी कि अलमारी भर जाए

Famous Saree of Uttar Pradesh (उत्तर प्रदेश की प्रसिद्ध साड़ियां): खानपान से लेकर पहनावे तक में उत्तर प्रदेश किसी से कम नहीं है। यूपी के कपड़ों का इतिहास सालों पुराना होने के साथ विश्व प्रसिद्ध भी है, ऐसी ही प्रसिद्धी यहां की खूबसूरत साड़ियों को भी प्राप्त है। यहां देखें यूपी की सबसे फेमस साड़ी कौन सी है, साड़ी कैसे पहनें, बनारसी साड़ी की कीमत और किस साड़ी की देखभाल कैसे करें आदि की जानकारी आप हमारे इस लेख में ले सकते हैं।

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Most Famous Saree's of Uttar Pradesh

Best Saree's of Uttar Pradesh: भारतीय पहनावे का जहां जिक्र आता है, वहां हर किसी के दिमाग में सबसे पहला ख्याल अक्सर देश के कोने कोने से आई बेहद खूबसूरत तो भारतीय फैशन - ट्रेडिशन का मेल रही साड़ियों का ही आता है। साड़ियां बेशक ही भारतीय धरोहर का ऐसा हिस्सा है, जिसकी खूबसूरती और चमक न हजारों साल पहले कम हुई थी और ना ही आज से हजारों साल बाद कम होगी। इस देश की संस्कृति पर साड़ियों की छाप इतनी गहरी है कि, यहां के अलग अलग राज्यों-शहरों की पहचान भी कहीं न कहीं उन्हीं से है। कांजीवरम, पटोला, पैठणी से लेकर बनारसी, चिकनकारी आदि तक देश भर के कोने कोने में अनोखी से अनोखी साड़ियां बनाई जाती हैं। हालांकि देश की सबसे बेहतरीन साड़ियों की लिस्ट में अक्सर ही उत्तर प्रदेश की साड़ियों का बोल-बाला सबसे ज्यादा रहता है। यूपी की औरतों का साड़ियों के साथ बहुत ही पुराना नाता रहा है, और आज इन्हीं साड़ियों ने विश्व भर में साड़ी के फैशन को नई पहचान दी है।

उत्तर प्रदेश की साड़ियों का इतिहास

History of Saree: समृद्ध संस्कृति और परंपरा का धनी भारत का उत्तर प्रदेश किसी भी मामले में देश के बाकी राज्यों से कम नहीं है। इस राज्य की सभ्यता, सांस्कृतिक विविधता, खानपान और पहनावे ने इसे हमेशा ही एक अनोखी छवि प्रदान की है। यूपी के पहनावे की जहां बात आती है, यहां साड़ियों का जमकर डंका बजा है। इतिहास को खंगालें तो साड़ी से उत्तर प्रदेश का कनेक्शन करीब 2000 साल पुराना निकलकर आता है। फैशन और ट्रेडिशन का बेहतरीन मेल रहीं साड़ियों ने आज यूपी को नई पहचान दी है।

दुनिया भर में यूपी की बनारसी साड़ी तो अपनी राजसी शान के लिए मशहूर है ही। इसके अलावा राज्य के चिकनकारी, जरदोजी, सिल्क आदि साड़ियां भी फैशन की महफिल लूट ले जाती हैं। वैसे पारंपरिक संस्कृति को पिरोए रखने वाले राज्य के तौर पर उत्तर प्रदेश में जहां साड़ियों की खपत खासी है तो वहीं इसके फैब्रिक, वर्क, रंगों की वैराइटी की भरमार भी बाजारों में खूद नजर आती है। साथ ही उत्तर प्रदेश के कपड़ों की चमक में जहां राजवंश, मुगल, चीनी, अंग्रेजी तो ईरानियन आदि शैली बखूबी दिखाई देती हैं।

