Guru Bhakt Aruni Ki Kahani: गुरू शिष्य की यह कहानी पढ़ आपकी आंखे हो जाएंगी नम, बढ़ जाएगा आदर भाव
Guru Bhakt Aruni Ki Kahani: आज गुरू पूर्णिमा का पर्व है। इस खास मौके पर हम आपके लिए गुरू शिष्य की एक कहानी लेकर आए हैं, इसे पढ़ आपकी आंखें नम हो जाएंगी और गुरू के प्रति आपका आदर भाव कई गुना बढ़ जाएगा। बता दें इस कहानी का वर्णन महाभारत काल में भी मिलता है। यह कहानी गुरू अयोदधौम्य और आरूणी पर आधारित है। आइए एक नजर डालते हैं।
Guru Bhakt Aruni Ki Kahani: गुरू और शिष्य की यह कहानी सुन आपकी आंखे हो जाएंगी नम
गुरू के आशीर्वाद से आप इस संसार में सबकुछ प्राप्त कर (
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Guru Bhakt Aruni Ki Kahani : गुरू भक्त आरूणी की कहानीमहाभारत काल के दौरान अयोदधौम्य नामक एक ऋषि हुआ करते थे। वह अत्यंत परिश्रमी और पराक्रमी थी। उनके तीन सबसे प्रिय शिष्य थे, जिनका नाम आरूणी, उपमन्यु और वेद था। धौम्य ऋषि अक्सर अपने शिष्यों को भी अपने साथ काम पर लगा लिया करते थे। तथा उनके शिष्य गुरू की आज्ञा का सदैव पालन करते थे। एक दिन भारी वर्षा के दौरान गुरू धौम्य ने आरुणी को मेड़ ठीक करने के लिए भेजा। गुरू का आदेश मिलते ही आरुणी फावड़ा लेकर खेत की ओर चल दिया।
पानी का बहाव तेज होने के कारण खेत का एक हिस्सा बांधने में आरुणी को काफी परेशानी हो रही थी। लेकिन आरुणी ने हार नहीं मानी और वह लगातार मेड़ बांधता रहा। लेकिन इसके बावजूद पानी का बहाव नहीं रुका, जब आरुणी को कोई और रास्ता नहीं सूझा तो उसने मेड़ पर खुद ही लेटने का निर्णय किया। आरुणी खेत की मेड़ पर लेट गया, जिससे पानी का बहाव रुक गया।
Aruni Ki Kahani In Hindi : आरूणी को देख ऋषि मुनि की आंखे हो गई नमजब काफी समय बीत जाने के बाद आरुणी आश्रम वापस नहीं आया तो, गुरू धौम्य ने अपने शिष्यों से आरुणी के बारे में पूछा। शिष्यों ने बताया कि वह उनके आदेशानुसार खेत में मेड़ बांधने गया है। गुरू आरूणी को लेकर चिंतित हो गए, क्योंकि काफी समय बीत जाने के बाद भी आरुणी वापस नहीं आया। इसके बाद गुरू बाकी शिष्यों के खुद खेत में गए।
उन्होंने देखा आरुणी खेत की मेड़ पर लेटा हुआ था। इसे देख वह चकित रह गए। आरुणी ने कहा हे गुरू देव वर्षा के कारण खेत में पानी का बहाव तेज था, इस कारण वह खेत में मेड़ बांधने में असफल रहा इसलिए उसने खेत की मेड़ पर लेटने का निश्चय किया। आरुणी की भक्तिभाव को देख ऋषि मुनि की आंखे नम हो गई।
Aruni Ki Kahani: गुरू ने दिया वरदानआरुणी को कृपा दृष्टि के भाव से देखते हुए आचार्य ने कहा कि, तुमने जिस प्रकार मेरी आज्ञा का पालन किया है, मैं उससे अत्यंत प्रसन्न हूं। साथ ही उन्होंने आरुणी को समस्त वेद पुराणों का ज्ञाता बनने का आशीर्वाद दिया। इस प्रकार गुरू की आज्ञा का पालन करने से आरुणी को अपने आचार्य से ज्ञान का वरदान प्राप्त हुआ।
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