Gulzar Love Shayari: तुम्हें जो याद करता हूं, मैं दुनिया भूल जाता हूं.., इश्क पर बसंत का रंग चढ़ा देंगे गुलज़ार के ये रोमांटिक शेर

Gulzar Romantic Shayari in Hindi (गुलज़ार की रोमांटिक शायरी) : बात जब भी रोमांस और रोमांटिक शायरी की होती है तो सबसे पहला नाम जो ज़हन में आता है वो है गुलज़ार साहब का। गुलज़ार ने मोहब्बत के हर एहसास को अपने शब्दों में कुछ यूं पिरोया है कि सुनने वाला बस उसी में डूब कर रह जाता है।

Gulzar Love Shayari

Gulzar Love Shayari, Gulzar Romantic Shayari

Gulzar Shayari on Love (प्यार पर गुलजार के शेर): फरवरी का महीना शुरू हो चुका है। इस महीने को माह-ए-इश्क कहा जाता है। यह महीना दिलों में मोहब्बत की आग को पूरे शबाब पर ले जाता है। इस शबाब पर अगर रोमांटिक शायरी सुनने को मिल जाए तो फिर क्या ही कहने। बात जब भी रोमांस और रोमांटिक शायरी की होती है तो सबसे पहला नाम जो ज़हन में आता है वो है गुलज़ार साहब का। गुलज़ार ने मोहब्बत के हर एहसास को अपने शब्दों में कुछ यूं पिरोया है कि सुनने वाला बस उसी में डूब कर रह जाता है। आइए पढ़ें गुलज़ार की कलम से निकले कुछ रोमाटिक शेर:

Gulzar Romantic Shayari | Gulzar Shayari in Hindi | गुलज़ार के रोमांटिक शेर

1. वो मोहब्बत भी तुम्हारी थी नफरत भी तुम्हारी थी,

हम अपनी वफ़ा का इंसाफ किससे मांगते..

2. यूं भी इक बार तो होता कि समुंदर बहता

कोई एहसास तो दरिया की अना का होता

3. बेशुमार मोहब्बत होगी उस बारिश की बूंद को इस ज़मीन से,

यूं ही नहीं कोई मोहब्बत मे इतना गिर जाता है

4. आप के बाद हर घड़ी हम ने

आप के साथ ही गुज़ारी है

5. दिन कुछ ऐसे गुज़ारता है कोई

जैसे एहसान उतारता है कोई

6. तुम्हें जो याद करता हूं, मै दुनिया भूल जाता हूं

तेरी चाहत में अक्सर, सभंलना भूल जाता हूं

7. आइना देख कर तसल्ली हुई

हम को इस घर में जानता है कोई

8. तन्हाई अच्छी लगती है

सवाल तो बहुत करती पर,

जवाब के लिए

ज़िद नहीं करती..

9. तुम्हारी ख़ुश्क सी आंखें भली नहीं लगतीं

वो सारी चीज़ें जो तुम को रुलाएं, भेजी हैं

10. मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता हूं,

मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती हैं

11. आइना देख कर तसल्ली हुई,

हम को इस घर में जानता है कोई।

12. वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,

आदत इस की भी आदमी सी है।

13. मोहब्बत आपनी जगह,

नफरत अपनी जगह

मुझे दोनों है तुमसे.

14. ज़मीं सी दूसरा कोई सख़ी कहां होगी

ज़रा सा बीज उठा ले तो पेड़ देती है

15. मुझसे तुम बस मोहब्बत कर लिया करो,

नखरे करने में वैसे भी तुम्हारा कोई जवाब नहीं

16. कांच के पीछे चांद भी था और कांच के ऊपर काई भी

तीनों थे हम वो भी थे और मैं भी था तन्हाई भी

गुलजार ने अपनी कलम से मोहब्बत पर ऐसे ऐसे नग़में लिखे हैं कि वह रोमांस के पर्याय बन चुके हैं। अगर किसी को किसी से इश्क है तो गुलज़ार के ये शेर उसके इश्क को बसंत के रंग में रंग देंगे। अगर आपको भी ये शेर पसंद आए हों तो आप इन्हें अपनों के साथ शेयर कर सकते हैं।

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Suneet Singh author

मैं टाइम्स नाऊ नवभारत के साथ बतौर डिप्टी न्यूज़ एडिटर जुड़ा हूं। मूल रूप से उत्तर प्रदेश में बलिया के रहने वाला हूं और साहित्य, संगीत और फिल्मों में म...और देखें

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