Gopaldas Neeraj Shayari: हर ग़लत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझ को.., पतझड़ में भी प्यार के फूल खिलाते हैं गोपालदास नीरज के ये मशहूर शेर
Gopaldas Neeraj Shayari: प्रेम और जीवन पर यूं तो तमाम शायरों की कलम से बेहद खूबसूरत अल्फाज निकले लेकिन गोपालदास नीरज की बात ही कुछ और थी। उनकी नजरें सबसे पहले प्रेम को देखती थीं। मौसम कोई हो, नीरज जी की रचनाओं से हमेशा प्रेम झरता है। 'इरशाद' के आज के अंक में पढ़ें नीरज जी की चंद बेहतरीन शेर:
Gopaldas Neeraj Shayari in Hindi
GopalDas Neeraj Poetry, Shayari in Hindi: जब भी प्रेम पर हिंदी नगमों की बात होगी गोपाल दास नीरज का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। गोपाल दास नीरज सही मायनों में प्रेम पुजारी रहे हैं। उनकी कविताओं में श्रृंगार रस की प्रधानता है। मौसम कोई हो, नीरज जी की रचनाओं से हमेशा प्रेम झरता है। गोपाल दास नीरज की प्रेम में डूबी कविताएं फिल्मी गीत के रूप में भी खूब पसंद की गईं। उन्होंने एक से बढ़कर एक गीत लिखे। उनकी सारे गीतों में प्रेम की ऐसी झलक रहती कि सुनने वाला उसी में डूबकर रह जाता। आइए डालते हैं नजर नीरज जी के लिखे कुछ कलामों पर:
उस को क्या ख़ाक शराबों में मज़ा आएगा
जिस ने इक बार भी वो शोख़ नज़र देखी है
ख़ुशबू सी आ रही है इधर ज़ाफ़रान की
खिड़की खुली है फिर कोई उन के मकान की
चांद को छू के चले आए हैं विग्यान के पंख
देखना ये है कि इंसान कहां तक पहुंचे
अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए
जिस में इंसान को इंसान बनाया जाए
इतना मालूम है ख़ामोश है सारी महफ़िल
पर न मालूम ये ख़ामोशी कहां तक पहुंचे
बड़ा न छोटा कोई फ़र्क़ बस नज़र का है
सभी पे चलते समय एक सा कफ़न देखा
ज़बां है और बयां और उस का मतलब और
अजीब आज की दुनिया का व्याकरन देखा
मेरे घर कोई ख़ुशी आती तो कैसे आती
उम्र-भर साथ रहा दर्द महाजन की तरह
हर किसी शख़्स की क़िस्मत का यही है क़िस्सा
आए राजा की तरह जाए वो निर्धन की तरह
हज़ारों रतन थे उस जौहरी की झोली में
उसे न कुछ भी मिला जो अगर-मगर में रहा
हर ग़लत मोड़ पे टोका है किसी ने मुझ को
एक आवाज़ तिरी जब से मिरे साथ हुई
जिस्म दो हो के भी दिल एक हों अपने ऐसे
मेरा आंसू तेरी पलकों से उठाया जाए
जितना कम सामान रहेगा
उतना सफ़र आसान रहेगा
उस से मिलना ना-मुम्किन है
जब तक ख़ुद का ध्यान रहेगा
है बहुत अंधियार अब सूरज निकलना चाहिए
जिस तरह से भी हो ये मौसम बदलना चाहिए
छीनता हो जब तुम्हारा हक़ कोई उस वक़्त तो
आंख से आंसू नहीं शोला निकलना चाहिए
बता दें कि गोपाल दास नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को उत्तर प्रदेश के इटावा में हुआ था। वह मेरठ कॉलेज में प्रोफेसर भी रहे। 19 जुलाई 2018 को नीरज इस दुनिया को अलविदा कह गए। हालांकि अपने गीतों के जरिए वह हमेशा याद किये जाते रहेंगे।
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मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें
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