होलिकादहन की राख के तिलक से होती है गोरखनाथ मंदिर में होली की शुरुआत, भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा होती है अद्भुत

गोरखपुर में भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरुआत अपने गोरखपुर प्रवासकाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक नानाजी देशमुख ने 1944 में की थी। गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में गोरखनाथ मंदिर में होलिकोत्सव की शुरुआत होलिकादहन या सम्मत की राख से तिलक लगाने के साथ होती है।

Gorakhnath Mandir Holi: वृंदावन, वरसाना की होली से कम विशिष्ट गोरक्षनगरी का रंगोत्सव भी नहीं है। दशकों से होलिका दहन व होलिकोत्सव शोभायात्रा में गोरक्षपीठ को सहभागिता ने यहां के रंगपर्व को समूचे पूर्वी उत्तर प्रदेश के आकर्षण का केंद्र बना दिया है। मुख्यमंत्री बनने के बाद तमाम व्यस्तताओं के बावजूद बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की दो महत्वपूर्ण शोभायात्राओं में सम्मिलित होते हैं। इन शोभायात्राओं में सामाजिक समरसता और समतामूलक समाज का प्रतिबिंब नजर आता है।

गोरखपुर में होली के अवसर पर दो प्रमुख शोभायात्राएं निकलती हैं। एक होलिका दहन की शाम पांडेयहाता से होलिका दहन उत्सव समिति की तरफ से और दूसरी होली के दिन श्री होलिकोत्सव समिति व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बैनर तले। इस वर्ष भी दोनों शोभायात्राओं में सम्मिलित होने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आयोजकों को सहमति प्रदान कर दी है। बतौर गोरक्षपीठाधीश्वर रंगपर्व के आयोजनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहभागिता गोरक्षपीठ के मूल में निहित संदेश के प्रसार का हिस्सा है। रंगों के प्रतीक रूप में उमंग व उल्लास का पर्व होली गोरक्षपीठ के सामाजिक समरसता अभियान का ही एक हिस्सा है।

इस पीठ की विशेषताओं में छुआछूत, जातीय भेदभाव और ऊंच नीच की खाई पाटने का जिक्र सतत होता रहा है। समाज मे विभेद से परे लोक कल्याण ही नाथपंथ का मूल है और ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ द्वारा विस्तारित इस अभियान की पताका वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फहरा रहे हैं। गोरक्षपीठ की अगुवाई वाला रंगोत्सव सामाजिक संदेश के ध्येय से विशिष्ट है।

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