गजब! उल्‍टा चलती है भारत में बनी ये घड़ी, कीमत जान बड़े ब्रैंड भी दबा लेंगे दांतों तले उंगली

अगर आपकी घड़ी के कांटे उल्‍टे चलें तो क्‍या आपको टाइम देखना आसान रहेगा। वैसे ऐसी घड़ी बहुत जल्‍द आपकी कलाई में बंध सकती है और इसकी कीमत आप जानेंगे तो खुश होंगे और बड़े ब्रैंड जोर का झटका खाएंगे।

गजब! उल्‍टा चलती है भारत में बनी ये घड़ी, कीमत जान बड़े ब्रैंड भी दबा लेंगे दांतों तले उंगली

Anti Clockwise Watch: सोचिए अगर हम कपड़े उल्टे पहनने लगे? दोनों जूते अलग अलग पैरों में पहन लें? या फिर घड़ी का कांटा उल्टी दिशा में घूमने लगे तो कैसा लगेगा? अजीब न! लेकिन क्या आप जानते हैं कि, घड़ी का काटा अगर एंटी क्लॉकवाइज यानी की दाएं से बाई ओर चले, तो ये प्रकृति के अनुरूप माना जाता है उसके विपरीत नहीं।

गुजरात के आदिवासी समुदाय के दो लोगों ने ऐसी ही एक हाथ ही घड़ी का निर्माण किया है। जिसके काटे एंटी क्लॉक वाइज दिशा में चलते हैं। ये घड़ी तापी के डोलवन तालुका के प्रदीप पटेल (पिंटू) ने अपने दोस्त भरत पटेल के साथ मिलकर बनाई है। जिसका नाम उन्होंने ‘ट्राइबल वॉच’ रखा है। बता दें कि, मंगलवार को वंसडा जिले से कांग्रेस MLA अनंत पटेल ने नवसारी के सर्किट हाउस में ट्राइबल वॉच को लॉन्च किया।

फंड्स हासिल करने में मिलेगा समर्थन

छोटा उदेपुर के कवंत में आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले लोगों के लिए, 13 से 15 जनवरी के बीच में आदिवासी एकता परिषद का तीन दिवसीय कार्यक्रम होने जा रहा है। इस कार्यक्रम में ट्राइबल वॉच को भी बेचा जाएगा। जिस पर MLA पटेल का कहना है कि, आने वाले दिनों में आदिवासी समुदाय के ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस घड़ी को बनाने की तकनीक सिखाई जाएगी। ताकि गुजरात के करीब 14 जिलों में इसे अच्छी मात्रा में बेचा जा सके। साथ ही उन्होंने पिंटू को इस बात का आश्वासन भी दिया है कि, कर्मचारी तैनात करने के साथ समर्थन के लिए फंड्स भी इक्कठे करेंगे।

कैसे आया था ये आइडिया?

एंटी क्लॉक वाइज चलने वाली इस घड़ी को बनाने का आइडिया पिंटू को करीब दो साल पहले आया था। पिंटू बताते हैं कि, ‘लगभग 2 साल पहले व अपने दोस्त विजय भाई चौधरी के यहां गए थे। और वहां उन्होंने उल्टी दिशा में चलने वाली एक बहुत पुरानी घड़ी देखी थी। घड़ी के बारे में पूछने पर उन्हें पता चला कि, इस तरह की घड़ी प्रकृति की साइकिल के अनुरूप चलती है। यानी से दाई से बाई ओर, एंटी क्लॉक वाइज दिशा में’

इसी घड़ी को देखकर पिंटू के दिमाग में ऐसी हाथ घड़ी बनाने का ख्याल आया था। और उन्होंने महीनो रिसर्च और कड़ी मेहनत के बाद भरत पटेल के साथ इसे बनाने का काम शुरू कर दिया था। भरत एक हाथ घड़ी की दुकान में ही काम करते हैं। और दोनों ने मिलकर दिसंबर माह में इस घड़ी को तैयार कर दिया। जिसमें ऑवर, मिनट, सेकंड के काटे उल्टे चल रहे हैं।

एंटी क्लॉक वाइज घड़ी क्या दर्शाती है?

पिंटू और भरत ने मिलकर अब तक कुल 1000 ऐसी हाथ घड़ियां बना दी है। इस उल्टी चलने वाली घड़ी की बात करते हुए भरत कहते हैं कि, ‘हमने इस घड़ी के अलग अलग नए मॉडल्स बनाए हैं। जिसमें आदिवासी लोगों को चेहरा और उनके नीचे “जय आदिवासी” लिखा हुआ है। ये ट्राइबल वॉच प्रकृति के साथ सद्भाव में चलती है। दरअसल ये घड़ी यही दर्शाती है कि, सौर मंडल में सूर्य के आस पास घूमने वाले सारे ग्रह भी दाए से बाए दिशा में चलते हैं। आदिवासी ग्रुप डांस भी हमेशा राइट से लेफ्ट डायरेक्शन में होता है। यही नहीं आदिवासी अपने सारे रिती रिवाज एंटी क्लॉक वाइज दिशा में ही करते हैं।’

कैसे बनाई गई थी ये घड़ी?

पिंटू के मुताबिक अभी तक वे इस एंटी क्लॉक वाइज हाथ घड़ी के करीब 7 अलग अलग मॉडल्स बना चुके हैं। जिसकी कीमत 700 से 1000 के बीच की है। हालांकि उनका कहना है कि, फंड्स की कमी के कारण निर्माण बढ़ाने में दिक्कत हो रही है।

‘हमने साधारण घड़ियों में इस्तेमाल होने वाले बटल सेल्स का ही उपयोग किया है। ताकि क्वार्ट्ज की मशीन अच्छे से चले। हालांकि हमने इसमें अपनी जरूरतों के हिसाब से थोड़े बदलाव किए हैं। ताकि घड़ी सीधी से उल्टी दिशा में बहुत आसानी से चलने लगे।’

आगे के लिए क्या विचार है?

घड़ी के सर्किट हाउस में लॉन्च होने के बाद पिंटू और भरत के पास ऐसी 5000 घड़ी बनाने का ऑर्डर है। लेकिन वे इसे पूरा करने के लिए इस वक्त फंड्स का इंतजार कर रहे हैं। जिस पर उन्हें MLA पटेल द्वारा आश्वासन दिया गया है। ‘इस वक्त हमने ये घड़ी नवसारी जिले ही लॉन्च की है। लेकिन आने वाले समय में हमारी इस घड़ी को उमरगाम से लेकर अंबाजी तक लेकर जाने की विस्तार नीति है। ताकि ये ट्राइबल वॉच सारे आदिवासी जिलो तक पहुंच सके। हम हर जिले में कुछ वितरक अपॉइंट करेंगे। जो अपने क्षेत्र में आदिवासी लोगों को घड़ी बनाने के लिए काम पर रखेंगे। इस तीन दिवसीय आदिवासी एकता परिषद कार्यक्रम के बाद हम ये घड़ी गुजरात के हर आदिवासी जिले में लॉन्च करेंगे।

इस घड़ी के माध्यम से पिंटू और भरत का उद्देश्य केवल आदिवासियों को एक दूसरे जोड़े रखने का है। साथ ही वे आने वाले समय में घड़ी के नए मॉडल्स और लोगो तैयार करेंगे। जो आदिवासी समुदाय को ही समर्पित होंगे। उनका विचार जल-जंगल-जमीन, सेव अर्थ और बिरसा मुंडा की तस्वीर वाले लोगो को घड़ी पर इस्तेमाल करने का है।

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