उत्तर प्रदेश की सबसे फेमस साड़ी डिजाइन, Must Have Saree's of Uttar Pradesh

चिकनकारी साड़ी

उत्तर प्रदेश की सबसे फेमस साड़ियों की लिस्ट में लखनऊ की चिकनकारी साड़ियों (Chikankari work of Uttar Pradesh) का फैशन गर्म मौसम में बहुत जोर पकड़ता है। लखनऊ शहर की मशहूर चिकनकारी साड़ियों पर खास ट्रडिशनल और बहुत ही खास तरह की कढ़ाई की जाती है। चिकनकारी कढ़ाई का इतिहास 16वीं शताब्दी के मुगल काल से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि, मुगल बादशाह जहांगीर की पत्नी बेगम नूरजहां द्वारा ही इस शैली को लखनऊ लाया गया था।

आमतौर पर चिकनकारी एम्ब्रॉयडरी मुलायम मखमल के कपड़े पर की जाती है, अपनी बारीक और बेहद कठिन बुनाई के कारण इस फैब्रिक से बने कपड़ों का लुक एकदम अलग ही आता है। चिकनकारी एम्ब्रॉयडरी के कपड़ों में पांरपरिक बैकस्टिक, चेन स्टिच, टेपची, जाली कढ़ाई, बखिया, जंजीरा, घासपत्ती, चना पत्ती तो हेम स्टिच जैसे टांके शामिल होते हैं। पेस्टल शेड की चिकनकारी साड़ियों का लुक डार्क शेड के कंट्रास्ट डिजाइनर ब्लाउज के साथ बहुत खिलकर आता है। गर्मियों में भी चिकनकारी की लाइट वेट, एलिगेंट साड़ियां बढ़िया लगती हैं। चिकनकारी साड़ियों की कीमत 1000-1500 से लेकर 25-50000 या उससे ज्यादा तक की होती हैं।

बनारसी साड़ी

उत्तर प्रदेश के पहनावे की शान मानी जाने वाराणसी की खास बनारसी साड़ियों की बात बेशक ही बहुत निराली है। देश की सबसे ज्यादा बिकने वाली साड़ियों की लिस्ट में बनारसी साड़ी का नाम दूसरे नंबर पर आता है। जिसका इतिहास करीब 2000 साल से भी पुराना है। बनारस के जरी वाले वस्त्रों का जिक्र खास हिंदू धार्मिक किताबों में भी पाया गया है तो मुगल काल में इसका बोल बाला सबसे ज्यादा था।

बनारसी स्टाइल की साड़ियां अपने आप में ही राजसी शानो-शौकत लेकर आती हैं। सोने-चांदी के तारों से बुनी गई ये बेशकीमती साड़ियां हजारों से लाखों की कीमत में बिकती हैं। बनारसी साड़ियों में भी बनारसी प्योर सिल्क साड़ी की कीमत सबसे ज्यादा होती है। बनारसी साड़ियों को तैयार करने में करीब 5-6 महीने या उससे ज्यादा का समय लग सकता है। आमतौर पर बनारसी साड़ियों को सिंपल मैचिंग ब्लाउज के साथ पहना जाता है, हालांकि कंट्रास्ट के नए स्टाइल वाले ब्लाउज भी इन रॉयल साड़ियों पर खूब जंचेंगे। इन बेहद खूबसूरत साड़ियों के साथ कुंदन, डायमंड तो ट्रेडिशनल टैम्पल कलेक्शन वाले गहने बढ़िया लगते हैं।

सिल्क साड़ी

बनारसी, चिकनकारी तो ऑर्गेंजा, शिफॉन आदि की साड़ियों में सबसे अच्छी साड़ियां सिल्क फैब्रिक की मानी जाती है। उत्तर प्रदेश के अलग अलग हिस्सों में बहुत ही खूबसूरत सिल्क की साड़ियां बनाई जाती हैं। जिनकी कीमत 5-7 लाख तक के आस पास भी होती है। कई बॉलीवुड फिल्मों से लेकर रईस घरानों की बहुएं तक ऐसी ही डिजाइनर लुक वाली साड़ियां पहनतीं हैं। सिल्क की साड़ियां वैसे तो साउथ इंडिया और झारखंड जैसी जगहों पर ज्यादा बुनी जाती हैं, लेकिन

