Gautam Buddha ki Prerak Kahaniyan: भगवान बुद्ध के प्रेरक प्रसंग हिंदी में, बुद्ध पूर्णिमा पर पढ़ें उनकी शिक्षाएं और कहानियां, गौतम बुद्ध के अनमोल विचार
Gautam Buddha Prerak Prasang (गौतम बुद्ध की शिक्षा): बुद्ध पूर्णिमा भगवान बुद्ध के जन्म (Gautam Buddha Date Of Birth), ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण का दिन है। उनके विचार आज भी लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए उनके कुछ प्रेरक प्रसंग (Gautam Buddha Motivational Quotes) लेकर आए हैं जिन्हें पढ़कर आपको ज्ञान की प्राप्ति होगी। भगवान बुद्ध की ये प्रेरक कहानियां।
Gautam Buddha Prerak Prasang
Gautam Buddha ki Prerak Kahaniyan (गौतम बुद्ध के प्रेरक प्रसंग): बुद्ध पूर्णिमा वैशाख माह (Vaishakh Month) की पूर्णिमा (Purnima) तिथि के दिन मनाई जाती है। इसे देश भर में बुद्ध जयंती (Buddha Jayanti) के रूप में भी सेलिब्रेट किया जाता है। इस साल बुद्ध पूर्णिमा 23 मई को मनाया जा रहा है। बुद्ध पूर्णिमा को गौतम बुद्ध के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस खास मौके पर लोग उनके प्रेरक प्रसंगों को याद करते हैं। उनके संदेश शांति, प्यार और दया का रास्ता दिखाने का काम करते हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए भगवान बुद्ध के कुछ प्रेरक प्रसंग लेकर आए हैं जो आपको सही रास्ता दिखाने का काम करेंगे।
भगवान बुद्ध के प्रेरक प्रसंग
1. अपने दुखों की वजह आप खुद न बनें
एक बार की बात है गौतम बुद्ध नगर में घूम रहे थे। उन्होंने वहां सुना कि नगरवासी बुद्ध के बारे में बुरा भला बोल रहे और गंदी गंदी बातें कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्यों कि गौतम बुद्ध से नफरत करने वालों ने नगरवासियों के मन में ये बैठा दिया था कि बुद्ध एक ढोंगी है और धर्म को भ्रष्ट कर रहा है। इस वजह से वहां के लोग उन्हें अपना दुश्मन मानने लगे थे। अपने खिलाफ गलत बात सुनने के बाद गौतम बुद्ध वहां शांति से खड़े हो गए और लोगों की बुराईयों को ध्यान से सुनने लगें। लेकिन बुद्ध ने किसी से कुछ नहीं कहा। जब नगरवासी चुप हो गए तब गौतम बुद्ध ने उन नगरवासियों से कहा, क्षमा चाहता हूं लेकिन अगर आप लोगों की बातें खत्म हो गई हैं तो मैं यहां से जाऊं? ये सुनकर नगरवासी आश्चर्यचकित हुए। बुद्ध पर कोई असर नहीं होता देख एक व्यक्ति ने बोला, ‘हम तुमको उलाहने दे रहे हैं और तुम पर इन बातों का कोई असर नहीं हो रहा?
