Pankaj Udhas Ghazals: पंकज उधास के इन गजलों की दुनिया आज भी है दीवानी, यहां पढ़ें गीत के बोल

अपनी रूहानी आवाज से सभी को दीवाना बनाने वाले पंकज उधास का 72 साल की उम्र में बीते दिनों निधन हो गया। उन्हें गजल सम्राट के नाम से भी जाना जाता था।

Pankaj Udhas Ghazals

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मशहूर गजल गायक पंकज उधास का लंबी बीमारी के बाद बीते दिनों 72 साल की उम्र में निधन हो गया। उनकी बेटी नायाब उधास ने इसकी जानकारी दी। पंकज के रूहानी आवाज का हर कोई दीवाना था। पंकज उधास ने गजल को सिनेमाई पर्दे पर मशहूर बनाया। उनके गीत और गजल आज भी फैंस के दिलों में बसते हैं। पंकज उधास का जन्‍म 17 मई 1951 को गुजरात के जेतपुर में हुआ था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1980 में 'आहट' नाम के एक गजल एल्बम से की थी। लेकिन उन्हें शोहरत 1981 में 'मुकरार', 1982 में 'तरन्नुम', 1983 में 'महफ़िल' जैसे एल्‍बम से मिली। उनके निधन के बाद से ही देशभर में शोक है। पंकज के नाम कई रिकॉर्ड भी दर्ज है। साल 2006 में पंकज उधास को भारत के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। ऐसे में आज यहां उनके कुछ मशहर गजलों के बोल की बात करेंगे।

पंकज उधास के मशहूर गजलों के बोल

चिठ्ठी आई है
हम्म.. हम्म.. हम्म..
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
बड़े दिनों के बाद, हम बेवतनों को याद
वतन की मिट्टी आई है..ए..
चिट्ठी आई है आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है
ऊपर मेरा नाम लिखा है
अंदर ये पैगाम लिखा है
ओ परदेस को जाने वाले
लौट के फिर ना आने वाले
सात समुंदर पार गया तू
हमको ज़िंदा मार गया तू
खून के रिश्ते तोड़ गया तू
आँख में आँसू छोड़ गया तू
कम खाते हैं, कम सोते हैं
बहुत ज़्यादा हम रोते हैं
चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है, आई है, चिट्ठी आई है
चिट्ठी आई है वतन से, चिट्ठी आयी है
चांदी जैसा रंग है तेरा
चाँदी जैसा रंग है तेरा सोने जैसे बाल
इक तू ही धनवान है गोरी बाक़ी सब कंगाल
हर आँगन में आए तेरे उजले रूप की धूप
छैल-छबेली रानी थोड़ा घूंघट और निकाल
भर भर नज़रें देखें तुझ को आते-जाते लोग
देख तुझे बदनाम न कर दे ये हिरनी सी चाल
कितनी सुंदर नार हो कोई मैं आवाज़ न दूँ
तुझ सा जिस का नाम नहीं है वो जी का जंजाल
सामने तू आए तो धड़कें मिल कर लाखों दिल
अब जाना धरती पर कैसे आते हैं भौंचाल
बीच में रंग-महल है तेरा खाई चारों ओर
हम से मिलने की अब गोरी तू ही राह निकाल
ना कजरे की धार
ना कजरे की धार, ना मोतियों के हार
ना कोई किया सिंगार, फिर भी कितनी सुंदर हो
मन में प्यार भरा, और तन में प्यार भरा
जीवन में प्यार भरा, तुम तो मेरे प्रियवर हो
सिंगार तेरा यौवन, यौवन ही तेरा गहना
तू ताज़गी फूलों की क्या सादगी का कहना
उड़े खुशबू जब चले तू, बोले तो बजे सितार
जिए तो जिए कैसे
जिए तो जिए कैसे बिन आपके
जिये तो जिये कैसे बिन आप के
जिये तो जिये कैसे, बिन आपके
लगता नहीं दिल कहीं, बिन आपके
कैसे कहूँ बिना तेरे ज़िन्दगी ये क्या होगी
जैसे कोई सज़ा, कोई बद्दुआ होगी
मैने किया है ये फ़ैसला, जीना नहीं है तेरे बिना
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