इनका यूपी से भी गहरा नाता है।

उत्तर प्रदेश में अलग अलग प्रकार की बनारसी तो चिकनकारी सिल्क की साड़ियां का प्रोडक्शन होता है। बनारसी सिल्क साड़ी में कटान, कोरा ऑर्गेंजा, खादी जॉर्जेट / शिफॉन/ ब्रोकेड सिल्‍क, डुपियन तो चंदेरी की साड़ियां शामिल हैं। जिन्हें आप सालों साल तक डिजाइनर अंदाज में फ्लॉन्ट कर सकती हैं। हालांकि सिल्क की साड़ियों की बनावट के साथ इसकी देखभाल का तरीका भी थोड़ा पेचीदा हो सकता है। हालांकि अच्छे बैग में स्टोर करने और समय समय पर सिरके के पानी में मुलायम हाथ से धोने पर सिल्क की जरी अच्छी रहती है।

टिशू सिल्क साड़ियों के लिए भी वाराणसी काफी फेमस है। टिशू सिल्क साड़ियां अपने मुलायम टच, नेचुरल चमक और आसानी से ड्रेप करने के लिए खासतौर पर पसंद की जाती हैं। असली टिशू सिल्क साड़ियों की कीमत 50 हजार या उससे ज्यादा तक की हो सकती है।

जरदोजी साड़ी

जरी-जरदोजी की बेहद हसीन लुक वाली साड़ियों का इतिहास भी उत्तर प्रदेश से ही जुड़ा हुआ है। बरेली डिविजन का बदायूं डिस्ट्रिक्ट अपनी जरदोजी वर्क की साड़ियों के लिए हर जगह मशहूर है। जरदोजी की साड़ियां बनाने की कला जिंदा रखने के लिए बदायूं की लगभग 35 प्रतिशत आबादी लगी हुई है। हालांकि ज़री ज़रदोज़ी की उत्पत्ति कम से कम 300 साल पहले फारस में हुई थी, इस शब्द का अर्थ 'सोने के धागों से कढ़ाई करना' होता है। 17वीं शताब्दी में मुगलों के शासन के दौरान, सम्राट अकबर के समर्थन से, ज़री ज़रदोज़ी, कढ़ाई का एक फ़ारसी रूप, ने लोकप्रियता हासिल की थी।

ज़रदोज़ी रेशम, साटन या मखमली कपड़े के आधार पर एक प्रकार की भारी और विस्तृत धातु की कढ़ाई है। और अपनी जटिल शिल्प कौशल और सोने के धागे जैसी कीमती सामग्री के उपयोग के कारण ही जरदोजी की साड़ियां कीमत में बहुत महंगी मानी जाती हैं। गर्मियों के मौसम में भी जरदोजी वर्क की साड़ियां अच्छा ऑप्शन मानी जाती हैं। जरदोजी कढ़ाई वाली फ्लोरल, ऑर्गेंजा, शिफॉन की साड़ियां सबसे बढ़िया होती हैं।

उत्तर प्रदेश में कैसी साड़ियां पहनी जाती है?

वैसे तो यूपी में भी देश भर से आई साड़ियों को खास अंदाज में पहना जाता है। हालांकि यहां की औरते खासतौर पर हर शुभ मौके पर बनारसी तो सिल्क की साड़ियां पहनना पसंद करती हैं। दोनों ही तरह की साड़ियां अपने साथ गहरा इतिहास और खूबसूरती लेकर आती हैं। बेहतरीन बुनाई और जरी जाली वाला रेशम का कपड़ा अपने आप में ही कमाल लगता है। यूपी की साड़ियों की बात हो रही है, तो यहां के साड़ी पहनने के स्टाइल के बारे में जानना भी बहुत ही ज्यादा दिलचस्प है। बता दें कि यूपी के कई हिस्सों में सीधा और उल्टा पल्ला वाली सिंपल साड़ी ड्रेप स्टाइल के अलावा लपेटावाली साड़ी तो खसौता साड़ी स्टाइल में भी साड़ी पहनी जाती है।

