Gulab Halwa: गुलाब हलवा के पीएम मोदी भी हुए मुरीद, रोचक है इसके बनने की कहानी, जितना स्वादिष्ट उतना सस्ता

Gulab Halwa Recipe: गुलाब हलवा से आपको लग रहा होगा कि यह हलवा गुलाब के फूल से बनता होगा तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। ना तो इसमें गुलाब के पत्तों का इस्तेमाल होता है और ना ही गुलाब जल का।

Gulab Halwa

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Gulab Halwa: लोकसभा चुनावों के दौरान पीएम मोदी ने राजस्थान के पाली में एक जनसभा की थी। इस चुनावी जनसभा में पीएम ने वहां के गुलाब हलवे की खूब तारीफ की। पाली के गुलाब हलवे का जायका देश में ही नहीं बल्कि विदेशों तक फैला है। गुलाब हलवे के बारे में कहा जाता है कि जो कोई भी इसे एक बार खा ले उसे दोबारा जरूर खाता है। पाली और उसके आसपास की मारवाड़ी थाली बिना गुलाब हलवे के अधूरी और फीकी मानी जाती है। आइए जानते हैं इस स्वादिष्ट पकवान में क्या है खास:

क्या है गुलाब हलवा

गुलाब हलवा से आपको लग रहा होगा कि यह हलवा गुलाब के फूल से बनता होगा तो ऐसा बिल्कुल नहीं है। ना तो इसमें गुलाब के पत्तों का इस्तेमाल होता है और ना ही गुलाब जल का। यह हलवा तैयार होता है सिर्फ दूध, शक्कर और थोड़ी सी इलायची से। तो फिर यह हलवा क्यों कहलाता है गुलाब हलवा? आप इस सवाल का जवाब सोचें उससे पहले बता दें कि पाली में गुलाब हलवे का सालाना कारोबार करीब 20 करोड़ रुपये है।

गुलाब हलवा की खासियत

अब तो गुलाब हलवा राजस्थान के कई जिलों में बनने लगा है लेकिन जो स्वाद पाली के गुलाब हलवे में है वो कहीं और नहीं। दरअसल यहां के गुलाब हलवे के स्वाद का सीक्रेट है यहां के लोकल पुश्तैनी कारीगरों का हुनर और पाली का क्लाइमेट। पाली के माहौल में ही कुछ ऐसा है कि यहां जैसा गुलाब हलवा आपको कहीं और नहीं मिलेगा।

गुलाब हलवा बनने की कहानी (Gulab Halwa Recipe)

पाली के मशहूर मिठाई वाले हैं मूलचंद कास्टिया। 1960 के करीब उनकी शहर के भीतरी इलाके में मिठाई की दुकान थी। वहां पर गुलाब पुरी नाम का एक कारीगर काम करता था। दुकान पर तब मुख्यतौर पर रबड़ी ही बना करती थी। रोजाना जो दूध बच जाता उससे गुलाब पुरी मेवा बना लेता। वह दूध को तब तक पकाता रहता जबतक उसका रंग हल्का मरून ना हो जाए। उसमें इलायची डालकर उसका हलवा बना लेता। जब दुकान के मालिक ने एक बार उसे चखा तो उसका स्वाद उन्हें बहुत अलग और स्वादिष्ट लगा। उन्होंने अपनी दुकान पर वह हलवा भी रखना शुरू कर दिया। लोगों की जुबान पर हलवे का स्वाद चढ़ गया।
गुलाब पुरी ने देखा कि जिस हलवे की रेसिपी उसने बनाई उसे बेचकर कोई और मुनाफा कमा रहा है। गुलाब ने मूलचंद कास्टिया के यहां से काम छोड़ा और अपनी दुकान खोल ली। वह अपनी दुकान पर अपनी रेसिपी से हलवा बना बेचने लगा। लोगों को गुलाब का हलवा पसंद आने लगा। देखते देखते हलवा खाने वालों की लंबी कतार दुकान पर दिखने लगी। इस हलवे का नाम ही पड़ गया गुलाब हलवा। अब तो पाली और आसपास के इलाकों में कई व्यापारियों ने गुलाब हलवा बनाना और बेचना शुरू कर दिया है।

देश विदेश तक यूं पहुंच रहा गुलाब हलवा

आज कई बड़े शहरों में गुलाब हलवे की ब्रांच है। यह फ्रैंचाइजी गुलाब पुरी के परिवार वालों के पास ही है। फूडचेन के जरिए हलवा देशभर में सप्लाई किया जाता है। राजस्था में विदेशी पर्यटक भी खूब आते हैं। इन पर्यटकों के जरिए गुलाब हलवे का स्वाद सात समुंदर पार के देशों तक भी पहुंच रहा है।
पाली और आसपास के इलाकों में गुलाब हलवा ना सिर्फ स्वादिष्ट मिठाई है बल्कि वहां के शादी ब्याह जैसे समारोहों का जरूरी हिस्सा भी है। वहां के तीज त्योहार या पार्टी बारात बिना गुलाब हलवे के पूरा नहीं होते। सिर्फ पाली में ही रोजाना 2000 किलो से ज्यादा गुलाब हलवा बिक जाता है। पाली जो कि अपने टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए फेमस है वहां पर गुलाब हलवा भी शहर की अर्थव्यवस्था में अहम किरदार निभा रहा है। पाली में करीब 10 दुकानों पर ही 500 लोग गुलाब हलवा बनाने के काम में लगे हुए हैं।

जितना स्वाद उतना सस्ता

गुलाब हलवा फेमस होने के बाद भी बहुत महंगा नहीं है। या यूं कहें कि यह अपने स्वाद के साथ ही अपनी कीमत के कारण भी लोगों के बीच खूब पसंद की जाती है। जैसा कि आप जानते हैं, गुलाब हलवा सिर्फ दूध चीनी और इलायची से बनता है तो इसकी कीमत भी बाकी मिठाइयों से थोड़ी कम है। गुलाब हलवा आज भी करीब 300 रुपये किलो मिलता है।
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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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