उस व्यक्ति के सवालों का जवाब देते हुए गौतम बुद्ध ने कहा आप सब चाहें मुझे कितनी भी गालियां दें या कितना भी बुरा कहें, मैं इनहें खुद पर नहीं लूंगा क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं कुछ गलत नहीं कर रहा इसलिए इन बातों को जब तक मैं स्वीकार नहीं करता, तब तक इनका मुझ पर कोई असर नहीं पड़ रहा है।
2. अमृत की खेती
एक बार भगवान बुद्ध भिक्षा के लिए एक किसान के यहां पहुंचे। तथागत को भिक्षा के लिए आया देखकर किसान उपेक्षा से बोला, श्रमण मैं हल जोतता हूं और तब खाता हूं। तुम्हें भी हल जोतना और बीज बोना चाहिए और तब खाना खाना चाहिए। बुद्ध ने कहा- महाराज! मैं भी खेती ही करता हूं...।
इस पर किसान को जिज्ञासा हुई और वह बोला- मैं न तो तुम्हारे पास हल देखता हूं ना बैल और ना ही खेती का स्थल। तब आप कैसे कहते हैं कि आप भी खेती ही करते हो। आप कृपया अपनी खेती के संबंध में समझाइएं। बुद्ध ने कहा- महाराज! मेरे पास श्रद्धा का बीज, तपस्या रूपी वर्षा और प्रजा रूपी जोत और हल है... पापभीरूता का दंड है, विचार रूपी रस्सी है, स्मृति और जागरूकता रूपी हल की फाल और पेनी है।
मैं वचन और कर्म में संयत रहता हूं। मैं अपनी इस खेती को बेकार घास से मुक्त रखता हूं और आनंद की फसल काट लेने तक प्रयत्नशील रहने वाला हूं। अप्रमाद मेरा बैल हे जो बाधाएं देखकर भी पीछे मुंह नहीं मोडता है। वह मुझे सीधा शांति धाम तक ले जाता है। इस प्रकार मैं अमृत की खेती करता हूं।
3. परिश्रम और धैर्य की सीख
एक बार भगवान बुद्ध अपने अनुयायियों के साथ किसी गांव में उपदेश देने जा रहे थे। उस गांव से पूर्व ही मार्ग में उन लोगों को जगह-जगह बहुत सारे गड्ढे़ खुदे हुए मिले। बुद्ध के एक शिष्य ने उन गड्ढों को देखकर जिज्ञासा प्रकट की, आखिर इस तरह गड्ढे़ का खुदे होने का तात्पर्य क्या है?
बुद्ध बोले, पानी की तलाश में किसी व्यक्ति ने इतनें गड्ढे़ खोदे है। यदि वह धैर्यपूर्वक एक ही स्थान पर गड्ढे़ खोदता तो उसे पानी अवश्य मिल जाता, पर वह थोडी देर गड्ढ़ा खोदता और पानी न मिलने पर दूसरा गड्ढ़ा खोदना शुरू कर देता। व्यक्ति को परिश्रम करने के साथ धैर्य भी रखना चाहिए।
4. खुद के गिरेबां में झांकें
एक बार गौतम बुद्ध से किसी महिला ने पूछा कि आप तो किसी राजकुमार की तरह दिखते हैं, आपने युवावस्था में गेरुआ वस्त्र क्यों धारण किए हैं? बुद्ध ने कहा कि मैंने तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए संन्यास लिया है। हमारा शरीर युवा और आकर्षक है, लेकिन यह वृद्ध होगा, फिर बीमार होगा और अंत में यह मृत्यु को प्राप्त हो जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी और मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध की ये बात सुनकर महिला बहुत प्रभावित हो गई और उसने उन्हें भोजन के लिए अपने घर पर आमंत्रित किया।
जब ये बात गांव के लोगों को मालूम हुई तो सभी ने बुद्ध से कहा कि वे उस महिला के यहां न जाए, क्योंकि उसका चरित्र अच्छा नहीं है। बुद्ध ने गांव के सरपंच से पूछा कि क्या ये बात सही है? सरपंच ने भी गांव के लोगों की बात को सही बताया।
तब बुद्ध ने सरपंच का एक हाथ पकड़ कर कहा कि अब ताली बजाकर दिखाओ। सरपंच ने कहा कि यह असंभव है, एक हाथ से ताली नहीं बज सकती। बुद्ध ने कहा कि ठीक इसी प्रकार कोई महिला अकेले ही चरित्रहीन नहीं हो सकती है। अगर इस गांव के पुरुष चरित्रहीन नहीं होते तो वह स्त्री भी चरित्रहीन नहीं होती। अगर इस गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह महिला ऐसी न होती। ये बातें सुनकर वहां खड़े सभी लोग शर्मिंदा हो गए।
इस प्रसंग की सीख यह है कि हमें दूसरों की गलतियां या कमियां नहीं देखनी चाहिए, बल्कि हमें खुद की गलतियों को और कमियों को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए। अगर हम अच्छे बनेंगे तो समाज में अच्छा बनेगा। हम बिगड़ेंगे तो समाज भी बिगड़ जाएगा।
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