बॉलीवुड की पसंदीदा हैं यूपी की साड़ियां

मधुबाला, माधुरी से लेकर आलिया - कियारा तक हर बॉलीवुड उत्तर प्रदेश की इन साड़ियों की दीवानी है। इन दिनों ज्यादातर बॉलीवुड हसीनाएं अपनी शादी के कम से कम एक फंक्शन में तो बनारसी साड़ी या चिकनकारी सूट पहन ही डालती हैं। दीपिका पादुकोण, अनुष्का शर्मा ने अपनी शादी के रिसेप्शन फंक्शन में बनारसी सिल्क पहना था। कंगना रनौत को भी बनारसी फैशन का अंदाज खूब लुभाता है। आलिया भट्ट का भी बंधेज पैटर्न वाला बनारसी साड़ी का लुक पॉपुलर हो चुका है।

किस स्टाइल में पहनें ये साड़ियां

हैवी लुक के लिए आप बनारसी, जरी वर्क वाली साड़ियां चुनें। इनमें ड्रेप स्टाइल जितना सादा रखेंगे, उतना बेहतर रहेगा। वहीं चिकनकारी, सिल्क आदि साड़ियों को सिंपल ओपन पल्ला या सीधा पल्ला प्लीट्स स्टाइल में ड्रेप करने के बजाय लूज पल्ला फॉलिंग स्टाइल, फिश कट स्टाइल, लहंगा स्टाइल, नव्वारी स्टाइल तक में ड्रेप कर सकती हैं।

ऐसे करें साड़ियों की केयर

  • बनारसी साड़ियां आम साड़ियों की तरह नहीं होती हैं, जिन्हें मशीन में किसी बहुत केमिकल वाले साबुन से धो दिया जाए। बता दें कि बनारसी साड़ियों को आपको हमेशा हल्के हाथ से और ठंडे पानी से ही धोना चाहिए। इन साड़ियों को समय समय पर ड्राई क्लीन करवाना और अच्छे से किसी बैग में स्टोर करना जरूरी है।
  • बनारसी जैसे ही चिकनकारी साड़ियों की भी खास तरीके से केयर करना जरूरी है। चिकनकारी कपड़ा काफी नाजुक होता है, इसलिए इसे धोते वक्त रगड़ना नहीं चाहिए। चिकन की साड़ियों को भी आपको हाथ से धोना चाहिए, और इसे कभी भी तेज धूप में नहीं सुखाना चाहिए।
  • साड़ियों को लंबे समय तक के लिए स्टोर करना है, तो वार्डरोब में साड़ियों के साथ फिनाइल की गोलियां रख दें। इससे कपड़े में कीड़े नहीं लगेंगे और बदबू आने की भी समस्या पैदा नहीं होगी। हालांकि, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सूखी मिर्च का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • हैवी जरी की साड़ियों को भी आपको हल्के हाथ से ही धोना है। साबुन, शैम्पू या कोई सॉफ्ट डिटरजेंट से आप ये साड़ी धो सकते हैं।इस साड़ी को आपको हल्‍की धूप में उल्‍टा करके फॉल के साइड से डालना है। ऐसा करने पर साड़ी को कोई नुक्‍सान नहीं पहुंचेगा और वह जल्‍दी ही सूख जाएगी।
    इन साड़ियों को एक के ऊपर एक रखने से भी बचना चाहिए, नहीं तो साड़ियों की छपाई निकलने, जरी काली पड़ने तो साड़ी में कीड़े लगने की संभावना बढ़ सकती है।

बेशक ही अगर आप भी अपनी साड़ियों की केयर इस प्रकार से करेंगे, तो साड़ियां सालों साल तक बिल्कुल नई जैसी चमचमाती रहेगी। उत्तर प्रदेश की शान बढ़ाने वाली ये सारी ही साड़ियां मॉडर्न तो राजसी लुक के लिए एकदम परफेक्ट होती हैं। जिन्हें आपकी अल्मारी में होना ही होना चाहिए, लेडीज तो क्या यंग गर्ल्स भी नए नए स्टाइल के साथ ऐसी साड़ियां ड्रेप करेंगी तो बढ़िया लुक आएगा।

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अवनि बागरोला author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर ट्रेनी कॉपी राइटर कार्यरत हूं। मूल रूप से मध्य प्रदेश के उज्जैन की रहने वाली लड़की, जिसे कविताएं लिखना, महिलाओं से ज...और देखें

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